हाथ में संतान का योग बताने वाली संतान रेखाय
पश्चिमी देशों में कनिष्ठिका की जड पर स्थित बुध पर्वत पर बनी आड़ी रेखाओं को विवाह रेखाए और उन आड़ी रेखाओं पर खड़ी रेखाओं को संतान रेखाए कहा गया है। कितु हमारे अनुभव के अनुसार इन रेखाओं से संतान संबंधी प्रश्नों के राही उत्तर नहीं मिलते हैं।
भारतीय सामुद्रिक शास्त्र में हाथ में अंगूठे वाले क्षेत्र को पितृ क्षेत्र कहा गया है। अंगूठे की जड पर शुक्र पर्वत की स्थित इस तथ्य का अनुमोदन करती है क्योंकि शुक्र पर्वत व्यक्ति में काम भाव (सेक्स) का अनुपात बताता है और यही भाव संतानोत्पति का कारक है। अत अगूठे की जड पर स्थित शुक्र पर्वत पर खड़ी रेखाएं संतान संबधी प्रश्नों का सही उत्तर देती हैं।
ये रेखाएं यदि स्पष्ट और लबी हों तो स्वस्थ और दीर्घायु संतान का संकेत देती हैं) लूटी-फूटी रेखाए अस्वस्थ संतान को इयोतक होती हैं। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि हाथ में संतान रेखाए तो होती हैं कितु जातक को संतान सुख प्राप्त नहीं होता। इसके दो कारण हो सकते हैं। पहला यह कि जातक में प्रजनन शक्ति तो होती है, कितु वह परिवार नियोजन के किसी उपाय द्वारा संतान पैदा करना नहीं चाहता। दूसरा यह कि जातक में प्रजनन शवित होती हैं कितु उसके जीवन साथी की प्रजनन शवित बाधित होती है।
इस बाधा का पता लगाने के लिए हाथ के चंद्र पर्वत को देखना चाहिए। यदि चन्द्र पर्वत के निचले भाग पर दूटी फूटी रेखाए या क्रास हो तो उसको उपयुक्त उपचार के लिए चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। कमी किसमें हैं, इसका पता लगाने के लिए पति और पत्नी दोनों के हाथ देखने चाहिए।
इनके अतिरिक्त हाथ के कुछ और लक्षणो रो भी संतान सबंधी प्रश्नो व्ले उत्तर मिलते हैं, यथा कलाई की निकटतम मणिबंध रेखाएं संपष्ट हो तो संतान की संभावना होती हैं। यदि ऊपरी मणिबध रेखा ऊपर की और धनुषाकार अवस्था में उठी हुई हो तो संतानोत्पति में बाधा आती है।
शुक्र पर्वत को अंगूठे से अलग करने वाली जोड़ रेखा स्पष्ट द्वीपों की माला के समान हो तो संतान की संभावना होती हैं।
संतान रेखा पर द्वीप होना हस्तरेखा
संतान रेखा पर द्वीप हो तो संतान का स्वास्थय खराब रहता है या रहता है या वह संतान कमज़ोर होती है।
यदि द्वीप संतान रेखा के अंत में है तो ऐसे में गर्भपात हो जाता है या फिर संतान जीवित नहीं रहती है।