वर्ग या चतुभुज का ग्रह क्षेत्रों तथा रेखाओं पर प्रभाव
चार भुजाओं के घिरे हुए क्षेत्र को जिसके सभी कोण समकोण या ९०° के होते हैं, हिन्दी संसार में उसे वर्ग नाम से पुकारा जाता है। किन्तु किसी भी हाथ में यह परिभाषा कठिनता से ही पूर्ण उतरेगी, क्योंकि इसके विपरीत छोटी-बड़ी भुजाओं तथा न्यूनाधिक कोण वाले बहुत से चतुर्भुज हाथों में देखने को मिलेंगे । इसलिये अब हम इस चिन्ह को वर्ग या चतुर्भज के नाम से ही सम्बोधित करेंगे। यथार्थ में इन दोनों का काम आने वाली आपत्तियों से बचाना तथा दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटनाओं से रक्षा करना है।
किसी भी ग्रह क्षेत्र पर पड़कर उसके गुणों में वृद्धि करना अथवा उन्हें न्यून न होने देना है, दोषपूर्ण रेखाओं के दूषित प्रभाव को दूर करना तथा आने वाली सभी घटनाओं से उस मनुष्य को त्राण देना ही इस वर्ग का कर्तव्य-सा हो जाता है।
वर्ग गुरु क्षेत्र पर :--जिस मनुष्य के दाहिने हाथ के बृहस्पति क्षेत्र पर वर्ग का चिन्ह सुन्दर, साफ तथा निर्दोष रूप से विद्यमान रहता है, उस मनुष्य में शासन करने की शक्ति पूर्ण रूप से पाई जाती है। ऐसा मनुष्य अपनी हैसियत के मुताबिक समाज का नेता तथा धर्म का प्रवर्तक होता है और देश तथा जाति की उन्नति में सहयोग करता है। उसकी प्रवृत्ति दलित वर्ग को ऊँचा उठाने की होती है। ये लेख भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट द्वारा लिखा गया है अगर आप उनके दवारा लिखे सभी लेख पढ़ना चाहते है तो गूगल पर इंडियन पाम रीडिंग ब्लॉग को सर्च करें और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें । वर्ग चिन्ह एक शुभ फलदायक लक्षण है जोकि किसी भी स्थान पर अपना शुभ फल दिखलाये बिना नहीं रहता। गुरु क्षेत्र का वर्ग मनुष्य को बड़ा बनाने, आपत्ति से बचाने में पूर्ण सहायक होता है। वह प्रत्येक कार्य में मनुष्य को सफलता प्रदान कर कीति, यश तथा लाभ कराता है।
वर्ग शनि क्षेत्र पर:- शनि क्षत्र पर वर्ग का चिन्ह सुन्दर, साफ और स्पष्ट रूप से होने पर मनुष्य किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना से त्राण पाता है। भाग्य रेखा के समीप शनि क्षेत्र पर वर्ग होने से उस मनुष्य की आपत्ति के समय प्राण रक्षा हो जाती है और किसी अकास्मिक घटना से वह बच जाता है। यदि इस वर्ग या चतुर्भुज के चारों ओर सिरों पर रक्त बिदु शोभा पाते हों तो या चारों भुजायें रक्तिम हों तो उस मनुष्य की प्राण रक्षा अनल या आग द्वारा, बिजली तथा मन्त्र तथा ऐसी ही और देवी दुर्घटना से हो जाती हैं। वर्ग चिन्ह शनि क्षेत्र पर शुभ होता है। जोकि मनुष्य को भाग्य सम्बन्धी आपत्तियों से बचाता है।
वर्ग रवि क्षेत्र पर :–रवि क्षेत्र पर वर्ग का चिन्ह किसी भी मनुष्य के हाथ में यश, कीर्ति, लाभ, बड़ाई, मान तथा प्रतिष्ठा के लिये उत्साहित तथा इच्छुक बनाता है। ऐसा मनुष्य अपनी ख्याति तथा प्रसिद्धि किसी शुभ कार्य के लिये बहुत चाहता है। ऐसा मनुष्य कलापूर्ण दस्तकारी की वस्तुओं का क्रय-विक्रय करने वाला तथा उससे घन एकत्रित करने वाला होता है । साथ ही रवि क्षेत्र पर वर्ग चिन्ह मनुष्य को घमंड, घनमद के नशे आदि से दूर रखकर उसके स्वभाव को शान्त तथा मौन बनाता है, जिसके लिए वह आदरणीय होता है।
