चतुष्कोण (Quadrangle) यह हृदय और मस्तिष्क की रेखाओं के बीच में स्थित होता है। (चित्र-10) इसके एक ओर भाग्यरेखा (Line of Fate) अथवा बृहस्पति की ओर जाने वाली रेखाएँ तथा दूसरी ओर सूर्य अथवा स्वास्थ्य रेखा हो सकती है। इसे दोनों ओर से चौड़ा, सम (बीच में पतला न होना) चिकना और मस्तिष्क तथा हृदय रेखा में से निकलती रेखाओं द्वारा कटा हुआ नहीं होना चाहिए। ऐसी स्थिति मानसिक सन्तुलन और मित्रों तथा सम्बन्धियों के प्रति अच्छे व्यवहार की द्योतक होती है। इस स्थान का अधिक संकरा (Narrow) होना पारम्परिक धर्म और नैतिकता के प्रति कट्टरता, विचारों का छोटा होना तथा संकीर्ण दृष्टिकोण प्रकट करती है। इसके विपरीत मध्यवर्ती इस स्थान का अधिक चौड़ा होना व्यक्ति को ध र्म व नैतिकता के ऐसे उदार विचार रखने वाला बनाती है जिनसे उसका अपना लाभ हो।
मध्य का यह स्थान कमर जैसा पतला दिखायी देने पर व्यक्ति को अपने स्वार्थ पर अधिक ध्यान देने वाला और पूर्वाग्रह तथा पक्षपात से पूर्ण बना देता है। जब सूर्य के नीचे वाला स्थान शनि के नीचे वाला स्थान से कम चौड़ा हो तो जातक को अपने नाम, यश, पोजीशन या प्रतिष्ठा (Reputation) की अधिक चिन्ता नहीं होती। इसके विपरीत होने पर फल भी विपरीत होता है और जातक अपनी रेपुटेशन और दूसरों के मतों (Opinions) के प्रति जरूरत से ज्यादा परेशान रहता है।
जब चतुष्कोण (Quadrangle) अपनी पूरी लाबाई में असामान्य (Abnormally) रूप से चौड़ा होता है, यह विचारों और भावों के प्रति लापरवाही, मन की उच्छृखला तथा परम्पराओं से रहित एवं विवेकरहित (Impudent) मानसिक स्थिति दिखाता है।
चतुष्कोण का चिकना होना, बीच में रेखाओं से रहित या बहुत कम होना, शान्त स्वभाव का द्योतक है। छोटी-छोटी रेखाओं से भरा, क्रॉसों (Crosses) या कटवा (X) निशानों से भरा बेचैनी (Restlessness) और जल्दी क्रोधित हो जाने वाला (Irritable) स्वभाव बताता है।
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