यदि अपनी कुल देवी का पता है ,पूजा करते हो तो किसी के आगे हाथ जोड़ने की जरूरत नहीं ,कुलदेवी का मतलब सौ सुनार की और एक लुहार की लेकिन बहुत से लोगों को अपनी कुलदेवी का पता नहीं होता है |
अपनी कुलदेवी या कुलदेवता का पता नहीं होने पर क्या करे ?
इसलिए वो अपनी कुलदेवी की पूजा अर्चना नहीं कर पाते है और जीवन भर परेशानियों से घिरे हुए रहते है । आज यहा पर आपको उन लोगों के लिए बेहद सरल उपाय बता रहे है जिनको अपनी कुल देवी या कुल देवता का नाम और मंदिर नहीं पता है लेकिन इस उपाय को कर के वो लोग अपनी परेशानियों से मुक्ति पा सकते है ।
आपको किसी भी दिन साबुत सुपारी लेनी है ( सुपारी खंडित न हो इसका विशेष ध्यान रखना होगा, साबुत ही होनी चाहिए) ।
अब सुबह नित्यकर्म से निबट कर पूजा के स्थान पर एक रूपए का सिक्का रखें ,उस पर सुपारी रखें । जल के पात्र से कुछ बूंदे पानी की सुपारी पर डालिए और फिर एक मौली का धागा सुपारी पर रख कर कहिये - माता जी वस्त्र अर्पित कर रहा हूँ, और फिर सुपारी पर सिन्दूर लगा कर कहिये - माता जी श्रृंगार ग्रहण करें और फिर घी का दीपक जलाएं और कहें माता जी अगर मुझ से कोई गलती हो गयी हो तो अपना समझ कर माफ़ कर दीजिए ।
मेरी रक्षा कीजिये और मेरे घर पर स्थान ग्रहण कीजिए और मुझे दर्शन दीजिए और मेरी मदद कीजिए ।
सुपारी को कुलदेवी मान कर उसी जगह रहने दें । वैदिक शस्त्र अनुसार मौली चढ़ते ही सुपारी गौरी गणेश का रूप ले लेती है । अब हर रोज शाम को दीपक जलाएं और कहें माता जी दर्शन दीजिए । कुल देवी माता प्रसन्न होते ही सपने में दर्शन देगी या फिर किसी भी रूप में आकर मदद करेगी और रास्ता दिखाएगी ।