वर्ग बध क्षेत्र पर :-यदि किसी मनुष्य के हाथ में वर्ग का नि स्पष्ट रूप से बुध क्षेत्र पर दिखाई देता हो तो उस मनुष्य को स्व से चंचल तथा परिश्रमी बनाता है। किसी भारी धन सम्बन्धी दुर्घटना से बचाकर उसे कारावास या जेल जाने से बचाता है और किसी नवीन आविष्कार के करने तथा किसी नवीन पुस्तक के लिखने में सहायक होता है।
वर्ग प्रजापति क्षेत्र पर :-जिस मनुष्य के प्रजापति क्षेत्र पर वग का चिन्ह स्पष्ट रूप से दिखाई देता हो तो उसके शत्रु उससे दबे रहते हैं और वह अपने शत्रु प्रहारों से सदा ही त्राण या रक्षा पाता है और वह अपने मस्तिष्क तर्क द्वारा अपने को शान्त रखता है। उसे वायु सम्बन्धी रोग तो अवश्य होते हैं किन्तु वह वायुयान दुर्घटना के समय बच जाता है । आँधी तूफानों से रक्षा पाता है।
वर्ग वरुण क्षेत्र पर :-वर्ग चिन्ह स्पष्ट रूप से वरुण क्षेत्र पर होने से मनुष्य विद्याध्ययनरत, शान्त, मौन तथा विद्या घमंड से दूर रहता है। ऐसा मनुष्य कम पढ़ा-लिखा होने पर भी सभ्य शिष्टाचार की बात करता है और अपने वर्ग में आदरणीय समझा जाता है। उसका जीवन सीधा सादा तथा विचारों में आदर्श माना जाता है। जो कि शुभ लक्षण है।
वर्ग चन्द्र क्षेत्र पर :-चन्द्र क्षेत्र पर वर्ग का चिन्ह स्पष्ट रूप से विद्यमान होने पर मनुष्य की काल्पनिक, दार्शनिक शक्ति को तथा कल्पना कवित्व शक्ति को बहुत बढ़ा देता है और जलयान, नाव, जलविहार तथा तैरने के समय किसी होने वाली दुर्घटना के खतरे से उसकी रक्षा करता है और इसके अतिरिक्त, सौन्दर्य, विवेक, तर्कवितर्क बद्धि के गर्व से बचाता है। ऐसा मनुष्य प्रेम के सम्बन्ध में सतर्क तथा भ्रष्टाचार के अतिक्रमण से दूर रहकर अपनी मान मर्यादा की रक्षा करता है।
वर्ग केतु क्षेत्र पर :-केतु क्षेत्र पर वर्ग का चिन्ह किसी भी व्यक्ति की भाग्य सम्बन्धी धन जन दुर्घटना से उसके बाल्यकाल से लेकर शैशव तक रक्षा करता है। ऐसा मनुष्य अचानक दैवी सहायता पाकर किसी भी कठिन समय को सहज ही पार कर जाता है और शान्ति से एक समय तक घर ही में निवास करता है।
वर्ग शुक्र क्षेत्र पर :–यदि शुक्र क्षेत्र पर वर्ग का चिन्ह जीवन रेखा की ओर अधिक हो तो वह मनुष्य अपने प्रेम सम्बन्धी सभी झगड़ों को शान्त भाव से सहने वाला, एकान्त, शान्त होकर जंगल में अवधूत बनकर वियोगी होकर रहता है । यह कार्य उसे चाहे अपने स्वाभाविक रूप से या किसी बड़ी विवशता ही द्वारा क्यों न करना पड़े, करना ही पड़ता है। वह अपने शहर या गाँव को छोड़ देता है। यदि यह वर्ग जीवन रेखा को छूता हो तो उस मनुष्य को अपनी बढ़ी हुई विषय-वासना के द्वारा निजी सम्बन्धियों में बदनामी उठानी पड़ती है और यदि यह वर्ग शुक्र क्षेत्र के मध्य में काफी बड़ा स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता हो तो वह मनुष्य अपने कामासक्त स्वभाव के कारण तथा अतृप्त विषय-वासना के द्वारा निन्द्य कर्मरत रहने पर भी अनेक प्रकार के खतरों से बचकर जेल यात्रा से बच जाता है। इस प्रकार अनेक दूषित कर्मरत रहने पर भी केवल बदनाम होकर छूट जाता है।
वर्ग चिन्ह का छोटी-बड़ी रेखाओं पर प्रभाव
वर्ग जीवन रेखा परः—जिस मनुष्य की जीवन या आयु रेखा किसी भी स्थान पर टूट रही हो और उस टूटे हुए स्थान के ऊपर से कोई रेखा उस स्थान को पूर्णतया ढकती हुई निर्दोष रूप से हाथ में जाती हो तो उस मनुष्य की मृत्यु से रक्षा तो हो जाती है किन्तु किसी बड़ी बीमारी से रक्षा नही होती अर्थात् शेष आयु रेखा के सुन्दर, साफ तथा स्पष्ट होने पर वह मनुष्य किसी लम्बी बीमारी के पश्चात् दीर्घायु पाता है। यह बात हम जीवन रेखा के साथ वर्णन कर आये हैं और यदि ये जीवन रेखा