Hath Mein Paye Jane Wale 54 Jyotish Yog | 54 Astrological Yog On Hand - Indian Palmistry


Hath Mein 54 Jyotish Yog | 54 Astrological Yog On Hand In Palmistry

54 प्राचीन प्रमुख योग - हस्तरेखा

इन हस्तरेखा ग्रह योगों का उल्लेख भारत के प्राचीन हस्तसामुद्रिक विशेषज्ञों ग्रन्थों में पाया जाता है। प्राचीन भारत में गुरु-शिष्य परम्परा से इनका ज्ञान आगे की पीढ़ी को मिलता था। उस समय लेखन के लिए भोजपत्र का उपयोग किया जाता था। अधिकांश ज्ञान सूत्र रूप में शिष्यों को कण्ठस्थ करा देने की परम्परा थी। बाद में विद्वानों ने इन सूत्रों की व्याख्या की और कागज का आविष्कार हो जाने के बाद उनको पुस्तकों के रूप में लिखा गया।  ये लेख भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट द्वारा लिखा गया है अगर आप उनके दवारा लिखे सभी लेख पढ़ना चाहते है तो गूगल पर इंडियन पाम रीडिंग ब्लॉग को सर्च करें और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें । इस प्रक्रिया में जो मुख्य मूल बातें थीं वे छूट गयीं क्योंकि इन सूत्रों में उनका उपयोग नहीं है। उदाहरण के लिए जिन-जिन ग्रह योगों अथवा हस्तरेखा योगों में धन, यश, राज सम्मान आदि पाने का योग है, उनमें हाथ के आकार-प्रकार का वर्णन नहीं है। ऐसा, मेरे विचार से इसलिए किया गया कि यह तथ्य कि “हाथ के आकार-प्रकार का हस्तरेखाओं की व्याख्या में सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है।

अधिकांश हस्तरेखा शास्त्रियों को ज्ञात था। अतः आध्यात्मिकता, आदर्शवादिता, गरीबी, दु:ख, रोग आदि से सम्बन्धित हस्तरेखा योग में हाथ का आकार-प्रकार प्रारम्भिक (Elementary), दार्शनिक (Philosophic), अतीन्द्रिय (Psychic) मानना चाहिए। धन, सत्ता, यश आदि प्राप्त होने के योग में हाथ का आकार-प्रकार मिश्रित (Mixed), सूच्याकार (Conic), वगकार (Square) चपटा (Spatulate) मानना ठीक रहता है।

ये ‘हस्तरेखा योग' सूत्रों के रूप में हैं। इनमें कहीं एक (जैसे 5वें ब्रह्म योग में) दो, तीन या चार मुख्य-मुख्य बातों/तथ्यों का उल्लेख है। अतः यह मानकर चलना चाहिए कि जहाँ अन्य पर्वतों, रेखाओं, शुभ चिह्नों का उल्लेख नहीं है, वे शुभ फलादेश में वहां हैं, उदाहरणार्थ ब्रह्म योग में हथेली पर ‘पताका' चिह्न का उल्लेख है, अन्य कुछ नहीं अर्थात् स्वस्थ भाग्य रेखा, जीवन रेखा, मस्तिष्क रेखा आदि उस हथेली में हैं तभी उसे धनवान और परमात्मा पर विश्वास करने वाला धार्मिक व्यक्ति बताया गया है।

इसके साथ यह जानकारी भी पाठकों को हो चुकी है कि दार्शनिक, अतीन्द्रिय और सूच्याकार हथेलियों की रेखाओं से तभी शुभ फल मिलता है। जब वे पूरी तरह स्पष्ट, गहरी तथा उचित रूप में पतली हों। उन पर अशुभ चिह्न नहीं हों।


अब हम पाठकों की जानकारी के लिए प्रमुख हस्तरेखा योगों का वर्णन कर रहे हैं।

1. मरुत योग (Marut Yog)

शुक्र पर्वत, गरु पर्वत तथा चन्द्र पर्वत अपने आपमें उचित रूप में विकसित हों और चंद्र रेखा (चन्द्रमा से शनि की ओर जाने वाली भाग्य रेखा) तथा शुक्र उनी आडी-खड़ी रेखाएँ स्पष्ट हों, तो मरुत योग होना है। व्यक्ति बातचीत तथा व्यवहार करने में अत्यधिक कुशल होता है। अपने विस्तृत करता है। वह समय की माँग, अवसर और लोगो के स्वभाव वने में निपुण होने के कारण अच्छा आर्थिक लाभ कमाता है और सुखी रहता है।

2. बुध योग (Budh Yog)

एक अच्छी धनुषाकार रेखा चन्द्रपर्वत से बुध पर्वत पर पहुँचती हो, दाहिने हाथ में बुध पर्वत अपने स्थान पर पूर्ण विकसित हो तथा यह पर्वत किसी ओर झुका नहीं हो। ऐसा व्यक्ति व्यापार में बहुत अच्छा धन कमाता है। उसे यश और सम्मान भी मिलता है।

