हस्तरेखा में संतान रेखा का परिचय
संतान रेखायें वे होती है जो विवाह रेखा के अन्त में उसके उपरी भाग में ऊपर की ओर जाती है। विवाह रेखा पर खड़ी और सीधी रेखा स्वस्थ पुत्र और टेडी रेखा और कमजोर रेखा पुत्री का संकेत देती है।
योगी, साधु सन्यासी, मठाधीश और शती लोगों के हाथ में विवाह और संतान रेखा के स्थान पर शिष्यों और पूज्य को क्रमशः माना जाता है।
संतान के सम्बन्ध में विचार करते समय हाथ के अन्य भागों की परीक्षा भी आवश्यक है। कभी-ंकभी यह रेखा इतनी सूक्ष्म होती है कि इसके परीक्षण के लिए मैग्नीफाइंग कांच की मदद लेनी पड़ती है।
इस सम्बन्ध में कुछ और बातें ध्यान रखने योग्य हैं।
संतान रेखायें वे होती है जो विवाह रेखा के अन्त में उसके उपरी भाग में ऊपर की ओर जाती है। विवाह रेखा पर खड़ी और सीधी रेखा स्वस्थ पुत्र और टेडी रेखा और कमजोर रेखा पुत्री का संकेत देती है।
योगी, साधु सन्यासी, मठाधीश और शती लोगों के हाथ में विवाह और संतान रेखा के स्थान पर शिष्यों और पूज्य को क्रमशः माना जाता है।
संतान के सम्बन्ध में विचार करते समय हाथ के अन्य भागों की परीक्षा भी आवश्यक है। कभी-ंकभी यह रेखा इतनी सूक्ष्म होती है कि इसके परीक्षण के लिए मैग्नीफाइंग कांच की मदद लेनी पड़ती है।
इस सम्बन्ध में कुछ और बातें ध्यान रखने योग्य हैं।
- रेखा के पतले भाग में द्वीप हो तो संतान आरम्भ में निर्बल होगी बाद में यही रेखा स्पष्ट होगी तो स्वस्थ्य हो जायेगें।
- यदि रेखा के अन्त में द्वीप चिह्न हो तो बच्चा जीवित नहीं रहता।
- यदि संतान रेखा उतनी ही स्पष्ट हो जितनी कि उसके पत्नी की है तो जातक बच्चों को बहुत प्यार करता है और उसका स्वभाव बहुत ही स्नेही होता है।
- यदि हृदय रेखा बुध क्षेत्र पर दो या तीन रेखाओं में विभाजित होकर शाखा स्पष्ट होवे तो वह व्यक्ति संतान युक्त होता है।
कितने बच्चे होंगे और कितने लड़के होंगे और कितनी लड़की होंगी ये पता करने के लिए इस पोस्ट को पढ़ें - संतान रेखा की गणना कैसे करे ?