पतली जीवन रेखा ( Thin Life Line )
हस्तरेखा में जीवन रेखा की लम्बाई , मोटाई और बनावट पर अधिक महत्व दिया गया है । प्राय: ये माना गया है की व्यक्ति की जीवन रेखा लम्बी और स्पष्ट है तो वो व्यक्ति स्वस्थ जीवन जीयेगा मतलब बहुत कम बीमार पड़ेगा । जीवन रेखा से आयु का अनुमान नहीं लगाना चाहिए बल्कि सिर्फ व्यक्ति की पारिवारिक और शारीरिक गठन (स्वास्थ्य ) का अनुमान लगाना चाहिए । छोटी और कमज़ोर जीवन रेखा को निर्जीण और कमज़ोर स्वास्थ्य का द्योतक माना गया है ।
ऐसी जीवन रेखा भाग्य , मस्तक व हृदय रेखा की तुलना में पतली होती है । अधिक पतली जीवन रेखा से भी स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है । कठोर हाथ में हो तो पेट खराब होता है और नरम हाथ में फेफड़ो में विकार पाया जाता है , ये रोग वंशानुगत होते है । नितिन कुमार पामिस्ट ।
आरम्भ में पतली जीवन रेखा अस्वस्थता की चेतावनी देती है साथ ही यह पारिवारिक कलह , विवाह में देरी पत्नी की और से असंतुष्टि, या उसके कारन घर में कलह आदी का लक्षण है । स्वयं माँ बाप में से एक से चुप रहता है या उनसे अलग रहता है । ऐसे व्यक्ति स्वनिर्मित होते है । यदि विशेष दोष हो या हाथ अधिक कठोर व खुदरा हो तो कितना भी विद्वान होने पर जीवन में कदाचित ही उन्नति कर पता है । जीवन भर कुछ न कुछ असंतोष अपने जीवन के विषय में बना ही रहता है ।
पतली , बारीक़ , और महीन जीवन रेखा खराब स्वास्थ्य का परिचायक है | ऐसा बालक सदैव बीमार रहता है और उसका किसी काम में मन नहीं लगता है । ऐसे बालक पढ़ाई - लिखाई में भी कमज़ोर होते है। अगर जीवन रेखा खंडित है या उस पर जंजीर बनी हुई है तो दोष और बड़ जाता है ।
पतली जीवन रेखा अगर बाद में मोटी और दोषयुक्त हो जाती है तो व्यक्ति स्वस्थ होने लग जाता है और अच्छे स्वास्थ्य को प्राप्त करता है ।
पतली दोषयुक्त जीवन रेखा को सही करने के लिए व्यक्ति को गाय को गुड़ खिलाना चाहिए प्रतिदिन , ऐसा करने से जीवन रेखा के दोष में कमी आती है और व्यक्ति निरोगी बनता है ।
पतली जीवन रेखा के साथ अच्छी मंगल रेखा है तो व्यक्ति स्वस्थ रहता है क्युकी अच्छी मंगल रेखा जीवन रेखा के दोषो को मिटा देती है या उन में कमी लाती है ।
हस्तरेखा में जीवन रेखा की लम्बाई , मोटाई और बनावट पर अधिक महत्व दिया गया है । प्राय: ये माना गया है की व्यक्ति की जीवन रेखा लम्बी और स्पष्ट है तो वो व्यक्ति स्वस्थ जीवन जीयेगा मतलब बहुत कम बीमार पड़ेगा । जीवन रेखा से आयु का अनुमान नहीं लगाना चाहिए बल्कि सिर्फ व्यक्ति की पारिवारिक और शारीरिक गठन (स्वास्थ्य ) का अनुमान लगाना चाहिए । छोटी और कमज़ोर जीवन रेखा को निर्जीण और कमज़ोर स्वास्थ्य का द्योतक माना गया है ।
ऐसी जीवन रेखा भाग्य , मस्तक व हृदय रेखा की तुलना में पतली होती है । अधिक पतली जीवन रेखा से भी स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है । कठोर हाथ में हो तो पेट खराब होता है और नरम हाथ में फेफड़ो में विकार पाया जाता है , ये रोग वंशानुगत होते है । नितिन कुमार पामिस्ट ।
आरम्भ में पतली जीवन रेखा अस्वस्थता की चेतावनी देती है साथ ही यह पारिवारिक कलह , विवाह में देरी पत्नी की और से असंतुष्टि, या उसके कारन घर में कलह आदी का लक्षण है । स्वयं माँ बाप में से एक से चुप रहता है या उनसे अलग रहता है । ऐसे व्यक्ति स्वनिर्मित होते है । यदि विशेष दोष हो या हाथ अधिक कठोर व खुदरा हो तो कितना भी विद्वान होने पर जीवन में कदाचित ही उन्नति कर पता है । जीवन भर कुछ न कुछ असंतोष अपने जीवन के विषय में बना ही रहता है ।
पतली , बारीक़ , और महीन जीवन रेखा खराब स्वास्थ्य का परिचायक है | ऐसा बालक सदैव बीमार रहता है और उसका किसी काम में मन नहीं लगता है । ऐसे बालक पढ़ाई - लिखाई में भी कमज़ोर होते है। अगर जीवन रेखा खंडित है या उस पर जंजीर बनी हुई है तो दोष और बड़ जाता है ।
पतली जीवन रेखा अगर बाद में मोटी और दोषयुक्त हो जाती है तो व्यक्ति स्वस्थ होने लग जाता है और अच्छे स्वास्थ्य को प्राप्त करता है ।
पतली दोषयुक्त जीवन रेखा को सही करने के लिए व्यक्ति को गाय को गुड़ खिलाना चाहिए प्रतिदिन , ऐसा करने से जीवन रेखा के दोष में कमी आती है और व्यक्ति निरोगी बनता है ।
पतली जीवन रेखा के साथ अच्छी मंगल रेखा है तो व्यक्ति स्वस्थ रहता है क्युकी अच्छी मंगल रेखा जीवन रेखा के दोषो को मिटा देती है या उन में कमी लाती है ।