3. इन्द्रयोग (Indra Yog)

मंगल पर्वत स्वाभाविक रूप में विकसित हो, मस्तिष्क रेखा, भाग्य रेखा तथा सूर्य रेखा पूरी तरह ठीक और अच्छी हो।

इस योग वाला जातक शारीरिक रूप से बलिष्ठ, बुद्धिमान, चतुर तथा रणनीति बनाने में कुशल होता है। सेना या पुलिस में उच्च पद प्राप्त कर खूब धन-सम्मान अर्जित करता है। आयु रेखा/जीवन रेखा भी अच्छी होने पर लम्बी आयु भी पा सकता है।

4. विद्युत् योग (Vidyut Yog)

यदि तिल का चिह्न मणिबन्ध के ऊपर हो, तो इसे विद्युत् योग माना जाता है। ऐसा व्यक्ति राजाओं जैसा सुखी-समृद्धिशाली जीवन जीता है।

5. ब्रह्म योग (Braham Yog)

हथेली में किसी स्थान पर पताका (ध्वज) का चिह्न हो, ऐसा व्यक्ति परमात्मा पर पूर्ण श्रद्धा रखने वाला, धनवान तथा सामाजिक भलाई के कार्यों को करने वाला होता है।

6. चण्डिका योग (Chandika Yog)

हथेली की चौड़ाई, हथेली की लम्बाई से कम हो, अँगुलियों में गाँठे नहीं हो सूर्य रेखा का उदय जीवन रेखा के प्रारम्भ से हो तथा वह सूर्य पर्वत या बुध पर्वत तक जा रही हों। ऐसा व्यक्ति धनवान, प्रतिभाशाली, दूसरों की भलाई करने वाला तथा उनको प्रसन्नता देकर स्वयं खुश रहने वाला होता है।

7. दरिद्र योग (Dharidra Yog)

हथेली में बिन्दु का चिह्न चन्द्र पर्वत पर हो, बुध की अँगुली पर तारे का चिह्न हो और सभी पर्वत उभरे हुए नहीं हो, ऐसा जातक धनवान घर में जन्म लेने पर भी अपने खराब कर्मों के कारण गरीबी का जीवन बिताता है।

8. शकट योग (Shakat Yog)

शनि और चन्द्र पर्वत दबे हों, भाग्य रेखा अस्पष्ट तथा क्षीण हो। शुक्र पर्वत पर बहुत अधिक तिरछी और आडी रेखाएँ हों, इससे शकट योग बनता है। ऐसा जातक जिसमें उपर्युक्त शकट योग होता है वह जीवनभर दरिद्रता का कष्ट भोगता है। गरीबी के कारण उसे जीवनभर संघर्ष करना पड़ता है।

9. चक्रयोग (Chakra Yog)

यदि हथेली में शनि पर्वत पर चक्र का चिह्न हो तो जातक धनवान, सम्पन्न, न्याय प्रिय तथा उच्च पद पाता है।

10. कानून या विधि योग (Kanoon Ya Vidhi Yog)

मणिबन्ध से उदय होकर कोई अच्छी रेखा बृहस्पति पर्वत पर जाये और भाग्य रेखा अच्छी हो तथा गुरु पर्वत/बृहस्पति पर्वत से निकलकर एक अच्छी रेखा जीवन रेखा से मिले तो ऐसा जातक एडवोकेट, जज अथवा अन्य कानूनी विद्याओं से धनार्जन करता है।

11. गजलक्ष्मी योग (Gajlakshi Yog)

आयु, स्वास्थ्य और मस्तिष्क रेखाएँ अच्छी हों, भाग्य रेखा दोनों हाथों में मणिबन्ध से शुरू होकर सीधी शनिपर्वत पर जाये, उसमें कोई अशुभ चिह्न नहीं हों, सूर्य पर्वत उचित रूप में उठा हुआ हों, ऐसा जातक मामूली परिवार का होकर भी उच्चस्तर की सफलता, सम्मान तथा यश पाता है। यदि जातक उद्योग-व्यापार में हो और इस सम्बन्ध में विदेश यात्रा करे तो उसे बहुत लाभ होता है। ऐसे जातक की यशगाथा उसकी मृत्यु के बाद भी बनी रहती है।

12. भास्कर योग (Bhaskar Yog)

बृहस्पति पर्वत उठा हुआ हो, अच्छी बृहस्पति रेखा हो, साथ में सूर्य रेखा का बुध रेखा से सम्बन्ध हो और बुध रेखा का चन्द्र रेखा से सम्बन्ध हो, इस योग में सूर्य, बुध, बृहस्पति और चन्द्र पर्वत पूर्ण विकसित होने आवश्यक है।