के दोनों टुकड़े किसी वर्ग द्वारा जुड़े हुए हों तो उस मनुष्य की प्राण रक्षा मृत्यु से ही नहीं बल्कि किसी विशेष प्रकार की होने वाली बीमारी से अथवा किसी दुर्घटना के समीपी बचाव के कारण से भी हो जाती है। वर्ग का चिन्ह किसी भी हाथ में एक शुभ लक्षण है जो कि आपत्ति के समय उसकी सहायता ही नहीं बल्कि प्राण रक्षा तक करता है। जो वर्ग जीवन रेखा से अलग उसके समीप ही होता है, वह मनुष्यों के विचारों को आध्यात्मिक बनाकर विरक्त संन्यास की ओर आकर्षित करता है।
वर्ग मस्तिष्क रेखा पर :–यदि वर्ग का सुन्दर, साफ और स्पष्ट चिन्ह मस्तक रेखा के टूटे, लहरदार अथवा शृंखलित चिन्ह को जोड़ता हो तो वह मनुष्य अनेक मस्तिष्क सम्बन्धी रोगों से, जैसे, उन्माद पागलपन, रतौंदा, आधाशीशी आदि रोगों के साथ-साथ किसी घातक चोट के लगने वाले घाव से भी त्राण पाता है। इसलिए छोटी अवस्था वाले बच्चे के हाथ में यह चिन्ह देखकर हम उसके ऊपर आने वाली भविष्य आपत्ति से होने वाली रक्षा को उपयुक्त लक्षणमय पाकर यह कह सकते। हैं कि अमुक व्यक्ति की अमुक अवस्था में अमुक दुर्घटना से रक्षा हो सकेगी या वह मनुष्य आगामी आपत्ति को अपनी बुद्धिमत्ता द्वारा हटाकर अपनी रक्षा करने में भली भाँति समर्थ हो सकेगा।
वर्ग हृदय रेखा पर :-यद्यपि हृदय रेखों का टूट जाना हृदय रोग या हृदय कमजोर होने का अथवा किसी के द्वारा विवाह में अड़चनें डालने या फिर किसी के प्रेम सम्बन्ध में आकर प्रेम की विफलता द्वारा हृदय विदारक दृश्य उपस्थित करने का अचूक चिन्ह प्रत्यक्ष रूप से साफ दिखाई देता है फिर भी यदि उसे स्पष्ट वर्ग का चिन्ह पूर्णतया ढंककर जोड़ता हो तो उस मनुष्य को हृदय रोग से मुक्त कर अपने प्रेमपात्र का प्रेम पाने में सफलता प्रदान करता है। उसके हृदय में अनेक बार निराशा के भाव जागृत होने पर भी आशा बलवान रहती है। और वह अन्त में सफल होता ही है । यदि यह वर्ग शनि क्षेत्र के नीचे टूटी हृदय रेखा के ऊपर स्पष्ट रूप से हो तो वह मनुष्य किसी बेवफा के इश्क में फंसकर अपने को बर्बाद कर लेता है।
वर्ग रवि रेखा परः–यदि किसी मनुष्य के हाथ में सुन्दर, साफ और स्पष्ट वर्ग का चिन्ह रवि रेखा पर स्पष्ट रूप से विद्यमान् हो तो उसको किसी भी धन या मान-प्रतिष्ठा सम्बन्धी दुर्घटनाओं से बचाता है और उस मनुष्य की प्रत्येक प्रकार से कीति को अचल रखने में समर्थ होता है। टूटी सूर्य रेखा को ढकने वाला वर्ग का चिन्ह किसी भी प्रकार से उस मनुष्य के व्यवसाय तथा आदर व इज्जत को ठेस नहीं लगने देता।
वर्ग भाग्य रेखा पर :-यद्यपि भाग्य रेखा का टूटकर सहसा रुक जाना अत्यन्त खतरनाक चिन्ह है, फिर भी रुके स्थान से पहले ही किसी दूसरी सहायक रेखा का सुन्दर, साफ, स्पष्ट, पतला तथा लम्बा होकर शनि क्षेत्र को पहुँचना पहले से भी उत्तम नौकरी मिलना या व्यवसाय तथा व्यापार का चलना प्रदर्शित करता है। फिर भी भाग्य रेखा का टूटना निराशा, घन-जन सम्बन्धी भारी दुर्घटना होने का प्रत्यक्ष लक्षण है। यदि इस टूटे स्थान को कोई वर्ग चिन्ह पूर्णतया ढकता हो तो उस मनुष्य का कारोबार बरकरार रहता है। उसकी धन-जन सम्बन्धी दुर्व्यवस्था के आसार हो जाने पर भी टल जाते हैं। उसकी सामाजिक तथा सांसारिक परिस्थिति में विशेष अन्तर नहीं पड़ता। यदि शनि क्षेत्र पर यही वर्ग का चिन्ह भाग्य रेखा पर हो तो वह मनुष्य किसी भावी भाग्यवश होने वाली दवी दुर्घटना से बिल्कुल साफ बच जाता है।
