मस्तक रेखा का निकास बृहस्पति पर्वत से होना
बृहस्पति ग्रह आत्मसम्मान, महत्तकांक्षा, प्रौदता व शासन का प्रतीक है। हाथ में बृहस्पति उन्नत होने पर व्यक्ति सचरित्र, महत्वाकांक्षी तथा शासकीय प्रवृति के होते हैं।
इसी प्रकार जिन लोगों की मस्तिष्क रेखा बृहस्पति से निकलती है, उन व्यक्तियों में स्वभावतः ही उपरोक्त सभी गुण आ जाते हैं। ऐसे व्यक्ति पुरुषार्थ से जीवन बनाते हैं तथा स्वयं के गुणों में निरन्तर वृद्धि करने वाले होते हैं। इनकी मस्तिष्क शब्द कोष होता है व ग्रहण-शक्ति अच्छी होती है।
ये बैद्धिक त्रुटियां नहीं करते। संयोगवश यदि कोई गलती कभी कर जाएं तो पुनरावृति का तो प्रश्न ही नहीं उठता।
महत्वाकांक्षा की विशेष भावना इनमें पाई जाने के कारण अध्ययन के समय ये गुट बना कर रहते हैं: रुढिवादिता इन्हें बिल्कुल पसन्द नहीं होती, अतः अपने परिवार वालों से इनका विरोध बना रहता है। अध्ययन में तो ये निपुण होते हैं, परन्तु मेहनती नहीं होते।
ऐसे व्यक्तियों की उंगलियां मोटी हों तो आत्म-सम्मान के कारण झगड़े आदि रहते हैं तथा मस्तिष्क रेखा की कोई शाखा मंगल पर जाती हो तो कत्ल जैसे लांछन भी जीवन में लगते हैं। यह सब, सम्मान अथवा महत्वाकांक्षा के कारण ही होता है। (नितिन कुमार पामिस्ट )
सुधारवादी दृष्टिकोण के कारण इनके चरित्र में धीरे-धीरे सुधार होता जाता है। यदि मस्तिष्क रेखा में कोई दोष जैसे लाल या काली न हो तो समय आने पर ऐसे व्यक्ति स्वयं पैरों पर खड़े हो जाते हैं। उगलियां पतली होने पर उपरोक्त दोषपूर्ण फल नहीं होते।
ये स्वाभिमानी होते हैं, झुकना पसन्द नहीं करते और छोटी सी बात को भी बहुत महसूस करते हैं। कभी-कभी यहां तक नौबत आती है कि छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा कर बैठते हैं। यदि इनकं गृहस्थ-सम्बन्ध में जरा भी त्रुटि हो तो छोटी सी बात पर ही अपमान महसूस कर जाते हैं जैसे यदि पत्नी विना कहे कहीं चली जाए तो ये उसे लेने जाएं, ऐसा प्रश्न ही नहीं उठता।
थोड़ा भी विरोध आपस में होने पर, दूसरे को ही झुकना पड़ता है। ऐसी स्त्रियां रोने में तेज, अड़ने वाली, शुरू में डरने वाली तथा बाद में बहादुर होती हैं। इन्हें छोटे काम करने में लज्जा अनुभव होती है। कभी-कभी आत्मसम्मान की मात्रा यहां तक बढ़ जाती है कि यदि गलत बात मुंह से निकल जाए तो उसी पर अड़ जाते हैं।
छोटा काम नहीं करने के कारण स्थायित्व देर से प्राप्त होता है क्योंकि जब तक इनकी रुचि का कार्य नहीं मिलता, तब तक ये अपने आपको स्थायी महसूस नहीं करते और लगातार काम बदलने की सोचते रहते हैं। ऐसे व्यक्तियों की भाम्य रेखा चन्द्रमा से निकली हो तो स्त्री लोलुप होते हैं। (नितिन कुमार पामिस्ट )
ये मिलनसार व दृढ़ निश्चयी भी होते हैं। जिससे इनका परिचय या मित्रता हो जाती हैं, जीवन भर निभाते हैं, मित्रता होती भी अधिक व्यक्तियों से है। स्वयं से कोई गलती या अपराध होने पर क्षमा मांगने में देर नहीं करते और यदि कोई व्यक्ति गलती करके इनसे क्षमा मांगे तो क्षमा भी कर देते हैं।
ऐसे व्यक्तियों की दृदय रेखा व मस्तिष्क रेखा यदि एक-दूसरे के समानान्तर हो तो बदले की भावना रहती हैं, जिसके पीछे पड़ते हैं, उन्हें जड़ से उखाड़ देते हैं। परोपकारी, व्यवहारिक व मानवोचिन गुण होने के साथ ही जैसे के साथ तैसा व्यवहार करने वाले होते हैं।
ऐसे व्यक्तियों की दृदय रेखा व मस्तिष्क रेखा यदि एक-दूसरे के समानान्तर हो तो बदले की भावना रहती हैं, जिसके पीछे पड़ते हैं, उन्हें जड़ से उखाड़ देते हैं। परोपकारी, व्यवहारिक व मानवोचिन गुण होने के साथ ही जैसे के साथ तैसा व्यवहार करने वाले होते हैं।
ऐसे व्यक्ति झगड़े में कम पड़ते हैं और यदि किसी झगड़े में आ भी जाते हैं तो उसका निपटारा भी स्वयं ही कर देते हैं। मुकद्दमें लड़ने में यदि डिकरी भी हो जाए तो ऐसे व्यक्ति उन्हें क्षमा मांगने पर छोड देते हैं। पैसा देने या अन्य कोई वायदा ये करते हैं तो उसका पूर्णतया पालन करते हैं, चाहें अपना काम बन्द करके भी करना पड़े। अत: बाजार में इनकी साख होती है।
मस्तिष्क रेखा समानान्तर होने पर ये लम्बे समय तक किसी बात को नहीं भूल सकते और अवसर आने पर बदला लिए बगैर नहीं छोड़ते।
मस्तिष्क रेखा समानान्तर होने पर ये लम्बे समय तक किसी बात को नहीं भूल सकते और अवसर आने पर बदला लिए बगैर नहीं छोड़ते।
ऐसे व्यक्ति अपने शत्रु को जान से नहीं मारते, जीवित रखकर मुकाबला करते हैं या अहसान से मारते हैं। उत्तरदायित्व अधिक अनुभव करने के कारण ऐसे व्यक्ति उस समय तक विवाह नहीं करते जब तक ये अपने पैरों पर खड़े न हो जाएं।
अतः अपनी शादी तक रोक देते हैं तथा आदर्श पसन्द या अन्य किसी करण से इनकी शादी में कई बार विध्न पड़ता है।
अतः अपनी शादी तक रोक देते हैं तथा आदर्श पसन्द या अन्य किसी करण से इनकी शादी में कई बार विध्न पड़ता है।