ऐसे  योग वाला व्यक्ति साहित्य, संगीत कला में पूरी चि लेता है तथा कलाकारों एवं संगीतकारों आदि को आर्थिक सहायता व सम्मान देता है। वह वित्र बनाने की कला में निपुण एक प्रभावशाली व्यक्तित्व का स्वामी होता है। वह उद्योग, व्यापार आदि करता तथा ऊँचा लाभ कमाता है।

13.  वेशियोग (Vaishi Yog)

हथेली में बुध मुद्रा (चन्द्राकार रेखा जो बुध पर्वत को घेरे हो) तथा शनि मुद्रा (ring of Saturn) हो तथा इसके साथ ही हथेली में शुक्र मुद्रा हो, शुक्र मुद्रा से आशय (Girdle of Venus) है। इससे वेशियोग बनता है। इस योग का जातक लाखों कमाता है पर खर्च भी खूब करता है इसलिए वह विशेष धनराशि जोड़ नहीं पाता। परन्तु वह गम्भीर, चतुर तथा बातचीत करने में कुशल होता है। उसे समाज में सम्मान मिलता है।

14. गन्धर्व योग (Gandharv Yog)

सूर्य पर्वत उभरा हुआ हो, सूर्य रेखा स्पष्ट व अच्छी हो, दोनों हाथों में शुक्र पर्वत उचित रूप में पूरा उभरा हो और उन पर वर्ग (Square) का चिह्न हो, ऐसा व्यक्ति प्रसिद्ध गायक अथवा संगीतकार होता है। वह खूब धन तथा यश पाता है।

15. राजनीतिज्ञ योग (Rajnetigya Yog)

ऐसे योग में मध्यमा अँगुली नुकीली होती है। सूर्य रेखा अच्छी और विकसित। बध पर्वत पर त्रिकोण का चिह्न होता है। ऐसा व्यक्ति राजनीति में चतर और साहसी होता है। उसे उच्च पद की प्राप्ति होती है।

16. व्यापार योग (Vyapar Yog)

अनामिका का ऊपरी पोर वर्गाकार और बुध पर्वत विकसित हो तथा मस्तिष्क ऐपवा सीधी व स्पष्ट हो, ऐसा जातक एक कुशल तथा सफल व्यापारी होता है।

17. दिवालिया योग (Diwaliya Yog)

भाग्य रेखा, मस्तिष्क रेखा और स्वास्थ्य रेखा तीनों कटी हुई हों तो जात दिवालिया हो जाता है।

18. चोरी योग (Chori Yog)

बुध पर्वत विकसित हो और उस पर जाली (Grill) का चिह्न हो, कनिष्ठिका अँगुली के आखिरी पर्व पर बिन्दु या क्रॉस का चिह्न हो, तो जातक के धन की बार-बार चोरी होती हैं।

19. जुआ योग (Jua Yog)

मध्यमा (Middle Finger) और अनामिका (Ring Finger) लम्बी और बराबर हो शनिपर्वत पर दोष हो, तथा वहाँ अर्धवर्त हो, ऐसा व्यक्ति जुआ खेलने का व्यय पाल लेता है। और उसमे पर्याप्त धन जीतता-हारता है। अन्त अच्छा नहीं होता।

20 (अ) चिकित्सक योग  (Chikitsak Yog)

दोनों हाथों में बुध पर्वत उन्नत हो और बुध पर्वत पर 3 खड़ी रेखाएँ हो, ऐसा जातक कुशल चिकित्सक/डॉक्टर बनता है। अनेक खड़ी रेखाएँ होने पर रसायन शास्त्री।

20 (ब) शल्य चिकित्सक योग (Shalya Chikitsak Yog)

उपर्युक्त के अतिरिक्त यदि जातक का मंगल पर्वत पूरा विकसित हो और मंगल रेखा भी अच्छी हो, तो जातक सफल सर्जन बनता है।

21. अन्तर्दृष्टि योग (Antardrishti Yog)

मस्तिष्क रेखा पतली हो, कोई बाधा या दोष नहीं हो और वह लम्बवत् रूप में चन्द्रपर्वत पर गयी हो। ऐसा जातक दूसरे व्यक्ति के मन की बात जान लेता है।

22. दत्तकपुत्र योग (Duttak Putra Yog)

शनि रेखा का मंगल रेखा से सम्बन्ध हो, और शनि तथा मंगल दोनों ऊँचे उठे हो, ऐसा व्यक्ति किसी कारणवश पुत्र गोद लेता है पर ऐसे पिता तथा पुत्र एक दूसरे से वांछित सुख नहीं पाते।

23. भद्रयोग (Bhadra Yog)

