वर्ग
हाथ में केवल अशुभ लक्षण देखकर किसी निर्णय पर पहुँच जाना अनुचित है। मानव हाथ में गौण एवं मुख्य रेखाओं के साथ-ंउचयसाथ अनेक प्रकार के चिह्न भी पाये जाते हैं जिनमें मुख्यतः विन्दु, क्रास, वर्ग, जाल, तारे (स्टार) त्रिभुज, वृत्त, द्वीप, मत्स्य, पेड़, धनुष, कमल, सर्प आदि हैं।
चार भुजाओं से घिरे हुए क्षेत्र को वर्ग कहते हैं। कुछ लोगों के मत से इसे समकोण भी कहा जाता है। जब एक सुविकसित वर्ग से होकर भाग्य रेखा निकल रही हो तो व्यक्ति के भौतिक जीवन में यह संकट का द्योतक है।
जिसका सम्बन्ध आर्थिक दुर्घटना या हानि से है। परन्तु वर्ग को पार करकेआगे ब-सजय़ती हुई भाग्य रेखा खतरा नहीं उत्पन्न करती। जब वर्ग रेखा सेबाहर हो तथा स्पर्श मात्र हो एवं शनि पर्वत के नीचे हो तो यह दुर्घटना से रक्षा का सूचक है।
जब मस्तिष्क रेखा सुनिर्मित वर्ग से निकलती है तो यह स्वयं मस्तिष्क की
शक्ति और सुरक्षा का चिह्न माना जाता है। जब वर्ग मस्तिष्क रेखा के ऊपरउठ रहा हो और शनि के नीचे हो तो सिर में किसी प्रकार के खतरे का सूचक है।
शक्ति और सुरक्षा का चिह्न माना जाता है। जब वर्ग मस्तिष्क रेखा के ऊपरउठ रहा हो और शनि के नीचे हो तो सिर में किसी प्रकार के खतरे का सूचक है।
हृदय रेखा किसी वर्ग में प्रवेश करने से प्रेम के कारण भारी संकट का सामना करना पड़ता है।
जब जीवन रेखा वर्ग में से गुजरती हो तो यह इस बात का सूचक है कि उस आयु पर व्यक्ति की दुर्घटना होगी, परन्तु मृत्यु से रक्षा होगी।
शुक्र पर्वत
पर होने से काम संवेगों के कारण संकट से रक्षा होती है, ऐसी स्थिति में व्यक्ति काम वासना केे कारण अनेक तरह के खतरे में पड़ता है, लेकिन हमेशा बच निकलता है।
पर होने से काम संवेगों के कारण संकट से रक्षा होती है, ऐसी स्थिति में व्यक्ति काम वासना केे कारण अनेक तरह के खतरे में पड़ता है, लेकिन हमेशा बच निकलता है।
वर्ग जीवन रेखा के बाहर हो तथा मंगल क्षेत्र से आकर जीवन रेखा को छू रहा हो, तो इस स्थान पर वर्ग के होने से कारावास या भिन्न प्रकार का रहन सहन होता है।
जब वर्ग किसी भी पर्वत पर होता है तो उस पर्वत के गुणों के कारण होने वाले किसी भी अतिरेक से रक्षा का सूचक होता है।
गुरु पर होने से व्यक्ति की आकांक्षा से उसे रक्षा प्रदान करता है।
शनि पर होने से खतरों से रक्षा करता है।
सूर्य पर होने से प्रसिद्धि की इच्छा को ब-सजय़ाता है।
चन्द्र पर होने से अधिक कल्पना एवं अन्य रेखा के दुष्प्रभाव से
बचाव होता है।
मंगल पर होने से शत्रुओं से होने वाले खतरों से बचाता है।
बुध पर होने से उद्विग्नता एवं चंचल वृत्ति से बचाता है।
बचाव होता है।
मंगल पर होने से शत्रुओं से होने वाले खतरों से बचाता है।
बुध पर होने से उद्विग्नता एवं चंचल वृत्ति से बचाता है।
सौजन्य - सरल हस्तरेखा पुस्तक