हथेली में चन्द्र-रेखा जो सिर्फ बड़े लोगो के हाथो में होती है | Chandra Rekha Hastrekha
चंद्र रेखा का प्रभाव
यह वह रेखा है जो कि बहुत ही कम आदमियों । हाथों में देखने को मिलती है और जिन हाथों में यह होती है वे छोटे-मोटे कार्य करने वाले गरीब निकृष्ट तथा निन्द्य कार्य करने वाले नहीं होते बल्कि बड़े-बड़े मिनिस्टरों राष्ट्रपतियों, सेना नायकों, जनरलों आदि के हाथों में स्पष्ट रूप से पाई जाती है । यह रेखा अधिकतर मणिबन्ध या चन्द्र क्षेत्र से आरम्भ होकर धनुषाकार वरुण, प्रजापति क्षेत्रों से होती हुई बुध क्षेत्र तक या कनिष्टिका उगली के तृतीय पौरुए की सन्धि विराम रेखा तक पहुँचती है। जिन लोगों के हाथों में यह रेखा होती है, उन मनुष्यों को जल विहार, नौका विहार, समुद्री सफर, तैरना आदि बातों से जीवन भय रहता है।
ऐसे व्यक्ति जब जलयान से यात्रा करते हैं तो सिन्धु में तूफान, अथवा ज्वार-भाटा और नदी तालाब में भंवर आदि अवश्य आते हैं। ये लेख भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट द्वारा लिखा गया है अगर आप उनके दवारा लिखे सभी लेख पढ़ना चाहते है तो गूगल पर इंडियन पाम रीडिंग ब्लॉग को सर्च करें और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें । ऐसे मनुष्यों में चन्द्र, वरुण, प्रजापति तथा बुधादि देवताओं के काफी से ज्यादह गुणों का समावेश रहता इसीलिए इनका स्वभाव बड़ा ही शान्त, मधुर तथा स्थिर होता है लोग बड़े ही मेहनती क्रियाशील, परिश्रमी, बुद्धिमान्, शीघ्रग्राही, विद्वान् आदि गुणों से परिपूर्ण रहते हैं। ये लोग लड़ाई झगड़ों रहकर अपने कार्यों को सहज ही बना लिया करते हैं।
ये लोग अपनी बातो से ही अपने शत्रु का हृदय आकर्षित करने में बड़े ही दक्ष होते। बड़े से बड़ा शत्रु जो कि इन्हें मारने पर ही तुला हो इनको देखते ही अथवा बात करते ही पानी की बर्फ के समान पिघल जाता है। सर्व गुण संपन्न होते हुए भी इनमें सबसे बड़ा दोष यह रहता है कि ये अन्यायपूर्ण व्यवहार को भी प्रतिशोध की भावना से रहित है कर लेते हैं। क्रोधावेश की परिस्थिति उत्पन्न हो जाने पर कोध प्रदर्शित नहीं करते और चुपचाप रहकर शान्ति से को अन्तिम परिणाम दे देते हैं जिससे कभी-कभी लाभ के स्तन पर इन्हे धन, मान, यश आदि का भी नुकसान उठाना पड़ जाता है।
हथेली में चन्द्र-रेखा जो सिर्फ बड़े लोगो के हाथो में होती है | Chandra Rekha Hastrekha