बुध पर्वत विकसित हो, बुध रेखा गहरी, स्पष्ट और लाल रंग की हो, कोई कट नहीं हो तो ऐसा व्यक्ति असम्भव कार्य को भी सम्भव कर देता है। वह निडर, चतुर तथा तीव्र बुद्धिवाला होता है। व्यापार में सफल होता है।

24. सन्तानहीन योग (Santanheen Yog)

मध्यमा अँगुली के तीसरे पर्व (पोरे) पर तारे का चिह्न हो तथा स्वास्थ्य रेखा पर भी हो। ऐसे व्यक्ति की सन्तान नहीं होती।

25. शुभ विवाह योग (Shubh Vivah Yog)

बृहस्पति तथा शुक्र के पर्वत उचित रूप में उभरे हो, भाग्य रेखा चन्द्र पर्वत से निकल रही हो और वह हृदय रेखा पर समाप्त हो, बृहस्पति पर क्रॉस हो तो ऐसे व्यक्ति को अच्छे स्वभाव वाला और प्रेम करने वाला जीवनसाथी/साथिन मिलता है।

16.  अशुभ विवाह योग (Ashubh Vivah Yog)

विवाह रेखा पर द्वीप का चिह्न, भाग्य रेखा पर क्रॉस, शुक्र पर्वत पर लाल तारा और शुक्र पर्वत कम उभरा, ऐसे व्यक्ति का विवाह अशुभ सिद्ध होता है। पति-पत्नी दोनों में झगड़ा रहता है।

27. पति त्याग योग (Pati Tyag Yog)

यदि किसी महिला के बृहस्पति पर्वत पर चक्र का चिह्न हो तो उसका पति उसे त्याग देता है।

28. नाभास योग (Nabhas Yog)

किसी भी पर्वत या अँगुली के अन्तिम पोर पर स्वस्तिक  का चिह्न हो, रोसा जातक सब प्रकार के सुख प्राप्त करता है।

29. विष योग (Vish Yog)

बध रेखा के नीचे अनेक काले बिन्दु हो, तो जातक की मृत्यु किसी शत्रु द्वारा विप देने से सम्भव।

30. श्री महालक्ष्मी योग (Shri Mahalakshmi Yog)

 हथेली में कहीं भी तराजू का चिह्न हो, व्यक्ति न्यायशील व धर्म कार्य करने वाला होता है। उसे जीवन में पर्याप्त धन तथा यश मिलता है।

31. शश योग (Shasha Yog)

यदि भाग्य रेखा हर प्रकार से अच्छी हो और वह मणिबन्ध से निकलकर सीधे शनि पर्वत के ऊपर तक पहुँच रही हो, ऐसा व्यक्ति अच्छी धन-सम्पत्ति, यश और राजनीति में उच्च स्थान प्राप्त करता है। शनि पर्वत तथा रेखा जितनी उत्तम होगी, वह उतना ही उच्च स्थान पायेगा।

32. जल सेना योग (Jal Sena Yog)

हाथ लम्बा हो, चन्द्र पर्वत उठा हुआ हो, वहाँ से एक रेखा सूर्य पर्वत पर जा रही हो भाग्य रेखा, तथा मस्तिष्क रेखा अच्छी व निदोष हो, ऐसा व्यक्ति जल । सेना में उच्च पद पाता है।

33. उच्च सरकारी पद पाने का योग (Ucch Sarkari Pad Pane Ka Yog)

कनिष्ठिका (बुध की अँगुली) अनामिका के तीसरे पोर से आगे तक लम्बी हो नीसो पोर के आधे भाग से अधिक लम्बी) भाग्य रेखा, सूर्य रेखा, मस्तिष्क वा अच्छी और बिना दोष के हों, बृहस्पति पर्वत उठा हुआ हो, ऐसा जातक उच्च सरकारी पद प्राप्त कर धन तथा यश पाता है।

34.  विदेश यात्रा योग  (Videsh Yatra Yog)

(1) हाथ में चन्द्र पर्वत विकसित हो (उभरा हो) और उससे एक रेखा बुध पर्वत पर जाती हो या ।
(2) बुधपर्वत पर बुध की अँगूठी (Ring of Mercury) हो और उससे निकलकर एक रेखा चन्द्रपर्वत पर जाती हो। (3) शुक्र पर्वत और चन्द्रपर्वत पूर्ण विकसित हों अथवा चन्द्र पर्वत से कोई रेखा शुक्र पर्वत पर जाती हो।

35. अभिनेता अभिनेत्री योग (Abhineta Abhinetri Yog)

सूर्य रेखा के अन्त में नक्षत्र हो, सूर्य रेखा स्पष्ट, गहरी और किसी प्रकार के कट (Cut) या अशुभ चिह्न से मुक्त हो तथा पूरी लम्बी हो, सूर्य की अँगुली (अनामिका) नोकदार तथा लम्बी हो, मस्तिष्क रेखा चन्द्र पर्वत की ओर झुकाव लिए हुए हो, पूरी तरह लम्बी हो, भाग्य रेखा भी पुष्ट तथा लम्बी हो, ऐसा व्यक्ति निश्चय ही सफल अभिनेता/अभिनेत्री बनता है।

