जीवन रेखा | दोनों हाथो की जीवन रेखा को देखकर ही फलादेश करे


जीवन रेखा - योग, चिन्ह व भ्रान्तिया - आप जब भी जीवन रेखा से फलादेश करे तो यह अतिआवश्यक है की आप दोनों हाथो की जीवन रेखा को देखकर ही फलादेश करे।



जीवन रेखा - हस्तरेखा | Hast Rekha

जीवन रेखा - योग, चिन्ह व भ्रान्तिया - आप जब भी जीवन रेखा से फलादेश करे तो यह अतिआवश्यक है की आप दोनों हाथो की जीवन रेखा को देखकर ही फलादेश करे।  यहाँ बताये गए जीवन रेखा के सभी योग से फलादेश करते समय इस नियम का पालन करे फिर ही फलादेश करे।

1. अक्सर लोग अपने हाथ में छोटी जीवन रेखा देख कर चिंता में डूब जाते है की शायद इश्वर ने उनको कम उम्र दी है अपितु ऐसा नहीं है।  छोटी जीवन रेखा का मतलब कम उम्र कभी नहीं होता है।  जिन लोगो की जीवन रेखा कलाई (मणिबंद) तक जाती है या बहुत लम्बी और स्पष्ट होती है, वह लोग भी अकाल मृत्यु का ग्रास बन जाते है और उसके विपरित्त जिन लोगो के हाथो में छोटी व अस्पष्ट जीवन रेखा होती है वह लोग सौ वर्ष का जीवन बिना किसी शारीरिक कष्ट के व्यतीत कर लेते है। जीवन रेखा से आयु का अनुमान लगाना कदापि उचित नहीं है।  जीवन रेखा से व्यक्ति के स्वास्थ्य और पारिवारिक परिस्थितियो में आने वाले उतार चढाव का अनुमान लगाया जाता है।

2. दोहरी जीवन रेखा का अर्थ यह नहीं की व्यक्ति की जल्दी मृत्यु नहीं हो सकती है, ऐसे व्यक्ति की भी आकस्मिक मृत्यु हो सकती है।  दोहरी जीवन रेखा का अर्थ यह नहीं की व्यक्ति को जीवन में कभी कोई बीमारी होगी ही नहीं, ऐसे व्यक्ति को भी जानलेवा बीमारी हो सकती है।  दोहरी जीवन रेखा का अर्थ यह नहीं की व्यक्ति एक ही जीवन में दोहरा जीवन व्यतीत करेगा।  दोहरी जीवन रेखा बहुत कम लोगो के हाथो में पाई जाती है, हकीकत में ज्यादातर लोग मंगल रेखा और निकट से गुजरती हुई भाग्य रेखा को ही जीवन रेखा समझ लेते है, इस कारण वे अपने हाथ में दोहरी जीवन रेखा समझ लेते है।  दोहरी जीवन रेखा अर्थ यह है की अगर मुख्य जीवन रेखा दोषयुक्त है और दूसरी जीवन रेखा दोषमुक्त है तो काफी हद तक जीवन में आने वाली कठिनाइयों से व्यक्ति का बचाव हो जायगा। दोहरी जीवन रेखा अगर व्यक्ति के हाथ में है तो उस व्यक्ति को जीवनदान मिलने की संभावना हमेशा ज्यादा रहती है।

3. जीवन रेखा का दो भागो में खंडित होने के अर्थ यह नहीं है की व्यक्ति की उस समय पर मृत्यु हो जायगी।  यदि जीवन रेखा दोनों हाथो में भी खंडित हो तो भी मृत्यु का अनुमान लगाना उचित नहीं है।  जीवन रेखा के खंडित होने पर हम यह अनुमान लगा सकते है की उस समय व्यक्ति के पारिवारिक जीवन में कष्ट या परिवर्तन आना चाहिए या फिर व्यक्ति को कोई शारीरिक कष्ट आ सकता है।  जीवन रेखा के खंडित होने के बाद का भाग अगर अच्छा है तो हम ये अनुमान लगा सकते है की व्यक्ति जल्दी ही सभी मुसीबतों से छुटकारा पा लेगा और जल्दी ही उसके जीवन में सबकुछ पहले जैसा हो जायगा।

4. जिस व्यक्ति के हाथ में जीवन रेखा सपाट/सीधी होती है उस व्यक्ति को जीवन में संघर्ष करना पड़ता है लेकिन जिस व्यक्ति की रेखा गोलाकार होती है उस व्यक्ति को उतना संघर्ष नहीं करना पड़ता है।  जिस व्यक्ति की जीवन रेखा सीधी होती है उसका वैवाहिक और पारिवारिक जीवन संघर्षमय होता है।

