करपृष्ठ (हथेली के पिछले भाग) में अंगूठे तथा अंगुलियों के ऊपर कुछ छोटी-छोटी रेखाएं होती हैं। वे भी जातक के जीवन पर प्रभाव डालने वाली सिद्ध होती हैं। उनके विषय में निम्नानुसार समझना चाहिए
अंगूठे के पृष्ठ भाग पर नाखून के नीचे आडी रेखाओं में से पहली रेखा द्वारा जातक के जीवन के प्रथम भाग तथा दूसरी रेखा द्वारा जातक के जीवन के द्वितीय भाग के सम्बन्ध में विचार किया जाता है (चित्र संख्या 1)।
यदि इस स्थान पर चार रेखाएं हों तो बीच की दो रेखाओं को जीवन का मध्यभाग तथा पहली को पहला तथा अन्तिम को तीसरा अर्थात् अन्तिम भाग मानकर विचार करना चाहिए।
इस प्रकार इन रेखाओं के आधार पर सम्पूर्ण जीवन को तीन भागों में बांटकर फलाफल का निर्णय करना चाहिए।
यदि अंगूठे के पृष्ठ भाग की सभी रेखाएं पूर्ण निर्दोष तथा सुन्दर हों (चित्र संख्या 2) तो जातक का सम्पूर्ण जीवन आनन्दपूर्वक बीतता है तथा उसे प्रत्येक क्षेत्र में सफलताएं मिलती हैं।
यदि अंगूठे के पृष्ठ भाग की सभी रेखाएं टूटी हुई
श्रंखलाकार हों (चित्र संख्या 3) तो जातक का पर्ण जीवन दु:खमय बना रहता है तथा उसे सभी क्षेत्रों
में असफलताएं मिलती हैं।
यदि अंगूठे के पृष्ठ भाग की कुछ रेखाएं टूटी हुई और कुछ निर्दोष एवं सुन्दर हों (चित्र संख्या 4) तो जिस भाग की रेखाएं दोषयुक्त हों, जीवन का वह भाग दु:खमय तथा अन्य भाग सुखपूर्ण रहता है।
अंगुलियों के पृष्ठ भाग पर जो आड़ी रेखाएं पाई जाती हैं, उनका जातक के जीवन पर कोई उल्लेखनीय प्रभाव नहीं पड़ता। तथापि निर्दोष रेखाओं की उपस्थिति शुभ तथा दोषपूर्ण रेखाएं अशुभ मानी जाती हैं।
हाँ. अनामिका अंगली के पृष्ठ भाग पर, नख-मूल के ऊपरी भाग में यदि कोई आड़ी रेखा अलग दिखाई देती हो (चित्र संख्या 5) तो ऐसी रेखा वाला जातक धर्मात्मा, परोपकारी तथा रात्रि के समय भोजन न करने वाला होता। है यह कहा गया है। ऐसी रेखा वाले जातक को सोते। समय शुभ स्वप्न भी दिखाई देते हैं।