वर्ग स्वास्थ्य रेखा पर :—जिस मनुष्य के दाहिने हाथ की स्वास्थ्य रेखा पर स्पष्ट रूप से वर्ग का चिन्ह कहीं भी अंकित हो तो उस मनुष्य की प्रत्येक प्रकार की बीमारी से रक्षा हो जाती है । यदि यह वर्ग हृदय और स्वास्थ्य रेखा के मिलने से बना हो तो हृदय रोग तथा हृदय की मलिनता या कमजोरी को दूर करता है। इसी प्रकार मस्तिष्क रेखा से सम्बन्धित होने पर मस्तिष्क रोग दूर करता है । भाग्य रेखा से सम्बन्धित होने पर धन सम्बन्धी संकट टालता है और आयु रेखा से सम्बन्धित होने पर एक समय तक बीमारी में रक्षा कर अन्त में मृत्यु प्रदान करता है ।
वर्ग विवाह रेखा पर :-यदि विवाह रेखा सुन्दर, साफ, स्पष्ट तथा निर्दोष रूप से हाथ में स्थित हो तो उस पर वर्ग का चिन्ह कोई उत्तम लक्षण नहीं है क्योकि इस चिन्ह के होने से मनुष्य के विवाह होने में अनेक रुकावटें तथा अड़चनें पड़ती हैं । यदि विवाह रेखा टूटी हो तो उसको जोड़ने वाला वर्ग का चिन्ह शुभ फलदायक होता है. क्योकि ऐसे चिन्ह के होने से विवाह में देरी तो होती है किन्तु विवाह सम्बन्ध नहीं टूटता, बल्कि सुचारु रूप से स्थिर होकर विवाह हो जाता है। सन्तान रेखाओं के टूटे स्थानों को पूर्ण करने वाला वर्ग सन्तान के जीवित रहने का प्रत्यक्ष लक्षण दिखाई देता है।
वर्ग मंगल रेखा पर :--मंगल रेखा को हमने दूसरी जीवन रेखा ही माना है, इसलिये वर्ग का जो प्रभाव जीवन रेखा पर पड़ता है वही मंगल रेखा पर भी पडेगा, किन्तु फिर भी यहाँ यह कह देना अत्यन्त आवश्यक हो जाता है कि मंगल रेखा के टूट जाने पर मनुष्य की शारीरिक तथा मानसिक शक्ति का ह्रास हो जाता है, किन्तु उस टूटे स्थान को यदि वर्ग का चिन्ह पूर्णतया ढके हुए हो तो उस मनुष्य में शारीरिक दुर्बलता आती है और न वह बीमार ही पड़ता है बल्कि वह बिना ही झगडा अपने रोब से ही सभी कार्य सहज ही में बना लेता है। उसकी पहुँच बड़े-बड़े औफीसरों तक सहज ही हो जाती हैं।
वर्ग चंद्र रेखा पर :-यद्यपि चन्द्र रेखा का टूट जाना एक अशुभ लक्षण है क्योंकि इस रेखा का टूट जाना उस मनुष्य की उन्नति में र प्रकार से बाधक तथा पानी में डूबकर मरने का अचूक लक्षण है।
फिर भी यदि उस टूटे हुए स्थान को स्पष्ट वर्ग का चिन्ह पूर्ण रूप से ढक रहा हो तो इस रेखा के उपर्युक्त दोष समाप्त हो जाते हैं और वह मनष्य उत्तरोत्तर उन्नति कर बड़ा आदमी बन जाता है और उसे जल यात्रा के समय प्राणों का कोई भय नहीं रहता । वह जल सम्बन्धी अनेक आपत्तियों के आने पर भी साफ बच जाता है।
वर्ग प्रभाविक रेखा पर :—यद्यपि प्रभाविक रेखा पर वर्ग का चिन्ह किसी भी मनुष्य के प्रभाव को और भी गुरुतर बना देता है। यदि टूटी प्रभाविक रेखा पर वर्ग का चिन्ह स्पष्ट रूप से अंकित हो तो उस मनुष्य के प्रभाव को सर्व साधारण जनता पर कम नहीं होने देता। ऐसा मनुष्य निराक्षर होने पर भी अपने प्रभाव में बहुत से व्यक्तियों को रखता है। और समाज में आदर पाता है।
वर्ग यात्रा रेखा पर :– वर्ग अपना शुभ प्रभाव प्रत्येक प्रकार की यात्रा रेखा पर समान रूप से रखता है। वह यात्रा चाहे स्थल पर रेल, मोटर, बस, गाडी या बाइस्किल आदि किसी पर भी हो, जल में नाव अथवा जलयान द्वारा ही क्यों न हो या आकाश मार्ग में वायुयान द्वारा ही क्यों न हो, यात्रा रेखा सुन्दर और स्पष्ट होने पर तो कहना ही क्या है। टूटी होने पर भी यह वर्ग चिन्ह उसके जीवन की रक्षा यथा समय कर है जिससे मनुष्य पर भय और निराशा न आकर ईश्वर पर अटल विश्वास हो जाता है और वह अपने लक्ष पर सफलतापूर्वक पहुँच जाता है।