5. यदि व्यक्ति के हाथ में जीवन रेखा आरंभ में गौपूछ की तरह प्रतीत होती हो तो ऐसे व्यक्ति का स्वस्थ्य बचपन में अच्छा नहीं रहता है।  ऐसे व्यक्ति को जिगर/पेट से सम्बंधित तकलीफ आती रहती है।  ऐसे व्यक्ति को जौंडिस हो सकता है।  ऐसे व्यक्ति का संभंध अपने पिता से तनावपूर्ण ही रहता है।

6. यदि व्यक्ति के हाथ में जीवन रेखा व मस्तक रेखा दोनों एक दूसरे के साथ गुथी/लिपटी हुई हो, अर्थार्थ दोनों एक दूसरे के साथ मिलकर कई क्रोस बना रही हो तो ऐसे व्यक्ति का स्वभाव कामुक होता है।  ऐसा व्यक्ति अत्यधिक हस्तमैथुन करने वाला व अश्लील विचारधारा रखने वाला होता है।  ऐसा व्यक्ति जल्दी भयभीत हो जाने वाला होता है !

7. यदि जीवनरेखा के बिल्कुल अंत से कोई शाखा निकल कर चन्द्र पर्वत जाती है तो उस व्यक्ति को मधुमेह का रोग होने की सम्भावना अधिक होती है।

8. यदि जीवन रेखा अंगूठे की जड़ से प्रारंभ हो तो ऐसे व्यक्ति का जीवन संघर्षमय होता है।

9. यदि जीवन रेखा गुरु पर्वत से प्रारंभ हो तो ऐसे व्यक्ति बहुत महत्वकांछी होते है व उनमे अहम् भाव भी ज्यादा होता है !

10. यदि जीवन रेखा कुछ दूर से प्रारंभ हो रही तो ऐसे व्यक्ति का बचपन संघर्षमय होता है।  व्यक्ति को बचपन में शारीरिक या पारिवारिक कष्ट देखने पड़ते है।

11. यदि जीवन रेखा का अंत चन्द्र पर्वत पर होता है तो ऐसे व्यक्ति की मृत्यु जन्म-स्थान से दूर होती है या हम यह अनुमान लगा सकते है की ऐसा व्यक्ति विदेश में बस जायगा हमेशा के लिए।  यदि स्त्री के हाथ में ऐसा है तो उसको गर्भाशय की बीमारी की सम्भावना और पुरुष है तो गुप्त रोग होने की सम्भावना रहती है।

12. यदि जीवन रेखा गुरु पर्वत के नीचे खंडित हो तो ऐसे व्यक्ति को उच्चाई से गिर कर चोट लगने का खतरा बना रहता है।  ऐसे व्यक्ति हीनभावना से गर्सित होता है।  जीवन रेखा जिस पर्वत के नीचे टूटी हुई होती है उस पर्वत से सम्बंधित रोग व तकलीफ व्यक्ति के जीवन में आती है।  किस पर्वत से कौन सा रोग होता है वह पर्वत के भाग में बताया जायगा।

13. यदि जीवन रेखा शनि पर्वत के नीचे खंडित हो तो ऐसे व्यक्ति को हथियार से चोट लगने का खतरा बना रहता है ! ऐसा व्यक्ति एकांतवासी होता है।

14. यदि जीवन रेखा सूर्य पर्वत के नीचे खंडित हो तो ऐसे व्यक्ति को कार्य में असफलता मिलती है वह पारिवारिक बदनामी भी मिलती है।

15. यदि व्यक्ति के हाथ में जीवन रेखा लहरदार, सीढ़ीदार, द्वीपयुक्त, व टुकडो में बनी हुई हो तो सबका एक ही मतलब है जीवन में बार-बार स्वास्थ्य या पारिवारिक तकलीफ का चलते रहना।

16. यदि जीवन रेखा अंत में गोपुछ की तरह हो तो वृद्धावस्था में तकलीफ आती है है।

17. यदि जीवन रेखा के अंत से कोई शाखा निकलकर शुक्र पर्वत पर जाती है तो वैवाहिक जीवन अच्छा नहीं होता है।

