शरीर पर तिल का रहस्य
हथेली पर तिल का फल और फायदा नुकसान हस्तरेखा में बताया गया है और शरीर पर तिल का फल समुद्र शास्त्र में बताया गया है।
* बाईं कनपटी (बाएं कान के ऊपर का भाग) पर स्थित तिल का उत्तर-चिन्ह बाईं उरू अथवा कमर पर पाया जाता है। यह तिल किसी भी रंग का हो, स्त्री-पुरुष के जीवन पर बुरा प्रभाव डालने वाला होता है। ऐसे तिल वाले जातकों को अपने जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है तथा बहुत ही कष्ट में अपने दिन बिताने पड़ते हैं।
* बाईं भौंह पर स्थित इन तिलों के उत्तर-चिन्ह क्रमश: पेट के वामभाग, कमर तथा जंघा पर पाए जाते हैं। इन तिलों का रंग काला हो तो पुरुष अहंकारी स्वभाव का होता है तथा स्त्री भी अभिमानी एवं रोगिणी होती है। यदि तिलों का रंग लाल हो तो पुरुष अच्छे कुल में जन्म लेकर शुभ करने वाला, एकांतप्रिय तथा अल्प सम्पत्ति वाला होता है तथा स्त्री सुंदर, परन्तु तुच्छ विचारों वाली होती है।
* बाईं आंख की बरौनी पर स्थित इन तिलों के उत्तर-चिन्ह क्रमश: बाईं उरू, बाएं पुट्ठे तथा बाएं नितंब पर पाए जाते हैं। ये तिल किसी भी रंग के क्यों न हो, स्त्री-पुरुष पर अपना एक जैसा प्रभाव प्रदर्शित करते हैं। इनके फलस्वरूप जातक किसी एक स्थान पर स्थित नहीं रह पाता और उसे प्रत्येक क्षेत्र में प्राय: असफलता तथा कष्टों का सामना करना पड़ता है।
* दाईं कनपटी (दाएं कान के ऊपर का भाग) पर स्थित तिल का उत्तर-चिन्ह दाईं बाहु पर पाया जाता है। यह तिल किसी भी रंग का हो, स्त्री-पुरुष के लिए समान रूप से फलदायक होता है। इसके प्रभाव से स्त्री-पुरुष में परस्पर प्रेम की वृद्धि तथा सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
* (कंठ-गर्दन) पर स्थित तिलों के उत्तर-चिन्ह उरू-संधि पर पाए जाते हैं। तिल का रंग काला हो तो जातक के पानी में डूबने अथवा किसी ऊंचे स्थान से गिरने का भय रहता है। तिल का रंग लाल हो तो जातक को सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
* ऊपरी होंठ पर स्थित तिलों के उत्तर-चिन्ह दाएं घुटने पर पाए जाते हैं। ये तिल किसी भी रंग के क्यों न हों स्त्री-पुरुष पर समान रूप से प्रभाव डालते हैं।
* चिबुक (ठोड़ी या ठुड्डी) के मध्य भाग में तिल हो तो उसका उत्तर-चिन्ह जांघ पर पाया जाता है। ये तिल किसी भी रंग का क्यों न हों स्त्री-पुरुष के ऊपर समान रूप से प्रभाव डालते हैं। इसके फलस्वरूप जातक अशुभ फल प्राप्त करता है।
* बाएं गाल (कपोल) पर स्थित इन तिलों के उत्तर-चिन्ह बाईं उरू अथवा कूल्हे पर पाए जाते हैं। ये तिल किसी भी रंग के क्यों न हों, स्त्री-पुरुष के जीवन को समान रूप से प्रभावित करते हैं। इनके फलस्वरूप जातक के जीवन में धन की कमी बनी रहती है। फिर भी वह शांतिपूर्वक अपनी गृहस्थी को चलाता है।
* दाएं गाल (कपोल) पर स्थित इन तिलों के उत्तर-चिन्ह दाएं कूल्हे पर पाए जाते हैं। ये तिल किसी भी रंग के क्यों न हों, इनके प्रभाव से पुरुष बुद्धिमान, प्रसन्नचित तथा बहुत से मित्रों वाला होता है परन्तु रोग्रस्त होता है।
* चेहरे पर तिल हो तो व्यक्ति धनवान होता है।
* चेहरे के दाईं ओर तिल हो तो व्यक्ति की मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
* चेहरे के बाईं ओर तिल हो तो व्यक्ति अपनी आयु व्याकुलता से गुजारेंगे।
* दोनों भौंहों के मध्य में तिल यात्राकारक होता है।
* बाईं आंख पर तिल पत्नी से कलह देता है।
* दाईं आंख पर तिल हो तो औरत से विशेष प्यार रहेगा।
* अगर व्यक्ति की ठोड़ी पर तिल हो तो औरत से प्यार कम रहता है।
* बाएं गाल पर होने पर धन का व्यय होता है।
* दाएं गाल पर हो तो धन की बढ़ौतरी होगी।
* ऊपर के होंठ पर हो तो विषय-वासना में रत रहेंगे।
* नीचे के होंठ पर तिल हो तो धन की कमी का द्योतक है।
* कान पर तिल हो तो आय अल्प रहेगी।
* बाएं कान के ऊपरी भाग में स्थित तिल का उत्तर-चिन्ह पेट के बाएं हिस्से पर पाया जाता है। यह तिल किसी भी रंग का क्यों न हो, स्त्री-पुरुषों पर समान से प्रभाव डालता है। इसके फलस्वरूप जातक अल्पायु होता है। ऐसे तिल वाली स्त्री के प्रथम गर्भ से कन्या का जन्म होता है।
* ऊपरी होंंठ पर स्थित तिलों के उत्तर-चिन्ह दाएं घुटने पर पाए जाते हैं। ये तिल किसी भी रंग के क्यों न हों, स्त्री-पुरुषों पर समान रूप से प्रभाव डालते हैं। इनके फलस्वरूप जातक अत्यधिक विलासी तथा शौकीन तबीयत का होता है तथा अपनी सम्पत्ति को विलासिता में ही नष्ट कर देता है।
* निचले होंंठ (अधर) पर स्थित तिलों के उत्तर-चिन्ह जांघ पर पाए जाते हैं। ये तिल किसी भी रंग के क्यों न हों, स्त्री-पुरुष पर समान रूप से प्रभाव डालते हैं। इनके फलस्वरूप जातक निर्धन तथा लोभी होते हैं और वे दरिद्रावस्था में ही अपना सम्पूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं।
* ठुड्डी पर तिल चाहे किसी भी रंग का क्यों न हो, स्त्री-पुरुष पर समान रूप से अशुभ प्रभाव डालता है।
* ठुड्डी पर तिल लाल रंग के हों तो जातक की आयु में वृद्धि करते हैं और यदि काले रंग के हों तो उसकी आयु में परिवर्तन के सूचक होते हैं। इन तिलों के प्रभाव से स्त्री के प्रथम गर्भ से पुत्र का जन्म होता है।