त्रिभुज
हाथ में केवल अशुभ लक्षण देखकर किसी निर्णय पर पहुँच जाना अनुचित है। मानव हाथ में गौण एवं मुख्य रेखाओं के साथ-ंउचयसाथ अनेक प्रकार के चिह्न भी पाये जाते हैं जिनमें मुख्यतः विन्दु, क्रास, वर्ग, जाल, तारे (स्टार) त्रिभुज, वृत्त, द्वीप, मत्स्य, पेड़, धनुष, कमल, सर्प आदि हैं।
तीनों ओर से परस्पर मिली हुई रेखाएँ त्रिभुज कहलाती हैं, गहरी रेखाओं से निर्मित त्रिभुज शुभ फलदायी होता है। वैसे तो त्रिभुज बहुत कम हाथों में पाये जाते हैं। यह जितना ज्यादा बड़ा होगा, उतना श्रेष्ठ एवं फलदायी
माना जाता हैं। जिस व्यक्ति के हाथ के मध्य में त्रिभुज होगा।
वह सद्गुणी, सच्चरित्र वाला, भाग्यवान, क्रियाशील, ईश्वर में आस्था रखने वाला और
उन्नतिशील होता है। ऐसा व्यक्ति शान्त एवं मधुरभाषी, तथा धीर-ं2 गम्भीर होता है। त्रिभुज जितना बड़ा होगा, व्यक्ति उतना ही विशाल हृदय तथा कठिनाईपूर्वक सफलता प्राप्त करने वाला व्यक्ति होता है तथा आत्मविश्वास कम होता है। यदि बड़े त्रिभुज में एक ओर छोटा त्रिभुज बन जाये तो वह अवश्य ही उच्च पद को प्राप्त करता है।
मंगल क्षेत्र पर निर्दोश त्रिभुज होने से व्यक्ति धैर्यवान, रणकुशल तथा वीरता के लिए राष्ट्रीय पुरष्कारों से सम्मानित होता है, युद्ध में वह अपूर्व वीरता दिखलाता है। मुसीबत में भी अपने लक्ष्य से विचलित नहीं होता। ऐसा व्यक्ति सेना का कोई बड़ा आफीसर हो सकता है। किन्तु दूषित त्रिभुज होगा तो व्यक्ति निर्दयी और कायर होगा।
बुध क्षेत्र पर त्रिभुज होने से सफल वैज्ञानिक या अच्छा व्यापारी होता है। उसका व्यापार देश-ंउचयविदेश में फैला होता है तथा ये दूसरे की कमजोरीसम-हजयने में माहिर होते हैं।
गुरु क्षेत्र में ़ित्रभुज होने से व्यक्ति चतुर, कार्य में दक्ष, कुशाग्र बुद्धि वाला एवं सदैव उन्नति की आकांक्षा वाला होता है।
ऐसे व्यक्ति धूर्त एवं सफल कूटनीति वाले भी होते हैं। लोगों को अपने प्रभाव में रखने की कला इनमें खूब होती है त्रिभुज में दोष होने पर व्यक्ति घमण्डी, बातूनी तथा स्वयं की तारीफ करने वाला होता है।
शुक्र क्षेत्र में निर्दोश त्रिभुज होने से व्यक्ति का आंशिक मिजाज, सरल तथा सौम्य स्वभाव का स्वामी होता है। ऐसे व्यक्ति ललित कला, संगीत, नृत्य आदि में रुचि रखने वाले होते हैं। दूषित त्रिभुज होने से व्यक्ति को कामान्ध बनाता है। अगर स्त्री के हाथ में ऐसा त्रिभुज होगा, तो वह परपुरुष गामिनी होती है।
शनि क्षेत्र पर निर्दोष त्रिभुज होने से व्यक्ति तंत्र-ंउचयमंत्र साधना में दक्ष एवं गुप्त विद्या तथा वशीकरण का ज्ञाता होता है। दोषपूर्ण त्रिभुज होने पर व्यक्ति को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का ठग एवं धूर्त बनाता है।
हृदय रेखा पर यह चिह्न होने से लेखन कार्य में ख्याति प्राप्त होती है।
भाग्य रेखा पर होने से भाग्योन्नति में बाधाएं आती हैं।
