सूर्य रेखा | हस्तरेखा
सूर्य रेखा का महत्व और सूर्य रेखा से अपनी प्रतिष्ठा और धन के बारें में जाने
जो भी रेखा सूर्य पर जाती है सूर्य रेखा कहलाती है। इसका निकास जीवन रेखाए भाग्य रेखाए मस्तिष्क रेखा व मंगल रेखा आदि से होता है। कई बार सूर्य रेखा एक दो से अधिक भी देखी जाती है। इस रेखा का भी महत्व स्वतन्त्र नहीं है। यह रेखा हाथ के अन्य गुणों में वृद्धि करने वाली होती है । सूर्य रेखाए जीवन रेखा से निकल कर सूर्य पर जाती हो हाथ अच्छा भाग्य रेखाएं अनेक व विशेष भाग्य रेखा हो तो व्यक्ति प्रगतिशील जनहित के कार्य करने वालाए नेता राजनीति या यूनियनों में भाग लेने वाला होता है। इन्हें सिनेमा होटल या जमीन खोदकर निकालने वाले पदार्थों से लाभ प्राप्त होता है। ऐसे व्यक्तियों से जिनका विशेष सम्पर्क होता है उनके हाथों में भी सूर्य रेखा होती है। डाक्टर वैद्य हकीम तथा सिनेमा सम्बन्धी कार्य करने वालेए वकील पत्रकार व नेताओं के हाथों में इस प्रकार की सूर्य रेखा होती है। यहां एक बात ध्यान में रखने की है कि हाथ में अधिक रेखाएं होने पर केवल उन्हीं रेखाओं का फल होता है जो स्पष्ट व निर्दोष होती हैं टूटी.फूटी व महीन रेखाओं का फल दब जाता है।
मस्तिष्क रेखा से सूर्य रेखा निकलने पर व्यक्तिगत गुण व योग्यता के आधार पर अचानक भाग्योदय होता है। इनका काम करने का अपना ढंग होता है तथा जिस आयु में यह सूर्य रेखा मस्तिष्क रेखा से निकलती है। उस समय में प्रसिद्धि व धन प्राप्त होता है। यदि सूर्य रेखाएं त्रिकोण से निकलती हों तो विपुल धन सम्पत्ति प्राप्त होती है। इस आयु में सम्पत्ति व व्यापार में भी लाभ होता है।
सूर्य रेखा का निकास मस्तिष्क रेखा से हो तो व्यक्ति को अपने किसी घर या अन्य सम्पत्ति में गड़े हुए धन का लाभ स्वयं को न होकर वंश में अन्य किसी को या किसी सन्तान आदि को होता है।
हृदय रेखा से सूर्य रेखा निकलने की दशा में जीवन में 35 वर्ष की आयु के पश्चात् प्रकाश आता है। ऐसे व्यक्ति बड़ी आयु में विशेष उन्नति करते देखे जाते हैं। सूर्य रेखा दो होने पर इस आयु में हृदय रेखा में त्रिकोण भी हो तो सम्पत्ति वा मकान का निर्माण होता है। ये सहदय सच्चरित्र व धार्मिक होते हैं और राम विष्णु आदि की उपासना करते हैं।
कई बार सूर्य रेखा किसी भी मंगल से निकल कर सूर्य पर जाती है। यह सूर्य रेखा संघर्ष के पश्चात् उन्नति होने का लक्षण है। इस दशा में सम्पति निर्माण के पश्चात् सम्मान प्राप्त होता है। इनके घरों में कलह रहता है क्योंकि ऐसे व्यक्ति घूमने.फिरने के शौकीन होते हैं घर की ओर कम ध्यान देते हैं। इन्हें तीसरे या चौथे दिन बुखार होता है। जीवन में एक.दो बार ये टायफाइड से भी ग्रस्त होते हैं। ये 41 वर्ष की आयु के पश्चात् ही भाग्य निर्माण में सफल होते
चन्द्रमा से सूर्य रेखा निकलने पर हाथ व रेखाएं निर्दोष हों तो आध्यात्मिक उन्नति का लक्षण है। अन्तज्ञान रेखा भी होने पर इस सम्बन्ध में विशेष उन्नति होती है। ये पूर्ण ईश्वर अनुभूति की ओर बढ़ते हैं। ऐसे व्यक्ति योग व ज्ञान में भी विशेष रूचि रखते हैं। मस्तिष्क रेखा की शाखा या मस्तिष्क रेखा स्वयं चन्द्रमा की ओर जाने की दशा में मिश्रित ज्ञान के अनुयायी ज्ञानी व भक्त होते हैं। ये ध्यान सिद्ध होते हैं और भाव समाधि आदि लक्षण जिन्हें सात्विक विकार कहा जाता हैं इनमें प्रकट नहीं होते। हाथ में अन्य उत्तम लक्षण होने पर इन्हें अन्तिम आयु में विशेष अवस्था प्राप्त होती है। इनकी मस्तिष्क रेखा में कोई न कोई दोष अवश्य पाया जाता है। मस्तिष्क रेखा निर्दोष होने की दशा में उपरोक्त फल नहीं होते। यह सम्पति लाभ जैसे किराये आदि की आय का लक्षण है।