नितिन कुमार पामिस्ट
चार भुजाओं के घिरे हुए क्षेत्र को जिसके सभी कोण समकोण या ९०° के होते हैं, हिन्दी संसार में उसे वर्ग नाम से पुकारा जाता है। किन्तु किसी भी हाथ में यह परिभाषा कठिनता से ही पूर्ण उतरेगी, क्योंकि इसके विपरीत छोटी-बड़ी भुजाओं तथा न्यूनाधिक कोण वाले बहुत से चतुर्भुज हाथों में देखने को मिलेंगे । इसलिये अब हम इस चिन्ह को वर्ग या चतुर्भज के नाम से ही सम्बोधित करेंगे। यथार्थ में इन दोनों का काम आने वाली आपत्तियों से बचाना तथा दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटनाओं से रक्षा करना है।
किसी भी ग्रह क्षेत्र पर पड़कर उसके गुणों में वृद्धि करना अथवा उन्हें न्यून न होने देना है, दोषपूर्ण रेखाओं के दूषित प्रभाव को दूर करना तथा आने वाली सभी घटनाओं से उस मनुष्य को त्राण देना ही इस वर्ग का कर्तव्य-सा हो जाता है।
वर्ग गुरु क्षेत्र पर :--जिस मनुष्य के दाहिने हाथ के बृहस्पति क्षेत्र पर वर्ग का चिन्ह सुन्दर, साफ तथा निर्दोष रूप से विद्यमान रहता है, उस मनुष्य में शासन करने की शक्ति पूर्ण रूप से पाई जाती है। ऐसा मनुष्य अपनी हैसियत के मुताबिक समाज का नेता तथा धर्म का प्रवर्तक होता है और देश तथा जाति की उन्नति में सहयोग करता है। उसकी प्रवृत्ति दलित वर्ग को ऊँचा उठाने की होती है। ये लेख भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट द्वारा लिखा गया है अगर आप उनके दवारा लिखे सभी लेख पढ़ना चाहते है तो गूगल पर इंडियन पाम रीडिंग ब्लॉग को सर्च करें और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें । वर्ग चिन्ह एक शुभ फलदायक लक्षण है जोकि किसी भी स्थान पर अपना शुभ फल दिखलाये बिना नहीं रहता। गुरु क्षेत्र का वर्ग मनुष्य को बड़ा बनाने, आपत्ति से बचाने में पूर्ण सहायक होता है। वह प्रत्येक कार्य में मनुष्य को सफलता प्रदान कर कीति, यश तथा लाभ कराता है।
वर्ग शनि क्षेत्र पर:- शनि क्षत्र पर वर्ग का चिन्ह सुन्दर, साफ और स्पष्ट रूप से होने पर मनुष्य किसी भी दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना से त्राण पाता है। भाग्य रेखा के समीप शनि क्षेत्र पर वर्ग होने से उस मनुष्य की आपत्ति के समय प्राण रक्षा हो जाती है और किसी अकास्मिक घटना से वह बच जाता है। यदि इस वर्ग या चतुर्भुज के चारों ओर सिरों पर रक्त बिदु शोभा पाते हों तो या चारों भुजायें रक्तिम हों तो उस मनुष्य की प्राण रक्षा अनल या आग द्वारा, बिजली तथा मन्त्र तथा ऐसी ही और देवी दुर्घटना से हो जाती हैं। वर्ग चिन्ह शनि क्षेत्र पर शुभ होता है। जोकि मनुष्य को भाग्य सम्बन्धी आपत्तियों से बचाता है।
वर्ग रवि क्षेत्र पर :–रवि क्षेत्र पर वर्ग का चिन्ह किसी भी मनुष्य के हाथ में यश, कीर्ति, लाभ, बड़ाई, मान तथा प्रतिष्ठा के लिये उत्साहित तथा इच्छुक बनाता है। ऐसा मनुष्य अपनी ख्याति तथा प्रसिद्धि किसी शुभ कार्य के लिये बहुत चाहता है। ऐसा मनुष्य कलापूर्ण दस्तकारी की वस्तुओं का क्रय-विक्रय करने वाला तथा उससे घन एकत्रित करने वाला होता है । साथ ही रवि क्षेत्र पर वर्ग चिन्ह मनुष्य को घमंड, घनमद के नशे आदि से दूर रखकर उसके स्वभाव को शान्त तथा मौन बनाता है, जिसके लिए वह आदरणीय होता है।
वर्ग बध क्षेत्र पर :-यदि किसी मनुष्य के हाथ में वर्ग का नि स्पष्ट रूप से बुध क्षेत्र पर दिखाई देता हो तो उस मनुष्य को स्व से चंचल तथा परिश्रमी बनाता है। किसी भारी धन सम्बन्धी दुर्घटना से बचाकर उसे कारावास या जेल जाने से बचाता है और किसी नवीन आविष्कार के करने तथा किसी नवीन पुस्तक के लिखने में सहायक होता है।