36. हत्यारा हत्या योग (Hatyara Hatya Yog)

शुक्र वलय (Girdle of Venus) दोहरा हो, हृदय रेखा नहीं हो, अँगुठा छोटा, मोटा और पीछे मुड़ने में कठोर हो, पूरा हाथ सख्त हो ऐसा जातक हत्यारा हो सकता है।

37. शिक्षक/गुरु योग (Shikshak/Guru Yog)

सूर्य रेखा, भाग्य रेखा और जीवन रेखा तीनो समान रूप से लम्बी व अच्छी हों, बृहस्पति पर्वत पर क्रॉस हो, अनामिका से तर्जनी अँगुली (Index Finger) की लम्बाई अधिक हो, ऐसा व्यक्ति अच्छा शिक्षक बनता है।

38. एकाउण्टेट बनने का योग (Accountant Banane Ka Yog)

सूर्य पर्वत अच्छा विकसित हो, उस पर अच्छी सूर्य रेखा हो, बुध पर्वत भी। उठा हुआ हो साथ में अच्छी भाग्य रेखा हो ऐसा जातक सफल एकाउण्टेट हो सकता है।

39. इंजीनियर/अभियन्ता बनने का योग (Engineer/Abhiyanta Banane Ka Yog)

बिना रुकावट वाली भाग्य रेखा, उभरा शनि पर्वत, बुध पर्वत पर 3 या 4 खड़ी रेखाएँ हों, अच्छी और लम्बी मस्तिष्क रेखा हो, हाथ वर्गाकार या चपटा हो, ऐसा व्यक्ति सफल वैज्ञानिक तथा इंजीनियर हो सकता है।

40. न्यायाधीश योग (Nyaydheesh Yog)

भाग्य रेखा निर्दोष, पतली और स्पष्ट हो, सूर्य पर्वत उभरा और विकसित हो, बृहस्पति पर्वत पूर्ण विकसित हो तथा उस पर क्रॉस का चिह्न हो, भाग्य रेखा की कोई शाखा बृहस्पति पर्वत पर पहुँचती हो, अच्छी सूर्य रेखा हो, अंगूठा लम्बा तथा पीछे की तरफ झुका हो, ऐसा व्यक्ति प्रसिद्ध वकील, एडवोकेट और न्यायाधीश बन सकता है।

41. चित्रकार योग (Chitrakar Yog)

चन्द्र पर्वत अच्छा उभरा हुआ हो, लम्बी हथेली हो, अँगुलियाँ सूच्याकार (Conic) हों ऐसा व्यक्ति अच्छा चित्रकार हो सकता है।

42. नृत्यकार योग (Nrityakar yog)

चित्रकार योग के साथ बुध पर्वत उभरा हो, अच्छी बुध रेखा हो तथा शुक्र पर्वत अच्छा विकसित हो, ऐसा स्त्री या पुरुष अच्छा तथा प्रसिद्ध नृत्यकार हो सकता है बशर्ते सूर्य रेखा एवं भाग्य रेखा अच्छी हों।

43. सम्पन्नता योग (Sampannata Yog)

निम्नलिखित योग सम्पन्नता देते हैं-

1) मणिबन्ध से भाग्य रेखा शुरू हो और बिना किसी अशुभ चिह्न या संकेत के सूर्य पर पहुँचती हो।
2) शुक्र पर्वत के नीचे स्वस्तिक चिह्न हो।
3) गुरु पर्वत बडा हो और उस पर से निकलकर एक अच्छी रेखा सूर्य पर्वत पर जा रही हो।
4) कनिष्ठिका अँगुली अनामिका (Ring Finger) के पहले पोरे के आधे भाग से ज्यादा लम्बी हों, भाग्य रेखा या सूर्य रेखा लम्बी और बिना किसी बाधा के हो।

44. राज योग (Raj Yog)

गरु या बृहस्पति पर्वत (Mount of Jupiter) पूरे रूप में उभरा हो और उसका उभार सबसे ऊँचा हो, (केवल शुक्र को छोड़कर) अन्य पर्वत भी उभरे हो, तथा सूर्य रेखा लम्बी स्पष्ट व बिना किसी कट या अशुभ चिह्न के हो, ऐसा व्यक्ति जीवन में बहुत उन्नति करता है और उसे कोई राजपद मिलता है।

45. नृप योग (Nrip Yog)

