ताप (गरमी) की दृष्टि से हाथों का वर्गीकरण | Hastrekha Hindi
1. गरम हाथः हाथ का अस्वाभाविक रूप में गरम बने रहना रोग का गोतक है। इन्हें गरमी तथा सरदी दोनों ही अधिक महसूस होती है। ऐसे व्यक्ति अम्ल-पित्तधारी होते हैं। इन्हें उच्च रक्तचाप का रोग हो सकता है।
2. ठण्डा हाथ: हाथ का अस्वाभाविक रूप से सदा ठण्डा रहना निम्न रक्तचाप रोग का द्योतक होता है। पुरुष में यह पौरुष की कमी दिखाता है। उसे मूत्र सम्बन्धी रोगों की सम्भावना भी होती है। ऐसी स्त्रियों में प्रदर, गर्भपात, हड्डियों या बदन की पीड़ा, अपच आदि रोग भी हो सकते हैं। रेखाओं की दृष्टि से हाथ का वर्गीकरण अधिक रेखाओं वाला हाथः ये अधिक विचार तथा कल्पनायें करने वाले होते हैं। हथेली मुलायम होने पर, भावुकता, अत्यधिक संवेदनशीलता, ईमानदारी, दीन-दखियों के प्रति अत्यधिक सहानुभूति, शीघ्र उत्तेजित हो जाना, उत्तेजित स्वर में बोलना इनकी मुख्य विशेषताएँ हैं। ये तिल का ताड़ बना देते हैं अर्थात् 'छोटी-सी बात को बड़ी समझकर चिन्ता में पड़ जाते हैं। प्रायः तुनकमिजाज, कफज प्रकृति के और देर में सफलता पाने वाले होते हैं। इनकी छोटी-छोटी रेखाएँ अर्थहीन होती हैं।
अधिक रेखाओं वाले हाथ की हथेली कठोर तथा दृढ़ होने पर व्यक्ति को अधिक ऊर्जावान और शीघ्र उत्तेजित होने वाला बनाती है। ये दूसरों के लिए अधिक सफलता दिलाने वाले होते हैं, अपने आपको कम। जब हथेली पर सुन्दर हल्की चमकवाली त्वचा हो तो व्यक्ति अधिक आयु तक स्वस्थ तथा युवा रहता है।
कम रेखाओं वाले हाथः प्रायः मुख्य रेखाओं को छोड़कर अन्य रेखाएँ नहीं होती। कभी-कभार मुख्य रेखा भी हल्की होती अथवा नहीं होती। इनकी हथेली की जिल्द मोटी तथा मजबूत होती है। ऐसे हाथों में हल्की रेखाओं, चिह्नों, पर्वतों, पोरों, अंगूठे, अँगुलियों आदि की विशेषताओं का सूक्ष्मता से अध्ययन करना जरूरी है। कम रेखाओं वाले पुरुषों में भावुकता तथा कल्पनाशक्ति कम होती है। वे जल्दी घबड़ाते नहीं और यर्थाथवादी होते हैं। ऐसी महिलाओं की मानसिक-शान्ति में शादी के बाद भी बाधा बनी रहती है। वे अधिक रोने वाली और जमीन-जायदाद खरीदने की गहन इच्छा रखती हैं।
सामान्य नियमः कठोर और दृढ़ हथेली ऊर्जा, स्वास्थ्य और सन्तुलन देने वाली होती है। मुलायम हथेली वाला जल्दी अस्वस्थ होता है और सन्तुलन खो देता है।