करीना कपूर (जन्म: २१ सितम्बर १९८०) बॉलीवुड फिल्मों में काम करने वाली एक भारतीय फ़िल्म अभिनेत्री हैं। कपूर फ़िल्म परिवार में जन्मी करीना ने अभिनय की शुरुआत साल २००० में रिलीज़ हुई फ़िल्म रिफ्युज़ी के साथ की। इस फ़िल्म में अपने अभिनय के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट फीमेल डेब्यू यानि उस साल अपने अभिनय जीवन की शुरुआत करने वाली अभिनेत्रियों में से सर्वश्रेष्ठ अभिनत्री का पुरस्कार भी मिला।
साल २००१ में, अपनी दूसरी फ़िल्म मुझे कुछ कहना है रिलीज़ होने के साथ ही, कपूर को अपनी पहली व्यावसायिक सफलता मिली। इसके बाद इसी साल आई करन जौहर की नाटक से भरपूर फ़िल्म कभी खुशी कभी ग़म में भी करीना नज़र आयीं। ये फ़िल्म उस साल विदेशों में सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली भारतीय फ़िल्म बन गई और साथ ही करीना के लिए ये तब तक की सबसे बड़ी व्यावसायिक सफलता थी।
२००२ और २००३ में लगातार कई फिल्मों की असफलता और एक जैसी भूमिकाएं करने की वजह से करीना को समीक्षालों से काफ़ी नकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिलीं, उसके बाद करीना ने एक जैसी भूमिकाओं या टाईपकास्ट (typecast) से बचने के लिए ज्यादा मेहनत वाली और कठिन भूमिकाएं लेना शुरू कर दिया।
फ़िल्म चमेली (Chameli) में देह व्यापार करने वाली एक लड़की की भूमिका ने उनके करियर की दिशा बदल दी। इस फ़िल्म में अपने अभिनय के लिए उन्हें फ़िल्मफेयर स्पेशल परफोर्मेंस अवार्ड या फ़िल्मफेयर विशिष्ट प्रदर्शन पुरस्कार (Filmfare Special Performance Award) भी मिला।
इसके बाद, फ़िल्म समीक्षकों द्वारा बहुप्रशंसित फिल्मों देव और ओंकारा में अभिनय के लिए उन्हें फिल्मफेयर समारोह में आलोचकों की दृष्टि से दो सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार (Critics Awards for Best Actress) भी मिले। २००४ और २००६ के बीच अभिनय के क्षेत्र में इतनी अलग-अलग तरह की भूमिकाएं करने के बाद उन्हें बहुमुखी प्रतिभा की धनी अभिनेत्री के रूप में जाना जाने लगा।
वर्ष २००७ में, कपूर ने व्यावसायिक दृष्टि से बेहद सफल रही कॉमेडी-रोमांस फ़िल्म जब वी मेट में अपने प्रदर्शन के लिए फिल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार जीता.बॉक्स ऑफिस पर कमाई करने के मामले में भले ही उनकी फिल्मों का प्रदर्शन काफी अलग अलग रहा हो लेकिन करीना ख़ुद को हिन्दी फ़िल्म उद्योग में आज कल की अग्रणी फ़िल्म अभिनेत्री के रूप में स्थापित करने में सफल रही हैं।
करीना का जन्म भारत के महाराष्ट्र प्रान्त की राजधानी मुंबई में बसे पंजाबी मूल के कपूर फ़िल्म परिवार में हुआ। करीना, फ़िल्म अभिनेता रणधीर कपूर और अभिनेत्री बबिता (जिनका शादी से पहले का नाम शिवदासनी था) की सबसे छोटी बेटी हैं। करीना के अनुसार, उनका प्रथम नाम एन्ना करेनिना नामक पुस्तक से लिया गया है। वो अभिनेता और फ़िल्म निर्माता राज कपूर की पोती और पृथ्वीराज कपूर की परपोती हैं। प्यार से बेबो के नाम से पुकारी जाने वाली करीना, अभिनेत्री करिश्मा कपूर की बहन और अभिनेता ऋषि कपूर की भतीजी भी हैं।
