मोटी जीवन रेखा का अर्थ
पूरी जीवन रेखा के आकार को देखते हुए कई बार यह अन्य रेखाओं की अपेक्षा अधिक मोटी होती है। इस प्रकार की जीवन रेखा हृदय मस्तिष्क व भाग्य रेखा की तुलना में गहरी व चौड़ी होती है। मोटी जीवन रेखा वास्तव में व्यक्ति के लिए कष्टकारक ही होती है। यह हाथ में अच्छा लक्षण नहीं माना जाता है। इसके साथ यदि दूसरी रेखाएं भी मोटी हों तो इसका फल अपेक्षाकृत कम दोषपूर्ण होता है। कभी.कभी जीवन रेखा पूरी मोटी न होकर बीच में से कुछ भाग में ही मोटापन लिए होती है। जीवन में यह समय कष्ट और मानसिक अशान्ति का होता है।
जिस आयु में जीवन रेखा मोटी होती है उस समय स्वास्थ्यए घन सन्तान आदि की परेशानी रहती है। इसी समय में यदि मस्तिष्क रेखा भी दोषपूर्ण हो तो सन्तान की मृत्यु और स्वयं को भी पेट का रोग एवं अम्लपित रोग होता है। जितने समय तक जीवन रेखा में लगातार मोटापन पाया जाता है उस समय तक सन्तान नहीं होती है। यदि पहले सन्तान हो तो दूसरी सन्तान होने के समय में अन्तर रहता है। स्वयं को झंझट स्थान परिवर्तन मुकद्दमे आदि अनेक प्रकार के कष्ट इस समय में देखने में आते हैं। जीवन रेखा मोटी होने पर यदि मस्तिष्क रेखा मोटी हो तो जीवन आसानी से नहीं बीतता झंझट अधिक रहते हैं जायदाद सम्बन्धी मुकद्दमे होते हैं व झगड़ों में चोट आती है।
स्त्री के हाथ में जीवन रेखा मोटी होने पर उसका स्वास्थ्य कमजोर व स्वभाव चिड़चिड़ा होता है। अनबन रहती है। सन्तान के विषय में इन्हें चिन्ता रहती है तथा सन्तान को श्वेत प्रदर व कमर दर्द रहता है।
जीवन रेखा यदि आरम्भ में कुछ समय तक मोटी हो और मस्तिष्क रेखा में भी दोष हो तो शरीर में किसी न किसी प्रकार का दोष पाया जाता है जैसे कोई अंग बढ़ना हकलाना तुतलाना या कम्पवायु आदि। यह समय सन्तान के लिए ठीक नहीं होता। इस आयु में सन्तान नहीं होती परन्तु मस्तिष्क रेखा यदि अच्छी हो तो सन्तान तो होती है परन्तु स्त्री होने की दशा में स्वयं को या पुरुष होने की दशा में पत्नी को प्रजनन कष्ट होता है। जीवन रेखा का दोष निकलने के पश्चात् ही शान्ति मिलती है।
ऐसे व्यक्ति क्रोधी तथा जिद्दी होते हैं। जरा.सी बात पर बिगड़ पड़ते हैं तथा अधिक क्रोध करना इनकी आदत होती है। जीवन रेखा मोटी होने की आयु में यदि भाग्य रेखा न हो व हाथ सख्त हो तो लड़ाई झगड़ा होता रहता है। मस्तिष्क रेखा मंगल से निकल कर यदि मंगल पर गई हो तो ऐसा व्यक्ति महान लड़ाकू होता है।
विशेषतया यदि अंगूठा मोटा व कम खुलने वाला हो तो और भी बुरा होता है। ऐसे व्यक्तियों को सिर फुट्टा कहा जाता है। ये छोटी.सी बात पर क्रोधित होकर नीच कर्म करने वाले होते हैं कत्ल करने से भी नहीं हिचकते ऐसे लोगों से हमेशा दूर रहना चाहिए।
जीवन रेखा मोटी होने पर यदि अंगूठा अधिक खुले तो शरीर बहुत भारी हो जाता है। जीवन रेखा भारी होने के साथ.साथ हदय रेखा भी मोटी हो और मस्तिष्क रेखा अच्छी हो तो धन तो रहता है परन्तु परिवार बड़ा होने के कारण खर्चा अधिक होता है। परिवार उन्नति करता है तथा बच्चे बुद्धिमान होते हैं। इनको कमर तथा हृदय का रोग होता है।
जीवन रेखा मोटी पतली मोटी व फिर पतली इस प्रकार की हो तो जीवन में परिवर्तन होता रहता है। इसी के साथ यदि उस आयु में मस्तिष्क रेखा भी मोटी पतली हो तो जब दोनों रेखाओं में एक साथ मोटापन या पतलापन होगा तो जीवन में उन्नति होगी तथा एक रेखा में मोटापन व दूसरी में पतलापन होने पर परेशानी रहती है।
जिन हाथों में रेखाएं कम होती हैं उनमें केवल जीवन रेखा तथा मस्तिष्क रेखा के मोटे.पतलेपन या झुकाव आदि का ही अध्ययन किया जाता है क्योंकि उन हाथों में किसी प्रकार का थोड़ा.सा भी दोष बड़ा महत्व रखता है जो किसी महत्वपूर्ण घटना का सूचक होता है।