मंगल रेखा जीवन रेखा से आरम्भ होकर, उसके साथ न्यून कोण बनाती हुई आयु रेखा से दूर ही हटकर शुक्र क्षेत्र पर पहुँचती है तो यह रेखा अपने आरम्भिक काल से शुक्र क्षेत्र की ओर जाते समय जीवन रेखा से जितनी भी दूर हटती जायगी, वह मनुष्य जिसके हाथ में ऐसी रेखा होगी अपनी चढ़ती या बढ़ती हुई आयु के साथ-साथ ही उस दूरी प्रमाण के अनुसार ही जिद्दी, हटी, द्वेषी, ईर्षालु तथा लापरवाह-सा होता जाएगा।
ज्यो-ज्यों अवस्था बढ़ती जायगी उसका स्वभाव बिगड़ता जाएगा । वह चिड़चिड़े स्वभाव के साथ-साथ झगड़ालू, इच्छा के विरुद्ध होने पर शीघ्र ही आवेश में आ जाने वाला, किसी की हंसी को न सहन करने वाला, प्रतिशोध की भावना से पूर्ण क्रोध की मात्रा अधिक हो जाने के कारण शीघ्र ही लड़ने-मरने को तैयार हो जाता है और गुस्से में अपशब्दों तथा गालियों का प्रयोग शीघ्र ही कर देने वाला होता है ।