सात में से कोई तीन ग्रहों के पर्वत बलवान हों, (अर्थात् उचित रूप में उभरे दो) कछ लाली लिए हुए हों और उनसे अच्छी रेखाएँ निकल रही हों जो पूरी तरह बाधा रहित हो, कोई अशुभ चिह्न नहीं हो तो ऐसा व्यक्ति किसी प्राइवेट संस्था या राज्य सरकार का उच्च पद प्राप्त करता है। आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न होता है। सभी प्रकार के सुख व सम्मान पाता है।

46. कैलाश योग (Kailash Yog)

पहले मणिबन्ध में मत्स्य आकार हो, और उससे निकलकर एक अच्छी रेखा चन्द्र पर्वत पर जा रही हो या (ब) हाथ में दो स्पष्ट सीधी निर्दोष जीवन रेखाएँ हों। अथवा (स) हाथ में दो भाग्य रेखाएँ हों और दोनों ही स्पष्ट और निर्दोष हो। अथवा (द) सूर्य पर्वत और बुध पर्वत से निकलकर दो रेखाएँ स्वास्थ्य रेखा पर जाकर मिलें और इस प्रकार एक स्पष्ट त्रिकोण बनायें।  ये लेख भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट द्वारा लिखा गया है अगर आप उनके दवारा लिखे सभी लेख पढ़ना चाहते है तो गूगल पर इंडियन पाम रीडिंग ब्लॉग को सर्च करें और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें । उपर्युक्त में से कोई भी एक होने से कैलाश योग बनता है। इसकी विशेषता यह है कि जातक आध्यात्मिक और भौतिक दोनों प्रकार के सुखों को प्राप्त कर आनन्दमय रहता है।

47. अमला योग (Amla Yog)

हथेली में चन्द्र पर्वत, सूर्य पर्वत तथा शुक्र पर्वत पूरे उभरे हों तथा बुध पर्वत पर आकर चन्द्र से आती रेखा मिलती हो, तो ऐसा जातक आर्थिक तथा भौतिक धन-सम्पदा पाता है और यशस्वी होता है।

48. सूर्य योग (Surya Yog)

सूर्य पर्वत विशेष रूप से विकसित, शेष पर्वत समान रूप से उभरे हों, सूर्य रेखा बलवान हो तो ऐसा व्यक्ति ऊँचे स्तर का प्रशासनिक अधिकारी या मैनेजर बनता है।

49. शनि योग (Shani Yog)

शनि पर्वत तथा शनि रेखा खास तौर से अच्छे हों तथा सूर्य और बुध पर्वत भी उठे हए हों तो ऐसा व्यक्ति अच्छी व सफलतादायक नीति बनाता, चलाता और सफल होता है। वह राजनीति में विशेष सफलता प्राप्त करता है। उसे धन तथा यश दोनों के लाभ होते हैं।

50. परश्चतुस्सार योग (Parschtussaar Yog)

शनि पर्वत, बृहस्पति पर्वत तथा बुध और सूर्य पर्वत दबे हों, ऐसा जातक जीवन में मानसिक तथा आर्थिक समस्याओं से जूझता रहता है।

51. गन्धर्व योग (Gandarv Yog)

दोनों हथेलियों में शुक्र पर्वत पूरा उठा हुआ हो तथा उन पर वर्ग का चिह्न, साथ में सूर्य पर्वत, सूर्य रेखा, चन्द्र पर्वत तथा चन्द्र रेखा भी बहुत अच्छी हो, ऐसा जातक नृत्य, नाटक, संगीत, अभिनय आदि कलाओं में प्रसिद्ध होता है और पर्याप्त धन अर्जित करता है।

52. नारियों में लोकप्रिय योग (Nariyo Mein Lokpriya Yog)

शुक्र क्षेत्र उभरा और फैला हो, सूर्य रेखा तथा भाग्य रेखा आगे जाकर पाया मिल गयी हों, शुक्र पर्वत सर्वाधिक उभरा हो तथा शुक्र रेखा अधिक लम्बी हा ऐसे जातक में एक अव्यक्त आकर्षण शक्ति होती है उसे पर्याप्त धन प्रमान मिलता है। दूसरों को वश में करने की शक्ति होने के कारण उसके अनेक स्त्रियों से सम्बन्ध तथा विवाह होते हैं। ऐसा व्यक्ति बहुत लोकप्रिय होता है। कुछ अनफा-शुक्रयोग भी कहते हैं।

53. केमद्रुम योग (Kemdrum Yog)

शुक्र पर्वत और सूर्य पर्वत पूरी तरह विकसित नहीं हों तथा सूर्य रेखा और भाग्य रेखा टूटी हो तो ऐसा व्यक्ति सदा दूसरों पर निर्भर करता है।, वार-बार नौकरियाँ या व्यवसाय बदलता है और उसके मन में हमेशा दु:ख भरे विचार रहते हैं।

54. अस्वाभाविक मृत्यु योग (Aswabhavik Mrityu Yog)