इसके बावजूद कि उनका जन्म फिल्मी दुनिया में एक सफल और नामचीन परिवार में हुआ था, लेकिन उनके पिता चाहते थे कि वो भारतीय प्रथा के अनुसार जल्दी से शादी कर लें और अभिनय से दूर रहें। ब्रिटैनि का विश्वकोष (Encyclopedia Britannica) के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि दरअसल उन्हें औरतों के अभिनय करने पर ऐतराज़ नहीं था, ख़ुद उनकी, उनके भाई कि और यहाँ तक कि उनके चाचाओं कि शादियाँ भी जानी मानी अभिनेत्रियों से हुई थीं।
बल्कि, उन्हें चिंता इस बात से थी कि एक महिला के लिए परिवार और माँ के रूप में अपने दायित्व और अभिनय के बीच सामंजस्य बिठाना नामुमकिन सा था। इस वजह से कपूर के माता-पिता के बीच काफी मतभेद पैदा हो गए, यहाँ तक की अंत में उनकी माँ ने कपूर और उनकी बड़ी बहन को साथ लेकर घर छोड़ दिया।१९९१ तक जब तक बड़ी बहन करिश्मा ने अभिनय करना शुरू नहीं किया तब तक उनकी माँ ने कई नौकरियां करके बड़ी मुश्किल से उन्हें बड़ा किया।
कपूर की पढ़ाई मुंबई में जमनाबाई नर्सी स्कूल और बाद में देहरादून के वेल्हैम गर्ल्स बोर्डिंग स्कूल से हुई।मीठीबाई कॉलेज, विले पार्ले में दो साल वाणिज्य कि पढ़ाई करने के बाद, उन्होंने हावर्ड विश्वविद्यालय से माइक्रो कम्प्यूटर्स में तीन महीने का ग्रीष्म कोर्स किया। बाद में उनकी रुचि कानून की पढ़ाई में विकसित हुई और उन्होंने चर्चगेट स्थित गवर्नमेंट ला कॉलेज में दाखिला लिया। वहां एक साल पूरा करने के बाद, वह एक अभिनेत्री बनने की अपनी प्रारंभिक योजना की तरफ़ लौटीं और किशोर नामित कपूर के अभिनय संस्थान में प्रशिक्षण लेने लगीं.
फिल्मों में कपूर की शुरुआत होने वाली थी राकेश रौशन की फ़िल्म कहो ना ...प्यार है) (२०००) के साथ, जिसमें उनके साथ राकेश रौशन के बेटे हृतिक रौशन थे।[18] हालांकि, कई दिनों की तक दृश्य फिल्माने के बाद उन्होंने ये फिल्म छोड़ दी और बाद में कहा कि, "शायद किस्मत में यही था कि मैं इस फिल्म में नहीं रहूंगी." आखिरकार, ये उनके बेटे के फिल्मी करियर की शुरुआत थी। सारा ध्यान लड़के पर ही था। अब मुझे अच्छा लगता है कि मैंने ये फ़िल्म नहीं की." कहो ना... को मना करने के बादप्यार है को मना करने के बाद, उन्होंने अपनी पहली फ़िल्म की - अभिषेक बच्चन के साथ जे. पी. दत्ता की युद्ध पर आधारित नाटकीय फ़िल्म रिफ्यूजी.भारत और पाकिस्तान की लड़ाई , की पृष्ठभूमि पर बनी ये फ़िल्म रिफ्यूजी के नाम से जाने जाने वाले एक युवक (जिसका किरदार बच्चन ने निभाया था) के इर्द गिर्द घुमती है, जो नागरिकों को अवैध रूप से पकिस्तान सीमा के इस पार और उस पार ले जाया करता था।
