Hath Mein Rahu Parvat Aur Rahu Rekha
राहु रेखा भी राहु पर्वत पर ही होती है जो जीवन रेखा के अंदर से निकलकर उंगलियों की तरफ जाती है। नितिन कुमार पामिस्ट
यह क्षेत्र पुष्ट, उन्नत एवं विकसित हो तो जातक निश्चित रूप से भाग्यशाली होते हैं। इस क्षेत्र से गुजरती हुई भाग्य रेखा यदि स्पष्ट गहरी प्रतीत हो तो जीवन में परोपकार की भावनाएँ बराबर जाग्रत होती रहती हैं।
प्रतिभावान एवं धार्मिक आचरण करनेवाला स्वभाव से ही होता है। ऐसा जातक अपने जीवन में निश्चित रूप से सभी सुखों का भोग करता है।
यदि भाग्य रेखा हथेली पर टूटी फूटी प्रतीत हो तो भी राहु क्षेत्र सुविकसित रहने पर कभी न कभी जीवन में आर्थिक दृष्टि से संपन्नता एक बार अवश्य आती है।
यह भी सही है कि पुनः पूर्ववत ही पतन के मार्ग प्रशस्त हो जाते हैं, अर्थात अर्थाभाव आ ही जाता है क्योंकि भाग्य रेखा टूटी होती है लेकिन राहु क्षेत्र की महत्ता भी अपना प्रभाव अवश्य दिखाती है।
यदि यह स्थान विकसित न हो, अपेक्षाकृत अविकसित हो, जिससे हथेली के मध्य भाग प्रायः गहरे प्रतीत होते हों, भाग्य रेखा भी अनेक स्थलों पर टूटी हो तो जातक अपने यौवनावस्था में ही भिखारी जैसा तंगी का जीवन बिताता है।
भाग्य रेखा सुस्पष्ट और सुंदर हो पर राहु क्षेत्र अविकसित हो तो जातक स्वभाव से ही चंचल होता है और अपने संपति को अपने हाथों ही नष्ट करनेवाला होता है।
नितिन कुमार पामिस्ट