(1) जीवन रेखा दोनों हाथों में समय से पहले टूट गयी हो।
(2) दोनों हाथों में जीवन रेखा पर क्रॉस का चिह्न हो।
(3) जीवन रेखा पली, पतली तथा अस्पष्ट हो ।
(4) चन्द्र रेखा आगे बढ़कर जीवन रेखा को काटकर शुक्र पर्वत पर पहुँच जाये।
(5) जीवन रेखा तथा स्वास्थ्य रखा जजादार हो।
(6) हृदय रेखा, मस्तिष्क रेखा दोनों बीच में टूट गयी हो ।
(7) शुक्र वलय (Girdle of Venus) के क्षेत्र में त्रिकोण का चिन्ह हो तो सर्पदंश से मृत्यु होना सम्भव।

नोट: उपर्युक्त योगों में यदि कोई सहायक रेखा या शुभ चिह्न जैसे चतुष्कोण आदि हो तो जातक मृत्यु से बच जायेगा। ऊपर लिखे इस योग में से कोई एक योग हो तो मृत्यु की सम्भावना बतायी गयी है।



Indication Of Big Sex Drive Palmistry



Big Sex Drive Palmistry

Mount of Venus represents sex and love in palmistry.  If Mount of Venus is bulgy or prominence then it signifies activeness, energetic, romantic and sensual by nature. 

If Mount of Venus is overdeveloped then it signifies oversexed, more interest in sex than usual or excessive sexual appetite. 

If Mount of Venus is flat or depressed then it signifies less activeness, less energy and dull personality.

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Fate Line Starting From Mount Of Moon Ends On Mount of Sun Palmistry

Long Fate Line Ends On Mount of Sun Palmistry


Long Fate Line Starting From Mount Of Moon/Mount Of Ketu Ends On Mount of Sun Palmistry

If your fate line starting from Mount of Moon which ends on Mount of Sun instead of Mount of Saturn then it indicates artistic nature, inclination towards signing, acting, music, etc and also indicates successful career in film industry, literature, art and music, etc.  

This indication is also good for govt job.  But fate line should be long and clear without any bad sign on it.





मध्यमा अँगुली (Middle Finger) शनि की अँगुली । Shani Ki Ungli Hast Rekha Shastra

मध्यमा अँगुली (Middle Finger) शनि की अँगुली । Shani Ki Ungli Hast Rekha Shastra


मध्यमा अँगुली तर्जनी (Index) अँगुली से औसत से अधिक लम्बी होने पर व्यक्ति क्रूर, कठोर, असंवेदनशील, कसाई, जल्लाद दूसरों को पीड़ा देने में सुख लेने वाला, कामुक, सम्भोग में पशु जैसा व्यवहार करने वाला हो सकता है। लेकिन अच्छी भाग्य रेखा सूर्य रेखा तथा हृदय रेखा व्यक्ति को अच्छी शल्यक्रिया (Surgery) करने वाला बना देता है।

1)  मध्यमा लम्बी, अगला सिरा वर्गाकार-बुद्धिमान, महत्त्वाकांक्षी, गम्भीर, सम्मान प्राप्त करेगा।

2)  मध्यमा का ऊपरी सिरा चपटा-कलाकार, साहित्यकार, गायक, कवि।

3) प्रथम पर्व बड़ा-निराश, दुखी, चित्रकार स्वयं को हानि/दण्ड देने वाला।

4) दूसरा पर्व तुलना में अधिक लम्बा-व्यापार में लाभ होता है।

5) तीसरा पर्व तुलना में अधिक लम्बा-कंजूस, अपयश पाता है।

पढ़ें - कनिष्ठिका अँगुली (Little Finger) बुध की अँगुली

Ungliyo Ka Tedapan Aur Jhukav Hastrekha Shastra

Ungliyo Ka Tedapan Aur Jhukav Hastrekha Shastra


अँगुली की स्थिति । हस्तरेखा विज्ञान

प्रत्येक अँगुली अपने क्षेत्र में होनी चाहिए। अगर किसी अँगुली का मूल अपने क्षेत्र से नीचे या इधर-उधर हो तो उसके गुणों में अभाव माना जाता है। इससे जातक पर उस अँगुली के अच्छे गुणों का असर कम पड़ता है। अपने क्षेत्र के अधिक उच्च स्थान से निकलने वाली अँगुली अपनी और अपने क्षेत्र/पर्वत (Mount) के गुणों में वृद्धि कर देती है।

अँगुली का टेढ़ापन

यह प्राकृतिक होना चाहिए, चोट आदि के कारण नही। कनिष्ठिका का टेढी होना ईमानदारी की कमी, अनामिका का टेढ़ापन कला की चतुरता का दुरुपयोग या कला-सिद्धान्तों का अनादर, मध्यमा का टेढ़ापन हत्या करने की सम्भावना या हिस्टीरिया रोग होने की सम्भावना प्रकट करता है। संकेतिका का टेढ़ापन आदर-सम्मान में कमी तथा अपमान की सम्भावना बताता है।