वर्ग प्रजापति क्षेत्र पर :-जिस मनुष्य के प्रजापति क्षेत्र पर वग का चिन्ह स्पष्ट रूप से दिखाई देता हो तो उसके शत्रु उससे दबे रहते हैं और वह अपने शत्रु प्रहारों से सदा ही त्राण या रक्षा पाता है और वह अपने मस्तिष्क तर्क द्वारा अपने को शान्त रखता है। उसे वायु सम्बन्धी रोग तो अवश्य होते हैं किन्तु वह वायुयान दुर्घटना के समय बच जाता है । आँधी तूफानों से रक्षा पाता है।
वर्ग वरुण क्षेत्र पर :-वर्ग चिन्ह स्पष्ट रूप से वरुण क्षेत्र पर होने से मनुष्य विद्याध्ययनरत, शान्त, मौन तथा विद्या घमंड से दूर रहता है। ऐसा मनुष्य कम पढ़ा-लिखा होने पर भी सभ्य शिष्टाचार की बात करता है और अपने वर्ग में आदरणीय समझा जाता है। उसका जीवन सीधा सादा तथा विचारों में आदर्श माना जाता है। जो कि शुभ लक्षण है।
वर्ग चन्द्र क्षेत्र पर :-चन्द्र क्षेत्र पर वर्ग का चिन्ह स्पष्ट रूप से विद्यमान होने पर मनुष्य की काल्पनिक, दार्शनिक शक्ति को तथा कल्पना कवित्व शक्ति को बहुत बढ़ा देता है और जलयान, नाव, जलविहार तथा तैरने के समय किसी होने वाली दुर्घटना के खतरे से उसकी रक्षा करता है और इसके अतिरिक्त, सौन्दर्य, विवेक, तर्कवितर्क बद्धि के गर्व से बचाता है। ऐसा मनुष्य प्रेम के सम्बन्ध में सतर्क तथा भ्रष्टाचार के अतिक्रमण से दूर रहकर अपनी मान मर्यादा की रक्षा करता है।
वर्ग केतु क्षेत्र पर :-केतु क्षेत्र पर वर्ग का चिन्ह किसी भी व्यक्ति की भाग्य सम्बन्धी धन जन दुर्घटना से उसके बाल्यकाल से लेकर शैशव तक रक्षा करता है। ऐसा मनुष्य अचानक दैवी सहायता पाकर किसी भी कठिन समय को सहज ही पार कर जाता है और शान्ति से एक समय तक घर ही में निवास करता है।
वर्ग शुक्र क्षेत्र पर :–यदि शुक्र क्षेत्र पर वर्ग का चिन्ह जीवन रेखा की ओर अधिक हो तो वह मनुष्य अपने प्रेम सम्बन्धी सभी झगड़ों को शान्त भाव से सहने वाला, एकान्त, शान्त होकर जंगल में अवधूत बनकर वियोगी होकर रहता है । यह कार्य उसे चाहे अपने स्वाभाविक रूप से या किसी बड़ी विवशता ही द्वारा क्यों न करना पड़े, करना ही पड़ता है। वह अपने शहर या गाँव को छोड़ देता है। यदि यह वर्ग जीवन रेखा को छूता हो तो उस मनुष्य को अपनी बढ़ी हुई विषय-वासना के द्वारा निजी सम्बन्धियों में बदनामी उठानी पड़ती है और यदि यह वर्ग शुक्र क्षेत्र के मध्य में काफी बड़ा स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता हो तो वह मनुष्य अपने कामासक्त स्वभाव के कारण तथा अतृप्त विषय-वासना के द्वारा निन्द्य कर्मरत रहने पर भी अनेक प्रकार के खतरों से बचकर जेल यात्रा से बच जाता है। इस प्रकार अनेक दूषित कर्मरत रहने पर भी केवल बदनाम होकर छूट जाता है।
वर्ग चिन्ह का छोटी-बड़ी रेखाओं पर प्रभाव
वर्ग जीवन रेखा परः—जिस मनुष्य की जीवन या आयु रेखा किसी भी स्थान पर टूट रही हो और उस टूटे हुए स्थान के ऊपर से कोई रेखा उस स्थान को पूर्णतया ढकती हुई निर्दोष रूप से हाथ में जाती हो तो उस मनुष्य की मृत्यु से रक्षा तो हो जाती है किन्तु किसी बड़ी बीमारी से रक्षा नही होती अर्थात् शेष आयु रेखा के सुन्दर, साफ तथा स्पष्ट होने पर वह मनुष्य किसी लम्बी बीमारी के पश्चात् दीर्घायु पाता है। यह बात हम जीवन रेखा के साथ वर्णन कर आये हैं और यदि ये जीवन रेखा के दोनों टुकड़े किसी वर्ग द्वारा जुड़े हुए हों तो उस मनुष्य की प्राण रक्षा मृत्यु से ही नहीं बल्कि किसी विशेष प्रकार की होने वाली बीमारी से अथवा किसी दुर्घटना के समीपी बचाव के कारण से भी हो जाती है। वर्ग का चिन्ह किसी भी हाथ में एक शुभ लक्षण है जो कि आपत्ति के समय उसकी सहायता ही नहीं बल्कि प्राण रक्षा तक करता है। जो वर्ग जीवन रेखा से अलग उसके समीप ही होता है, वह मनुष्यों के विचारों को आध्यात्मिक बनाकर विरक्त संन्यास की ओर आकर्षित करता है।
