गुरु पर्वत
गुरु पर्वत को अंग्रेजी में जुपिटर कहते है। गुरु पर्वत धर्म, स्वाभिमान, नेतृत्व और शिक्षा का प्रतीक है।
गुरु पर्वत ऊँचा हो तो मेघावी, गंभीर विचारवाला होवे । गुरु पर्वत नीचा हो तो उपरोक्त शक्तियों का प्रायः अभाव । गुरु पर्वत मध्यम हो तो - सीमित मेधावी, कार्यशीलता ।
खड़ी रेखा - लम्बी होना आध्यात्मिक शक्ति तथा वांछित सात्विक जीवन का प्रदर्शक है।
आड़ी लम्बी अखंडित रेखा – आन्तरिक प्रेरणादायक बुद्धि तथा मार्ग दर्शक।
तिरछी रेखाएँ - बौद्धिक शक्ति के उपयोग में बाधाएँ तथा हानि। ये लेख भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट द्वारा लिखा गया है अगर आप उनके दवारा लिखे सभी लेख पढ़ना चाहते है तो गूगल पर इंडियन पाम रीडिंग ब्लॉग को सर्च करें और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें ।
गुरु पर्वत बाहर की ओर ऊँचा उठा हो - आध्यात्मिक शक्ति का प्रदर्शक है जिसमें भौतिक लाभ की वासना नहीं ।
गुरु पर्वत मध्यमा अंगुली के आधार की ओर ऊँचा उठा तो व्यक्ति अपनी मेघा शक्ति या आध्यात्मिक शक्ति का प्रयोग सांसारिक कार्यों में करे।