कपूर ने नाज़ नाम की एक बांग्लादेशी लड़की का किरदार निभाया था जो उस युवक के सात पाकिस्तान जाने के दौरान उससे प्यार करने लगती है। कपूर के अभिनय को आलोचकों ने खूब सराहा; इंडिया एफ एम के तरन आदर्श ने लिखा, "करीना कपूर का व्यक्तित्व चुम्बकीय है जिससे दर्शक अकस्मात ही उनके प्यार में पड़ जाता है।" वो जिस तरह से कठिन से कठिन दृश्यों को बड़ी ही आसानी के साथ निभा देती हैं, वो चीज़ आपको आश्चर्य चकित कर देती है इस बात को कोई नकार नहीं सकता है कि वो कैमरा के अनुकूल है और एक असल कलाकार हैं। कपूर के अभिनय के लिए उन्हें फ़िल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला और रिफ्यूजी उस वर्ष सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में पांचवें स्थान पार रही।
साल २००९ में, कपूर ने तुषार कपूर के साथ सतीश कौशिक द्वारा निर्देशित रोमांटिक ड्रामा फ़िल्म मुझे कुछ कहना है में काम किया। कपूर ने इस फ़िल्म में पूजा नाम कि एक लड़की की भूमिका निभाई थी। फ़िल्म की कहानी एक ऐसे परेशान युवक पर आधारित थी जो पूजा से प्यार करने लगता है। ये फ़िल्म भी उस साल सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक थी। हालांकि, इसके बाद में आई कपूर की फिल्में जैसे यादें और अजनबी बॉक्स ऑफिस पर कुछ ख़ास प्रदर्शन नहीं कर पायीं।
इसी साल, उन्हों ने संतोष सीवान के ऐतिहासिक महाकाव्य फ़िल्म अशोका की, जो की आंशिक रूप से मौर्य साम्राज्य के प्रख्यात भारतीय सम्राटों में से एक अशोक महान(३०४ ई.पू.-२३२ ई.पू.) के जीवन पर आधारित थी।वेनिस फिल्म समारोह और २००१ टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के दौरान स्क्रीनिंग सहित इस फ़िल्म की शुरुआत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफ़ी ज़ोरदार प्रदर्शन के साथ हुई. इस फ़िल्म में शाहरुख़ खान की सम्राट अशोक के रूप में केंद्रीय भूमिका थी और उनके साथ कपूर कलिंग की राजकुमारी कौरवाकी की भुमिका में थीं जिस से अशोक को गहरा प्यार हो जाता है। हालांकि फ़िल्म को आम तौर पर सकारात्मक समीक्षा मिली, कपूर के अभिनय को समीक्षकों ने मिलीजुली प्रतिक्रिया दी. वहीं कुछ समीक्षकों का ये भी कहना था कि फ़िल्म में कपूर को प्राथमिक रूप से मात्र सौंदर्य प्रदर्शन करने के लिए लिया गया है।
रेडिफ डाट कॉम पर आई एक समीक्षा का उनके प्रदर्शन के बारे में कहना है,"फ़िल्म के शुरूआती आधे हिस्से में करीना काफ़ी देर तक परदे पर छाई रहती हैं और उन्होंने काफी अंग प्रदर्शन किया है। हालांकि फ़िल्म के शुरूआती आधे हिस्से का एक बड़ा भाग भागे हुए राजकुमार और उनके बीच पनपते और बढ़ते प्यार को दिखता है और उनके पक्ष में परदे पर उनके बीच की केमिस्ट्री कुछ हद तक काम भी करती है, लेकिन इसके बावजूद मैं उनकी अभिनय क्षमता के बारे में कुछ कहने में असमर्थ हूँ." बहरहाल, उनके प्रदर्शन ने कुछ आलोचकों की प्रशंसा जीती और उनके लिए फ़िल्मफेयर का पहला सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री नामांकन अर्जित किया। कभी खुशी कभी ग़म में "पू" के किरदार में २००१ में, कपूर की आखिरी रिलीज़ थी कभी खुशी कभी ग़म जो १४ दिसम्बर को प्रर्दशित हुई और जिसका निर्देशन करण जौहर ने किया था।
सोर्स - वेबदुनिया