चन्द्रमा से दो सूर्य रेखाएं निकल कर सूर्य पर जाती हों तो जीवन साथी बहुत सुन्दर व सुशील होता है जबकि ऐसे व्यक्ति स्वयं साधारण होते हैं।
बुध रेखा से सूर्य रेखा निकले तो व्यक्ति व्यापार क माध्यम से धन व ख्याति अर्जित करते हैं। ऐसे लक्षण बड़े व्यापारियों व मिल मालिकों के हाथों में पाये जाते हैं। ये धनी व प्रसिद्ध होते हैं। मंगल से सूर्य रेखा निकलने पर यदि हृदय रेखा में द्वीप या अन्य विशेष दोष हो तो अपखों या हदय में रोग होता है। बड़ी आयु में धन प्रतिष्ठा व प्रसिद्धि प्राप्त होती है।
सूर्य रेखा में द्वीप गड्ढे या लाल व काले धब्बे हों तो जीवन में बदनामी का कारण उपस्थित करते हैं। ऐसे व्यक्तियों को पत्नी की बदनामी के कारण परेशानी होती है। सूर्य रेखाए समकोण चमसाकार दार्शनिक व आदर्शवादी हाथों में विशेष फल करती है। सभी ग्रह उन्नत होने पर ऐसे व्यक्ति स्वतन्त्र आदत के होते हैं किसी के अधीन रहकर कार्य नहीं कर सकते। अतरू शीघ्र ही स्वतन्त्र व्यवसाय का प्रबन्ध कर लेते हैं। इन्हें आरम्भ में नौकरी अवश्य करनी पड़ती है क्योंकि ये किसी का एहसान नहीं लेते और न ही किसी से उधार मांगते हैं।
दो सूर्य रेखाओं वाले व्यक्ति दयालु होते हैं। ऐसे व्यक्ति को स्वास्थ्य सम्बन्धी थोड़ी बहुत चिन्ता अवश्य रहती है। इनका भाग्योद्य अचानक होता है।
सूर्य रेखा हृदय रेखा तक या इससे भी छोटी हो और उगलियों की ओर से मोटी व नीचे से पतली हो तो छाती में चोट लगती है या दर्द रहता है। इनकी हदय रोग की पूरी सम्भावना रहती है। यह लक्षण 80 प्रतिशत हाथों में पाए जाते हैं। इसी प्रकार सूर्य रेखा हृदय रेखा तक या इससे भी छोटी हो और उगलियों की ओर से मोटी व नीचे से पतली हो तो छाती में चोट लगती है या दर्द रहता है। इनको हृदय रोग की पूरी सम्भावना रहती है। यह लक्षण 80 प्रतिशत हाथों में पाए जाते हैं। इसी प्रकार जौ की लम्बाई का टुकड़ा अधिक दोषपूर्ण फल करता है। सूर्य रेखा प्रभावित रेखा या इसके पास से निकलने पर जीवन रेखा व मस्तिष्क रेखा में त्रिकोण हो तो ससुराल से धन लाभ होता है। प्रभावित रेखा में त्रिकोण होने पर विशेष धन लाभ होता है या किसी विवाद के पश्चात् भाग्योद्य होता है।
मस्तिष्क रेखा निर्दोष होने पर जब उससे एक या अधिक निर्दोष सूर्य रेखाएं निकलती हों तो उस आयु में व्यक्ति को प्रसिद्धि प्राप्त होती है और धन.सम्पति का सुख होता है। इस आयु में एक आश्चर्यजनक बात घटित होती है कि जो व्यक्ति सदैव ही इनका विरोध करते हैं वे इस आयु में इनका साथ देते हैं व प्रशंसा करते हैं। स्पष्टवक्ता होने के कारण आरम्भ में इनका विरोध होता हैं परन्तु मध्य आयु में क्रोध कम हो जाने के कारण अपने शत्रुओं को वश में कर लेते हैं।
सूर्य रेखा का महत्व और सूर्य रेखा से अपनी प्रतिष्ठा और धन के बारें में जाने
