रंगो की दृष्टि से पूरे हाथ का वर्गीकरण - हस्तरेखा विज्ञान
श्यामल रंग वाले हाथ
इनकी हथेली पर श्यामवर्ण की हल्की छाया पायी। जाती हैं। ये क्रोधी, अहंकारी, मन्दबुद्धि, पाशविक, नशेबाज और वेश्यागामी भी हो सकते हैं। धन पाने के लिए हर तरह की नीति और हथकण्डे अपनाते हैं। अगर ऐसे लोगो की मस्तिष्क रेखा अच्छी हो तो ये भाग्यवान बन सकते हैं। चन्द्रमा व मंगल का शुभ होना भी आवश्यक है। अन्यथा इनका अन्त दु:खद हो सकता है। ऐसे लोगों के लिए अपने मन को संयमित रखना तथा भ्रष्ट आचरण से बचना स्वास्थ्य, सुख और सफलता दे सकता है। लेकिन यह बहुत कठिन है।
लाल हाथ
रक्तवर्ण हाथ में भी ऊपर लिखी बुराइयाँ पायी जाती हैं। ऐसे लोग स्वस्थ होते हैं पर अन्त में अपनी ही बुराइयों जैसे अधिक क्रोध, काम आदि के कारण मारे जा सकते हैं, प्रायः अपने ही लोगों द्वारा। श्यामल तथा लाल हाथ वालों को रक्तचाप (Blood Pressure) अधिक होने या मधुमेह (Diabetes) का रोग सम्भव है।
गुलाबी हाथ
गोरे या चम्पई वर्षों में पाये जाते हैं। सिन्दूरी हाथ भी इसी श्रेणी में आता है। ये स्वभाव से कोमल, स्वस्थ और संवेदनशील होते हैं। कामशक्ति अधिक, भोगवादी और अधिक चंचलता होती है। प्रायः धनवान वर्ग के होते हैं।
सफेद व पीला हाथ
अधिक असफलताओं, निराशा तथा दु:खों-रोगों का सामना करना पड़ता है। उदासीनता (Depression) के शिकार। सफलता पाने के लिए लम्बा और कठिन संघर्ष करना पड़ता है। निद्रा की अधिकता, आलस्य तथा अत्यधिक काम वासना से इन्हें बचना चाहिए। यह हाथ सफेदी अधिक दिखाता है, पीलापन कम। पूरी तरह पीला हाथ जिगर के रोग या पीलिया रोग का सूचक है। सफेदी दिखाने वाला हल्का पीताभ हाथ का व्यक्ति स्वार्थी, अहंकारी और दूसरों के प्रति सहानुभूति बहुत कम रखता है। पूरी तरह पीलापन रोगग्रस्तता, अवसाद (Depression) और चिड़चिड़ापन दर्शाता है।
नीला हाथ
ऐसे लोग किसी प्रकार के नशे के आदी होते हैं या इनमें रक्तदोष पाया जाता है। स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। हृदय रोग भी सम्भव है।
हाथों के दाग
काले या नीले धब्बे गुप्त रोगों, स्नायु रोगों की सम्भावना प्रकट करते हैं।
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