मगल से निकली हुई हदय रेखा व्यक्ति में क्रोध, जल्दीबाजी, बुखार व खून की कमी का लक्षण है। खून की खराबी जैसे फोड़ा, फुन्सी, दाद आदि का प्रभाव इनको होता है।
मंगल से निकली हुई हृदय रेखा दोषपूर्ण भी हो तो उपरोक्त दोष अधिक होते हैं। हृदय रेखा में दोष हो तो आखों में दोष पाया जाता है। ऐसे व्यक्तियों के वंश में सूरजमुखी सन्तान होने की सम्भावना होती है। सूरजमुखी न होने पर आखें छोटी, तिरछा देखना या पलक झपकना आदि होते हैं।
स्वयं व सन्तान के चरित्र में भी कोई न कोई दोष होता है। ऐसे व्यक्तियों की सन्तान कुसंगति में पड़कर घर छोड़ कर भागती है। इनका स्वभाव चिड़चिड़ा होता है व घबराहट अधिक होती है । मंगल से निकली हुई हृदय रेखा मोटी व शाखा रहित हो। तो व्यक्ति दया-हीन होते हैं, ये मांस, मदिरा जैसे अभक्ष्य आहार करते हैं। मंगल से निकली हृदय रेखा उगलियों के आधार से बहुत नीचे हो तो व्यक्ति उपरोक्त दुर्गुण होते हुए भी किसी न किसी विषय में पारंगत होते हैं।