जो भी रेखा सूर्य पर जाती है सूर्य रेखा कहलाती है। इसका निकास जीवन रेखाए भाग्य रेखाए मस्तिष्क रेखा व मंगल रेखा आदि से होता है। कई बार सूर्य रेखा एक दो से अधिक भी देखी जाती है। इस रेखा का भी महत्व स्वतन्त्र नहीं है। यह रेखा हाथ के अन्य गुणों में वृद्धि करने वाली होती है । सूर्य रेखाए जीवन रेखा से निकल कर सूर्य पर जाती हो हाथ अच्छा भाग्य रेखाएं अनेक व विशेष भाग्य रेखा हो तो व्यक्ति प्रगतिशील जनहित के कार्य करने वालाए नेता राजनीति या यूनियनों में भाग लेने वाला होता है। इन्हें सिनेमा होटल या जमीन खोदकर निकालने वाले पदार्थों से लाभ प्राप्त होता है। ऐसे व्यक्तियों से जिनका विशेष सम्पर्क होता है उनके हाथों में भी सूर्य रेखा होती है। डाक्टर वैद्य हकीम तथा सिनेमा सम्बन्धी कार्य करने वालेए वकील पत्रकार व नेताओं के हाथों में इस प्रकार की सूर्य रेखा होती है। यहां एक बात ध्यान में रखने की है कि हाथ में अधिक रेखाएं होने पर केवल उन्हीं रेखाओं का फल होता है जो स्पष्ट व निर्दोष होती हैं टूटी.फूटी व महीन रेखाओं का फल दब जाता है।
जीवन रेखा से उदित सूर्य रेखा के साथ मंगल रेखा भी हो तो व्यक्ति धनी रहता है और भूमि सम्बन्धी कामों से विपुल धन सम्पति अर्जित करता है। यदि जीवन रेखा के आरम्भ से कोई रेखा बृहस्पति पर जाती हो तो इस फल में अनेक गुना वृद्धि करती है। स्वतन्त्र बृहस्पति रेखा होने पर तो ऐसे व्यक्ति करोड़पति होते हैं और जीवन में सभी प्रकार के सुख पाते हैं।
भाग्य रेखा से सूर्य रेखा निकलने पर यदि जीवन रेखा व मस्तिष्क रेखा में एक ही आयु में त्रिकोण हो तो उस आयु में लाटरी जुए सट्टे या अन्य कहीं से अचानक धन लाभ होता है। सूर्य रेखा में भी त्रिकोण या एक से अधिक सूर्य रेखाएं हो तो कहना ही क्या हाथ में अन्य लक्षणों को देखकर प्राप्त होने वाले धन का परिणाम कहना चाहिए। उपरोक्त प्रकार से धन प्राप्त नहीं हो तो कई साधनों से धन की विशेष आय होती है। मस्तिष्क रेखा निदॉष जीवन रेखा गोलाकार व विशेष भाग्य रेखा हो तो इस प्रकार की रेखाओं का फल अधिक या कम लक्षणानुसार होता है।
मस्तिष्क रेखा से सूर्य रेखा निकलने पर व्यक्तिगत गुण व योग्यता के आधार पर अचानक भाग्योदय होता है। इनका काम करने का अपना ढंग होता है तथा जिस आयु में यह सूर्य रेखा मस्तिष्क रेखा से निकलती है। उस समय में प्रसिद्धि व धन प्राप्त होता है। यदि सूर्य रेखाएं त्रिकोण से निकलती हों तो विपुल धन सम्पत्ति प्राप्त होती है। इस आयु में सम्पत्ति व व्यापार में भी लाभ होता है।
सूर्य रेखा का निकास मस्तिष्क रेखा से हो तो व्यक्ति को अपने किसी घर या अन्य सम्पत्ति में गड़े हुए धन का लाभ स्वयं को न होकर वंश में अन्य किसी को या किसी सन्तान आदि को होता है।
हृदय रेखा से सूर्य रेखा निकलने की दशा में जीवन में 35 वर्ष की आयु के पश्चात् प्रकाश आता है। ऐसे व्यक्ति बड़ी आयु में विशेष उन्नति करते देखे जाते हैं। सूर्य रेखा दो होने पर इस आयु में हृदय रेखा में त्रिकोण भी हो तो सम्पत्ति वा मकान का निर्माण होता है। ये सहदय सच्चरित्र व धार्मिक होते हैं और राम विष्णु आदि की उपासना करते हैं।
