भाग्य रेखा को काटने वाली रेखाएं | Bhagya Rekha
भाग्य रेखा यानि Fate Line जो की हाथ की एक मुख्य रेखा है।
भाग्य रेखा से व्यक्ति के रोजगार और जीविका का पता चलता है। भाग्य रेखा अगर साफ़ और सुन्दर है तो व्यक्ति तरक्की करेगा और अगर भाग्य रेखा कटी-फटी और टूटी हुई है व्यक्ति को कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
सभी हाथों में भाग्य रेखा, मस्तिष्क व हदय रेखा द्रारा काटी जाती है, परन्तु फल पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता, लेकिन अन्य खासतौर पर मंगल या जीवन रेखा से आने वाली रेखाओं द्वारा भाग्य रेखा कटती हो तो अनिष्ट कारक लक्षण है ।
मंगल से आरम्भ होकर कोई रेखा भाग्य रेखा को काटती हुई हदय रेखा के पास पहुंचती हो तो उस आयु में किसी की मृत्यु या धन हानि करती है। यदि यही हो तो अधिक दोषपूर्ण होती है। इस आयु में स्थान परिवर्तन, किसी की मृत्यु, झगडा या बीमारी आदि कोई फल देखा जाता है। कुछ मोटी होने पर इसी रेखा को राहु रेखा कहते हैं।
मस्तक रेखा से निकलकर जव भाग्यरेखा हृदय रेखा की ओर बढती है तो उस समय यदि हृदय रेखा की कोई शाखा भाग्य रेखा को काटती हो तो कार्य में हानि गा अनहोनी घटना होती है। यह शाखा जितनी अधिक मोटी होती है, उतना ही अघिक दोषपूर्ण फल देती है। इस आयु में चोट लगने या किसी दुर्घटना की सूचना देती है। काम लूटना, पर से दूर ट्रान्सफर तथा धन की चिन्ता इस आयु में देखी जाती हैं। बहुत-सी रेखाएं भाग्य रेखा को काटती हों तो भी व्यक्ति एक स्थान पर स्थायी रूप से नहीं रहता, इधर-उधर आता जाता रहता है।
एक बात विशेष रूप से देखने की है कि यदि हाथ में रेखाएं अधिक हों तो पतली रेखाओं का प्रभाव नहीं के बराबर होता है। इस दशा में केवल मोटी रेखा द्वारा काटे जाने पर ही उपरोक्त प्रकार के फल कहने चाहिएं हाथ में अधिक रेखाएं होने पर इसके समर्थन में दूसरे लक्षण भी मिला लेने चाहिए। कम रेखाएं होने पर यह रेखा महत्वपूर्ण फल प्रदान करती है।
सभी हाथों में भाग्य रेखा, मस्तिष्क व हदय रेखा द्रारा काटी जाती है, परन्तु फल पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता, लेकिन अन्य खासतौर पर मंगल या जीवन रेखा से आने वाली रेखाओं द्वारा भाग्य रेखा कटती हो तो अनिष्ट कारक लक्षण है ।
मंगल से आरम्भ होकर कोई रेखा भाग्य रेखा को काटती हुई हदय रेखा के पास पहुंचती हो तो उस आयु में किसी की मृत्यु या धन हानि करती है। यदि यही हो तो अधिक दोषपूर्ण होती है। इस आयु में स्थान परिवर्तन, किसी की मृत्यु, झगडा या बीमारी आदि कोई फल देखा जाता है। कुछ मोटी होने पर इसी रेखा को राहु रेखा कहते हैं।
मस्तक रेखा से निकलकर जव भाग्यरेखा हृदय रेखा की ओर बढती है तो उस समय यदि हृदय रेखा की कोई शाखा भाग्य रेखा को काटती हो तो कार्य में हानि गा अनहोनी घटना होती है। यह शाखा जितनी अधिक मोटी होती है, उतना ही अघिक दोषपूर्ण फल देती है। इस आयु में चोट लगने या किसी दुर्घटना की सूचना देती है। काम लूटना, पर से दूर ट्रान्सफर तथा धन की चिन्ता इस आयु में देखी जाती हैं। बहुत-सी रेखाएं भाग्य रेखा को काटती हों तो भी व्यक्ति एक स्थान पर स्थायी रूप से नहीं रहता, इधर-उधर आता जाता रहता है।
एक बात विशेष रूप से देखने की है कि यदि हाथ में रेखाएं अधिक हों तो पतली रेखाओं का प्रभाव नहीं के बराबर होता है। इस दशा में केवल मोटी रेखा द्वारा काटे जाने पर ही उपरोक्त प्रकार के फल कहने चाहिएं हाथ में अधिक रेखाएं होने पर इसके समर्थन में दूसरे लक्षण भी मिला लेने चाहिए। कम रेखाएं होने पर यह रेखा महत्वपूर्ण फल प्रदान करती है।