हस्त चिन्ह - भारतीय हस्तरेखा शास्त्र
जाली (Grille)
यह अशुभ चिह्न है। जब तीन-चार पतली पतली रेखाएँ अन्य उतनी ही या उससे अधिक रेखाओं द्वारा कटती है तो उसे 'जाल' या 'जाली' कहते हैं। बृहस्पति पर्वत पर स्थित जाल जातक को अधिक अहंकारी बनाता है, सूर्य पर्वत पर यह चिह्न मुर्खता देता है. शनि पर्वत पर दुर्भाग्य और दुःखी रहने का स्वभाव बनाता है. बुध पर्वत पर सिद्धान्तहीन स्वार्थी, चन्द्र पर्वत पर अशान्ति, बेचैनी, मानसिक रोग तथा असन्तोष देता है, शुक्र पर्वत पर सनकी होने की आदत देता है।
क्रास बार (Cross Bar)
ये रेखाएँ बहुत अशुभ समझी जाती हैं। यह समानान्तर दूरी से जाने वाली पड़ी रेखाएँ होती है। इनके द्वारा प्रकट होने वाला खराब असर जाली (Grill) से भी ज्यादा हानिकर होता है। ये कार्य में बाधायें पड़ने का सूचक है।
गोला (Circle)
सूर्य पर्वत ही एकमात्र स्थान हैं जहाँ गोला जातक को कामयाबी और प्रसिद्ध देता है। इसके अतिरिक्त अन्य सभी पर्वतों, क्षेत्रों या रेखाओं पर होने से गोला दुर्भाग्य के चक्कर का प्रतीक है। यह जिस रेखा को छूता है वह उस काल तक दुर्भाग्य से घिरी रहती है जिस काल तक गोला उसे स्पर्श करता रहता है। ये लेख भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट द्वारा लिखा गया है अगर आप उनके दवारा लिखे सभी लेख पढ़ना चाहते है तो गूगल पर इंडियन पाम रीडिंग ब्लॉग को सर्च करें और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें । चन्द्र पर्वत पर ‘गोला' जल में डूबने की सम्भावना बनाता है। शनि पर्वत पर बना गोला (Circle) जातक को अधेडावस्था में दुर्भाग्य के चक्कर में डाल देता है और वह उसी में घूमता रहता है। इसके प्रभाव से बचने का एक ही उपाय है कि जातक अपने आपको योग साधना, मन्त्र जाप, तथा आत्म संयम द्वारा शान्त तथा व्यावहारिक बनाये।
टिप्पणी इन प्रतीक चिह्नों को कम महत्त्वपूर्ण इसलिए कहा जाता है कि ये कुछ सीमा तक ही प्रभाव डालते हैं। ये मुख्य रेखा के प्रभाव को घटा-बढ़ा सकते हैं। इनके अच्छे और बुरे प्रभावों की शक्ति हाथ के प्रकार, रेखा की स्पष्टता, पर्वत का दबा या उठा होने पर निर्भर करती है।
रहस्यमय क्रॉस (La Croix Mystique)
यह मंगल क्षेत्र के चतुष्कोण में हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा के मध्य में पाया जाता है। यह भाग्य रेखा और मस्तिष्क रेखा से हृदय रेखा की ओर जाने वाली रेखा से बना हो सकता है। यह रहस्यमय क्रॉस जातक में आध्यात्मिकता, रहस्य के प्रति प्रेम, अन्धविश्वास या परामानसिक विद्या की साधना का द्योतक है। इसके फल का पता लगाने के लिए मस्तिष्क रेखा पर पहले ध्यान देना आवश्यक है। यदि मस्तिष्क रेखा छोटी है और यह क्रॉस उसके ऊपर बना है तो जातक को यह घोर अन्धविश्वासी बनायेगा। इससे उसका अधिक अहित भी सम्भव है। परन्तु अगर रहस्यात्मक बड़ा त्रिकोण अपनी स्वतन्त्र सत्ता रखता है और मस्तिष्क रेखा लम्बी है तो यह जातक को गुप्त आध्यात्मिक विद्याओं का साधक बना सकती है। भाग्य और सूर्य रेखा अच्छी होने पर उसे अपनी इस विद्या द्वारा पर्याप्त धन तथा यश मिलेगा। इसके साथ बृहस्पति मुद्रा (Ring of Solomon) होने पर जातक विश्वप्रसिद्ध बन सकता है। विश्वविख्यात महान् हस्तरेखा शास्त्री कीरो' के हाथ में भी बृहस्पति मुद्रा पूरी थी और ऊपरी मस्तिष्क रेखा उसके दाहिने हाथ में 30 वर्ष की आयु में स्पष्ट दृष्टिगोचर हुई थी। इनो आयु में उसे विश्वभर में ख्याति मिली थी। अतः यह निश्चित रूप से कहा । जा सकता है कि रहस्यमय क्रॉस को उपर्युक्त प्रकार की सही स्थिति वाले व्यक्ति को ज्योतिष हस्तरेखा शास्त्र योग, सम्मोहन, रेकी आध्यात्मिक स्पर्श चिकित्सा मन्त्रशक्ति जैसी साधना पद्धतियों में आगे बढ़ने का प्रयत्न करना चाहिए।
लेकिन जब रहस्यमय क्रॉस (La Croix Mystique) बृहस्पति की ओर या उसके नीचे हो, जातक को अपने जीवन के आध्यात्मिक रहस्यों के बारे में ज्ञान पाने में विश्वास होगा परन्तु दूसरों के बारे में नहीं। । जब यह चिह्न मस्तिष्क रेखा की तुलना में हृदय रेखा से अधिक सम्बन्धित | होता है मस्तिष्क रेखा के ऊपर बीच में है और यह रेखा नीचे की ओर पैना मोड लेती है। व्यक्ति हानिकर स्तर तक अत्यधिक अन्धविश्वासी होता है। जब रहस्यमय क्रॉस भाग्य रेखा को स्पर्श करता है या भाग्यरेखा से किसी प्रकार सम्बन्धित है तो जातक का पूरा जीवन रहस्यमय पराविद्याओं से प्रभावित होगा। यह कम हाथों में पाया जाता है।
सरल हस्तरेखा पुस्तक की सभी पोस्ट यहाँ पढ़ें - सरल हस्तरेखा शास्त्र