18. जीवन रेखा से ऊपर उठती हुई छोटी रेखाए, शुभ संकेत देती है, वही नीचे गिरती हुई रेखाए अशुभ संकेत देती है ! ऊपर जाती रेखाओ से तरक्की का अनुमान लगाना चाहिए व नीचे गिरनी वाली रेखाओ से बीमारी व पारिवारिक तकलीफ का अनुमान लगाना चाहिए।

19. जीवन रेखा के अंत में जीवन रेखा से जुड़ता हुआ वर्ग या क्रोस व्यक्ति को वैराग्य या कारावास की सजा होती है।

20. जीवन रेखा के भीतर से कोई शाखा निकलकर उसके साथ शुक्र पर्वत तक जाती है तो उसका मतलब व्यक्ति के जीवन में किसी विशेष व्यक्ति का प्रभाव है।

21. जीवन रेखा के आरंभ में यदि बड़ा द्वीप है तो उसका मतलब है व्यक्ति को जन्म लेते ही मृत्युतुल्य कष्ट आया होगा।  यदि जीवन रेखा के आरंभ में एक के बाद एक द्वीप है तो उसका मतलब व्यक्ति को काफी लम्बे समय तक बीमारी का सामना करना पड़ा होगा।  अगर व्यक्ति बीमार नहीं पड़ता है तो जरूर व्यक्ति के जन्म के बाद पारिवार पर कष्ट आया होगा।  आपने विभिन्न पुस्तकों में पढ़ा होगा की अगर जीवन रेखा के आरम्भ में द्वीप होता है तो व्यक्ति के जन्म में कोई रहस्य होता है लेकिन ऐसा नहीं है की सभी के साथ ऐसा होता है इसलिए यह फलादेश बहुत सोच समझ कर करे, पहेले दोनों हाथो को देख कर पुष्ठी कर ले की दोनों हाथो में बड़ा द्वीप जीवन रेखा के आरंभ में है फिर ही फलादेश करे।

22. यदि द्वीप जीवन रेखा के बीच में है तो उसका अर्थ है व्यक्ति को कोई बीमारी या पारिवारिक कष्ट से गुजरना पड़ेगा।

23. यदि द्वीप जीवन रेखा के अंत में बना हुआ है तो उसका अर्थ है की जीवन के अंत में ख़राब स्वास्थ्य व लम्बी बीमारी के पश्चात देहांत।

24. यदि जीवन रेखा को निम्न मंगल से कुछ रेखाए आकर काटती है तो उसका अर्थ है की व्यक्ति के जीवन में परिवार वालो का हस्तक्षेप जिसकी वजह से व्यक्ति को सदेव चिंता बनी रहती है।

25. यदि जीवन रेखा से कोई रेखा निकलकर गुरु पर्वत पर जाती है तो ऐसे व्यक्ति में अहंकार और महत्वकांछा ज्यादा होती है।  ऐसे व्यक्ति को गले और जिगर से सम्बंधित समस्या होती है।

26. यदि जीवन रेखा पर वर्ग हो तो व्यक्ति के जीवन में आने वाली दिक्कतों से बचाव हो जाता है।

27. यदि जीवन रेखा बहुत छोटी है लेकिन उससे जुडती हुई भाग्य रेखा निकल रही है तो ऐसे में आपको उस भाग्य रेखा के आरंभिक भाग को ही जीवन रेखा का अंतिम भाग मानना चाहिए।  अर्थार्थ यहाँ पर यह अनुमान नहीं लगाना चाहिए की इस व्यक्ति की जीवन रेखा छोटी है इसलिए इसकी मृत्यु जल्दी हो जानी चाहिए जब की यहाँ पर भाग्य रेखा ही जीवन रेखा का काम करती है।

28. यदि जीवन रेखा दो भागो में टूट गई हो और किसी एक भाग में से कोई रेखा निकल कर जीवन रेखा के टूटे हुए हिस्से को ढक देती है तो वह यह दर्शाती की व्यक्ति के जीवन में परेशानी तो आयगी लेकिन वो उस परेशानी से निकल जायगा।

29. यदि जीवन रेखा दो भागो में टूटी हुई है और दोनों भागो की रेखा एक दूसरे को काट रही है अन्दर की तरफ तो व्यक्ति को शारीरिक तकलीफ या पारिवारिक तकलीफ आती है लेकिन अगर बाद में जीवन रेखा अच्छी है तो वह जल्दी ही उस समस्या से निदान पा लेगा।

30. जीवन रेखा के अंत से नीचे गिरती हुई हुई छोटी रेखाए का अर्थ बुदापे में शारीरिक कष्ट देखना पड़ता है।

- नितिन कुमार

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