वर्ग मस्तिष्क रेखा पर :–यदि वर्ग का सुन्दर, साफ और स्पष्ट चिन्ह मस्तक रेखा के टूटे, लहरदार अथवा शृंखलित चिन्ह को जोड़ता हो तो वह मनुष्य अनेक मस्तिष्क सम्बन्धी रोगों से, जैसे, उन्माद पागलपन, रतौंदा, आधाशीशी आदि रोगों के साथ-साथ किसी घातक चोट के लगने वाले घाव से भी त्राण पाता है। इसलिए छोटी अवस्था वाले बच्चे के हाथ में यह चिन्ह देखकर हम उसके ऊपर आने वाली भविष्य आपत्ति से होने वाली रक्षा को उपयुक्त लक्षणमय पाकर यह कह सकते। हैं कि अमुक व्यक्ति की अमुक अवस्था में अमुक दुर्घटना से रक्षा हो सकेगी या वह मनुष्य आगामी आपत्ति को अपनी बुद्धिमत्ता द्वारा हटाकर अपनी रक्षा करने में भली भाँति समर्थ हो सकेगा।
वर्ग हृदय रेखा पर :-यद्यपि हृदय रेखों का टूट जाना हृदय रोग या हृदय कमजोर होने का अथवा किसी के द्वारा विवाह में अड़चनें डालने या फिर किसी के प्रेम सम्बन्ध में आकर प्रेम की विफलता द्वारा हृदय विदारक दृश्य उपस्थित करने का अचूक चिन्ह प्रत्यक्ष रूप से साफ दिखाई देता है फिर भी यदि उसे स्पष्ट वर्ग का चिन्ह पूर्णतया ढंककर जोड़ता हो तो उस मनुष्य को हृदय रोग से मुक्त कर अपने प्रेमपात्र का प्रेम पाने में सफलता प्रदान करता है। उसके हृदय में अनेक बार निराशा के भाव जागृत होने पर भी आशा बलवान रहती है। और वह अन्त में सफल होता ही है । यदि यह वर्ग शनि क्षेत्र के नीचे टूटी हृदय रेखा के ऊपर स्पष्ट रूप से हो तो वह मनुष्य किसी बेवफा के इश्क में फंसकर अपने को बर्बाद कर लेता है।
वर्ग रवि रेखा परः–यदि किसी मनुष्य के हाथ में सुन्दर, साफ और स्पष्ट वर्ग का चिन्ह रवि रेखा पर स्पष्ट रूप से विद्यमान् हो तो उसको किसी भी धन या मान-प्रतिष्ठा सम्बन्धी दुर्घटनाओं से बचाता है और उस मनुष्य की प्रत्येक प्रकार से कीति को अचल रखने में समर्थ होता है। टूटी सूर्य रेखा को ढकने वाला वर्ग का चिन्ह किसी भी प्रकार से उस मनुष्य के व्यवसाय तथा आदर व इज्जत को ठेस नहीं लगने देता।
वर्ग भाग्य रेखा पर :-यद्यपि भाग्य रेखा का टूटकर सहसा रुक जाना अत्यन्त खतरनाक चिन्ह है, फिर भी रुके स्थान से पहले ही किसी दूसरी सहायक रेखा का सुन्दर, साफ, स्पष्ट, पतला तथा लम्बा होकर शनि क्षेत्र को पहुँचना पहले से भी उत्तम नौकरी मिलना या व्यवसाय तथा व्यापार का चलना प्रदर्शित करता है। फिर भी भाग्य रेखा का टूटना निराशा, घन-जन सम्बन्धी भारी दुर्घटना होने का प्रत्यक्ष लक्षण है। यदि इस टूटे स्थान को कोई वर्ग चिन्ह पूर्णतया ढकता हो तो उस मनुष्य का कारोबार बरकरार रहता है। उसकी धन-जन सम्बन्धी दुर्व्यवस्था के आसार हो जाने पर भी टल जाते हैं। उसकी सामाजिक तथा सांसारिक परिस्थिति में विशेष अन्तर नहीं पड़ता। यदि शनि क्षेत्र पर यही वर्ग का चिन्ह भाग्य रेखा पर हो तो वह मनुष्य किसी भावी भाग्यवश होने वाली दवी दुर्घटना से बिल्कुल साफ बच जाता है।