चन्द्र रेखा पर होने से विदेश यात्रायें होती हैं।
विवाह रेखा पर होने से विवाह में बाधा होती है।
आयु रेखा पर होने से दीर्घायु मिलती है।
तीनों ओर से परस्पर मिली हुई रेखाएँ त्रिभुज कहलाती हैं, गहरी रेखाओं से निर्मित त्रिभुज शुभ फलदायी होता है। वैसे तो त्रिभुज बहुत कम हाथों में पाये जाते हैं। यह जितना ज्यादा बड़ा होगा, उतना श्रेष्ठ एवं फलदायी
माना जाता हैं। जिस व्यक्ति के हाथ के मध्य में त्रिभुज होगा।
वह सद्गुणी, सच्चरित्र वाला, भाग्यवान, क्रियाशील, ईश्वर में आस्था रखने वाला और
उन्नतिशील होता है। ऐसा व्यक्ति शान्त एवं मधुरभाषी, तथा धीर-ं2 गम्भीर होता है। त्रिभुज जितना बड़ा होगा, व्यक्ति उतना ही विशाल हृदय तथा कठिनाईपूर्वक सफलता प्राप्त करने वाला व्यक्ति होता है तथा आत्मविश्वास कम होता है। यदि बड़े त्रिभुज में एक ओर छोटा त्रिभुज बन जाये तो वह अवश्य ही उच्च पद को प्राप्त करता है।
मंगल क्षेत्र पर निर्दोश त्रिभुज होने से व्यक्ति धैर्यवान, रणकुशल तथा वीरता के लिए राष्ट्रीय पुरष्कारों से सम्मानित होता है, युद्ध में वह अपूर्व वीरता दिखलाता है। मुसीबत में भी अपने लक्ष्य से विचलित नहीं होता। ऐसा व्यक्ति सेना का कोई बड़ा आफीसर हो सकता है। किन्तु दूषित त्रिभुज होगा तो व्यक्ति निर्दयी और कायर होगा।
बुध क्षेत्र पर त्रिभुज होने से सफल वैज्ञानिक या अच्छा व्यापारी होता है। उसका व्यापार देश-ंउचयविदेश में फैला होता है तथा ये दूसरे की कमजोरीसम-हजयने में माहिर होते हैं।
गुरु क्षेत्र में ़ित्रभुज होने से व्यक्ति चतुर, कार्य में दक्ष, कुशाग्र बुद्धि वाला एवं सदैव उन्नति की आकांक्षा वाला होता है।
ऐसे व्यक्ति धूर्त एवं सफल कूटनीति वाले भी होते हैं। लोगों को अपने प्रभाव में रखने की कला इनमें खूब होती है त्रिभुज में दोष होने पर व्यक्ति घमण्डी, बातूनी तथा स्वयं की तारीफ करने वाला होता है।
शुक्र क्षेत्र में निर्दोश त्रिभुज होने से व्यक्ति का आंशिक मिजाज, सरल तथा सौम्य स्वभाव का स्वामी होता है। ऐसे व्यक्ति ललित कला, संगीत, नृत्य आदि में रुचि रखने वाले होते हैं। दूषित त्रिभुज होने से व्यक्ति को कामान्ध बनाता है। अगर स्त्री के हाथ में ऐसा त्रिभुज होगा, तो वह परपुरुष गामिनी होती है।
शनि क्षेत्र पर निर्दोष त्रिभुज होने से व्यक्ति तंत्र-ंउचयमंत्र साधना में दक्ष एवं गुप्त विद्या तथा वशीकरण का ज्ञाता होता है। दोषपूर्ण त्रिभुज होने पर व्यक्ति को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का ठग एवं धूर्त बनाता है।
हृदय रेखा पर यह चिह्न होने से लेखन कार्य में ख्याति प्राप्त होती है।
भाग्य रेखा पर होने से भाग्योन्नति में बाधाएं आती हैं।
चन्द्र रेखा पर होने से विदेश यात्रायें होती हैं।
विवाह रेखा पर होने से विवाह में बाधा होती है।
आयु रेखा पर होने से दीर्घायु मिलती है।