कई बार सूर्य रेखा किसी भी मंगल से निकल कर सूर्य पर जाती है। यह सूर्य रेखा संघर्ष के पश्चात् उन्नति होने का लक्षण है। इस दशा में सम्पति निर्माण के पश्चात् सम्मान प्राप्त होता है। इनके घरों में कलह रहता है क्योंकि ऐसे व्यक्ति घूमने.फिरने के शौकीन होते हैं घर की ओर कम ध्यान देते हैं। इन्हें तीसरे या चौथे दिन बुखार होता है। जीवन में एक.दो बार ये टायफाइड से भी ग्रस्त होते हैं। ये 41 वर्ष की आयु के पश्चात् ही भाग्य निर्माण में सफल होते
चन्द्रमा से सूर्य रेखा निकलने पर हाथ व रेखाएं निर्दोष हों तो आध्यात्मिक उन्नति का लक्षण है। अन्तज्ञान रेखा भी होने पर इस सम्बन्ध में विशेष उन्नति होती है। ये पूर्ण ईश्वर अनुभूति की ओर बढ़ते हैं। ऐसे व्यक्ति योग व ज्ञान में भी विशेष रूचि रखते हैं। मस्तिष्क रेखा की शाखा या मस्तिष्क रेखा स्वयं चन्द्रमा की ओर जाने की दशा में मिश्रित ज्ञान के अनुयायी ज्ञानी व भक्त होते हैं। ये ध्यान सिद्ध होते हैं और भाव समाधि आदि लक्षण जिन्हें सात्विक विकार कहा जाता हैं इनमें प्रकट नहीं होते। हाथ में अन्य उत्तम लक्षण होने पर इन्हें अन्तिम आयु में विशेष अवस्था प्राप्त होती है। इनकी मस्तिष्क रेखा में कोई न कोई दोष अवश्य पाया जाता है। मस्तिष्क रेखा निर्दोष होने की दशा में उपरोक्त फल नहीं होते। यह सम्पति लाभ जैसे किराये आदि की आय का लक्षण है।
चन्द्रमा से दो सूर्य रेखाएं निकल कर सूर्य पर जाती हों तो जीवन साथी बहुत सुन्दर व सुशील होता है जबकि ऐसे व्यक्ति स्वयं साधारण होते हैं।
बुध रेखा से सूर्य रेखा निकले तो व्यक्ति व्यापार क माध्यम से धन व ख्याति अर्जित करते हैं। ऐसे लक्षण बड़े व्यापारियों व मिल मालिकों के हाथों में पाये जाते हैं। ये धनी व प्रसिद्ध होते हैं। मंगल से सूर्य रेखा निकलने पर यदि हृदय रेखा में द्वीप या अन्य विशेष दोष हो तो अपखों या हदय में रोग होता है। बड़ी आयु में धन प्रतिष्ठा व प्रसिद्धि प्राप्त होती है।
दो सूर्य रेखाओं वाले व्यक्ति दयालु होते हैं। ऐसे व्यक्ति को स्वास्थ्य सम्बन्धी थोड़ी बहुत चिन्ता अवश्य रहती है। इनका भाग्योद्य अचानक होता है।
सूर्य रेखा हृदय रेखा तक या इससे भी छोटी हो और उगलियों की ओर से मोटी व नीचे से पतली हो तो छाती में चोट लगती है या दर्द रहता है। इनकी हदय रोग की पूरी सम्भावना रहती है। यह लक्षण 80 प्रतिशत हाथों में पाए जाते हैं। इसी प्रकार सूर्य रेखा हृदय रेखा तक या इससे भी छोटी हो और उगलियों की ओर से मोटी व नीचे से पतली हो तो छाती में चोट लगती है या दर्द रहता है। इनको हृदय रोग की पूरी सम्भावना रहती है। यह लक्षण 80 प्रतिशत हाथों में पाए जाते हैं। इसी प्रकार जौ की लम्बाई का टुकड़ा अधिक दोषपूर्ण फल करता है। सूर्य रेखा प्रभावित रेखा या इसके पास से निकलने पर जीवन रेखा व मस्तिष्क रेखा में त्रिकोण हो तो ससुराल से धन लाभ होता है। प्रभावित रेखा में त्रिकोण होने पर विशेष धन लाभ होता है या किसी विवाद के पश्चात् भाग्योद्य होता है।
मस्तिष्क रेखा निर्दोष होने पर जब उससे एक या अधिक निर्दोष सूर्य रेखाएं निकलती हों तो उस आयु में व्यक्ति को प्रसिद्धि प्राप्त होती है और धन.सम्पति का सुख होता है। इस आयु में एक आश्चर्यजनक बात घटित होती है कि जो व्यक्ति सदैव ही इनका विरोध करते हैं वे इस आयु में इनका साथ देते हैं व प्रशंसा करते हैं। स्पष्टवक्ता होने के कारण आरम्भ में इनका विरोध होता हैं परन्तु मध्य आयु में क्रोध कम हो जाने के कारण अपने शत्रुओं को वश में कर लेते हैं।