वर्ग स्वास्थ्य रेखा पर :—जिस मनुष्य के दाहिने हाथ की स्वास्थ्य रेखा पर स्पष्ट रूप से वर्ग का चिन्ह कहीं भी अंकित हो तो उस मनुष्य की प्रत्येक प्रकार की बीमारी से रक्षा हो जाती है । यदि यह वर्ग हृदय और स्वास्थ्य रेखा के मिलने से बना हो तो हृदय रोग तथा हृदय की मलिनता या कमजोरी को दूर करता है। इसी प्रकार मस्तिष्क रेखा से सम्बन्धित होने पर मस्तिष्क रोग दूर करता है । भाग्य रेखा से सम्बन्धित होने पर धन सम्बन्धी संकट टालता है और आयु रेखा से सम्बन्धित होने पर एक समय तक बीमारी में रक्षा कर अन्त में मृत्यु प्रदान करता है ।
वर्ग विवाह रेखा पर :-यदि विवाह रेखा सुन्दर, साफ, स्पष्ट तथा निर्दोष रूप से हाथ में स्थित हो तो उस पर वर्ग का चिन्ह कोई उत्तम लक्षण नहीं है क्योकि इस चिन्ह के होने से मनुष्य के विवाह होने में अनेक रुकावटें तथा अड़चनें पड़ती हैं । यदि विवाह रेखा टूटी हो तो उसको जोड़ने वाला वर्ग का चिन्ह शुभ फलदायक होता है. क्योकि ऐसे चिन्ह के होने से विवाह में देरी तो होती है किन्तु विवाह सम्बन्ध नहीं टूटता, बल्कि सुचारु रूप से स्थिर होकर विवाह हो जाता है। सन्तान रेखाओं के टूटे स्थानों को पूर्ण करने वाला वर्ग सन्तान के जीवित रहने का प्रत्यक्ष लक्षण दिखाई देता है।
वर्ग मंगल रेखा पर :--मंगल रेखा को हमने दूसरी जीवन रेखा ही माना है, इसलिये वर्ग का जो प्रभाव जीवन रेखा पर पड़ता है वही मंगल रेखा पर भी पडेगा, किन्तु फिर भी यहाँ यह कह देना अत्यन्त आवश्यक हो जाता है कि मंगल रेखा के टूट जाने पर मनुष्य की शारीरिक तथा मानसिक शक्ति का ह्रास हो जाता है, किन्तु उस टूटे स्थान को यदि वर्ग का चिन्ह पूर्णतया ढके हुए हो तो उस मनुष्य में शारीरिक दुर्बलता आती है और न वह बीमार ही पड़ता है बल्कि वह बिना ही झगडा अपने रोब से ही सभी कार्य सहज ही में बना लेता है। उसकी पहुँच बड़े-बड़े औफीसरों तक सहज ही हो जाती हैं।
वर्ग चंद्र रेखा पर :-यद्यपि चन्द्र रेखा का टूट जाना एक अशुभ लक्षण है क्योंकि इस रेखा का टूट जाना उस मनुष्य की उन्नति में र प्रकार से बाधक तथा पानी में डूबकर मरने का अचूक लक्षण है।
फिर भी यदि उस टूटे हुए स्थान को स्पष्ट वर्ग का चिन्ह पूर्ण रूप से ढक रहा हो तो इस रेखा के उपर्युक्त दोष समाप्त हो जाते हैं और वह मनष्य उत्तरोत्तर उन्नति कर बड़ा आदमी बन जाता है और उसे जल यात्रा के समय प्राणों का कोई भय नहीं रहता । वह जल सम्बन्धी अनेक आपत्तियों के आने पर भी साफ बच जाता है।
वर्ग प्रभाविक रेखा पर :—यद्यपि प्रभाविक रेखा पर वर्ग का चिन्ह किसी भी मनुष्य के प्रभाव को और भी गुरुतर बना देता है। यदि टूटी प्रभाविक रेखा पर वर्ग का चिन्ह स्पष्ट रूप से अंकित हो तो उस मनुष्य के प्रभाव को सर्व साधारण जनता पर कम नहीं होने देता। ऐसा मनुष्य निराक्षर होने पर भी अपने प्रभाव में बहुत से व्यक्तियों को रखता है। और समाज में आदर पाता है।
वर्ग यात्रा रेखा पर :– वर्ग अपना शुभ प्रभाव प्रत्येक प्रकार की यात्रा रेखा पर समान रूप से रखता है। वह यात्रा चाहे स्थल पर रेल, मोटर, बस, गाडी या बाइस्किल आदि किसी पर भी हो, जल में नाव अथवा जलयान द्वारा ही क्यों न हो या आकाश मार्ग में वायुयान द्वारा ही क्यों न हो, यात्रा रेखा सुन्दर और स्पष्ट होने पर तो कहना ही क्या है। टूटी होने पर भी यह वर्ग चिन्ह उसके जीवन की रक्षा यथा समय कर है जिससे मनुष्य पर भय और निराशा न आकर ईश्वर पर अटल विश्वास हो जाता है और वह अपने लक्ष पर सफलतापूर्वक पहुँच जाता है।
नितिन कुमार पामिस्ट