Signs On Hand | Hindi Palmistry
द्वीप (Island)
यह एक अशुभ चिह्न है जो दो रेखाओं के आपस में मिलने से बनता है जैसाकि
चित्र संख्या 12 में दिखाया गया है। यह सीधी, तिरछी, आड़ी किसी भी प्रकार की रेखा पर हो सकता है। इसके हानिकारक प्रभावों के बारे में आगे मुख्य रेखाओं के विवरण के साथ प्रकाश डालेंगे। प्रायः यह रोग व दु:ख प्रकट करता है।
मछली या मत्स्य रेखा (Fish)
भारतीय हस्तसामुद्रिक के अनुसार यह एक शुभ चिह्न माना जाता है। इस चिह्न में एक लम्बे द्वीप' (Island) के अन्त में त्रिकोण जुड़ा रहता है। इसका अर्थ यह होता है कि आने वाली समस्या, कठिनाई या विपत्ति अन्त में लाभदायक सिद्ध होगी तथा दु:ख का परिवर्तन किसी प्रकार की सुख-सुविधा या शक्ति में बदल जायेगा। प्रायः ऐसे व्यक्ति बहुत उदार और दानी होते हैं। मत्स्य रेखा कम हाथों में पायी जाती है।
त्रिकोण (Triangle)
तीन रेखाओं से बनने वाला त्रिकोण जितना स्पष्ट होगा उतना ही शुभ प्रभाव देगा। त्रिकोण जिस ग्रह क्षेत्र या रेखा पर होता है, उसके अच्छे असर को बढ़ा देता है। उदाहरणार्थ सूर्य क्षेत्र में स्थित त्रिकोण व्यक्ति को सफलता तथा यश पाने के बाद भी अहंकारी नहीं बनने देता। वह अपनी कलात्मक क्षमता का व्यावहारिक उपयोग करता है। इसी प्रकार भाग्य रेखा पर त्रिकोण होने से वह धन-सम्पत्ति की वृद्धि का सूचक होता है। यह चिह्न व्यक्ति में ऐसे गुणों का विकास करता है जिससे वह संकट में भी सफलता प्राप्त कर लेता है। ये लेख भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट द्वारा लिखा गया है अगर आप उनके दवारा लिखे सभी लेख पढ़ना चाहते है तो गूगल पर इंडियन पाम रीडिंग ब्लॉग को सर्च करें और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें ।शनि पर्वत या क्षेत्र पर त्रिकोण आध्यात्मिक व रहस्यपूर्ण विधाओं जैसे सम्मोहन, ध्यान, तन्त्र शक्ति में रुचि व उनमें सफलता देता है। शुक्र पर्वत पर यह जातक को प्रणय सम्बंधों में व्यावहारिक तथा परिस्थितियों के अनुसार बदल जाने की शक्ति रखने वाला बनाता है।
त्रिशूल (Trident) या वाण की नोक
यह भी शुभ चिह्न हैं। यह जिस भी पर्वत (Mount) या रेखा पर स्थित होता है उसकी सफलता को निश्चित बनाता है। रेखा के ऊपरी भाग पर होने से इसके प्रभाव अधिक अच्छे होते हैं। उदाहरण के लिए सूर्य रेखा या भाग्य रेखा पर होने | से उनके असर में बढ़ोत्तरी कर देता है।
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