शुक्र मुद्रिका (शुक्रवलय)
शनि व सूर्य को एक साथ घेरने वाली रेखा को शुक्र मुद्रिका कहते हैं। यह हाथ में विशेष लक्षण माना जाता है। ऐसे व्यक्ति धनी व रसिक होते हैं। इनकी प्रकृति वासनात्मक होती है। शुक्र मुद्रिका टूटी-फूटी या उंगलियों के पास हो तो चरित्र दोष का लक्षण मानी जाती है। हाथ में अन्य वासना वृद्धि के लक्षण होने पर टूटी या उगलियों के पास होने वाली शुक्र मुद्रिका इसमें कई गुना वृद्धि करती है। (नितिन पामिस्ट )
उंगलियां मोटी, हृदय रेखा उंगलियों के पास, हृदय रेखा जंजीराकार, शुक्र पर जाली, जीवन रेखा सीधी, मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे द्वीप व चन्द्रमा पर अधिक रेखाएं होने पर दोषपूर्ण शुक्र मुद्रिका वाले व्यक्ति वासना के कीड़े होते हैं। कामान्धता में उचित, अनुचित का विचार नहीं करते।
शुक्र मुद्रिका निर्दोष व उंगलियों से दूर होने पर व्यक्ति साहित्य सृजन में रूचि लेने वाले उच्च कोटि के लेखक होते हैं। ऐसे लेखक अपने ही मूड में होते हैं। दस दिन लिखते हैं और चार दिन की छुट्टी करते हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि इनका कार्य निरन्तर नहीं चलता । इन्हें कोई न कोई बीमारी भी देखने में आती है। शुक्र मुद्रिका हृदय रेखा उंगलियों के पास होने पर यदि मंगल रेखा हो या शुक्र से कोई रेखा आकर भाग्य रेखा पर मिलती हो या भाग्य रेखा में निदष प्रभावित रेखा हो, तो व्यक्ति को पुरूष होने पर स्त्री और स्त्री होने पर पुरूष से लाभ होता है। यह भी कहा जा सकता है कि ऐसे व्यक्तियों का विवाह दूसरों के द्वारा ही किया जाता है। ऐसे पुरूष स्त्री की कमाई खाने वाले होते हैं। हाथ पतला, काला या दोषपूर्ण होने पर अपनी स्त्री से भी अनैतिक कार्य कराने वाले होते हैं।
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