अन्दर की ओर मुड़ी अँगुलियाँ 

अन्दर की ओर झुकाव वाली अँगुलियाः जब चारों अँगुलियाँ पूरी तरह खोलने पर अन्दर की ओर मुड़ी हों या उस ओर शंकु बनाती हों, तो जातक डरपोक, चौकन्ना और दूसरों पर तथा अपनी चीजों पर भी शंका व सन्देह करने वाला होता है।

बाहर की ओर झुकाव वाली अँगुलियाँ

उचित रूप में बाहर की ओर झुकाव वाली अँगुलियों वाला व्यक्ति खुशदिल, व्यवहार कुशल, अच्छा मित्र, विवेकशील और जिज्ञासु होता है।

न बाहर और न अन्दर की ओर मुड़ने वाली अँगुलियाँ

ऐसी अँगुलियों वाला व्यक्ति हर बात और कार्य में अधिकतर सन्तुलित रहता है, भाग्यवान होता है।

पीछे की ओर अधिक झुकाव वाली अँगुलियाँ

व्यवहारकुशल, खुशदिल पर लापरवाह होता है। ऐसी लापरवाही कभी-कभी हानिकारक सिद्ध हो सकती है।

पढ़ें - अँगूठे के अन्य प्रकार व गुण

Health Line Cuts Marriage Line Palmistry


Health Line Cuts Marriage Line Palmistry

If health line cuts marriage line then it indicates ill-health of life-partner throughout married life or problem in career or business because of bad marriage.

If marriage line cuts health line then indicates same result as above.


Hath Mein Sex Ki Rekha | वासना रेखा | Vasna Rekha | कामवासना | Kamvasna Rekha


Hath Mein Sex Ki Rekha | वासना रेखा | Vasna Rekha | कामवासना

Hath Mein Sex Ki Rekha | वासना रेखा | Vasna Rekha | कामवासना

(Signs on hand indicates sexual appetite)


Hath mein jeevan rekha, mastak rekha, hridya rekha, surya rekha aur bhagya rekha to hoti hai lekin sath mein sex ki rekha bhi hoti hai.  Uprokt chitra mein A aur B rekha sex ki rekha mani gayi hai.

Kuch log vivah rekha ko hi sex ki rekha mante hai lekin wo galat hai.  Insan ki kamvasna ka pata Mount of Venus aur suman rekha (vasna rekha) se pata lagta hai.

Sex ki rekha ko Vilasita Rekha, Suman Rekha, Via Lasciva Line aur Vasna Rekha bolte hai.

Yadi vykti ki hridya rekha jaalidaar hai, mastak rekha jeevan rekha ke sath mil kar jalidaar ho rahi hai aur uska shukara parvat ubhaara hua hai to vykti dushit hridhya ka hoga aur kamwasi hoga aur agar sath mein shukara makhela (Venus of Girdle) aur Vasna Rekha bhi hai to vykti apni hawas mitane ke liye kuch bhi kar sakta hai.

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अँगुलियों के बीच खाली स्थान | Ungliyo Ke Beech Khali Isthan Hastrekha


अँगुलियों के बीच खाली स्थान | Ungliyo Ke Beech Khali Isthan Hastrekha


जब अँगलियों को पास-पास किया जाये तो स्वाभाविक रूप से उनके मध्य खाली स्थान रहे तो व्यक्ति बुद्धिमानी पर उदारता से खर्च करने वाला होता है। परन्तु बीच में अधिक खाली स्थान होने पर वह आवश्यकता से अधिक व्यय करने वाला तथा बचत कम करने वाला होगा। इसके विपरीत अँगुलियों को पास जाने पर उनके बीच नाम मात्र की जगह बचे या बिलकुल नहीं बचे, ऐसा होने पर व्यक्ति कजूस होगा।

स्वाभाविक रूप से हाथ और अँगुलियाँ फैलाने पर पहली (Index Finger) और दसरी अँगुली के (Middle Finger) बीच चौड़ी जगह रहना विचारों की स्वतन्त्रता प्रकट करता है।

दूसरी और तीसरी अँगुली के बीच (Between Middle Finger and Sun Finger) अधिक खाली स्थान होना यह बताता है कि व्यक्ति जीवन में स्वतन्त्र रहने की चाह रखता है और अपने भविष्य के प्रति निश्चित होता है। वह व्यवहार में अनौपचारिक होता है, उसे औपचारिकता (Formality) पसन्द नहीं होती।

अनामिका (Sun Finger) और कनिष्ठिका अँगुली के बीच का अधिक खाली स्थान यह बताता है कि ऐसा व्यक्ति बातों में चाहें कुछ कहे पर कार्य अपनी स्वतन्त्र इच्छा से करता है।

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हाथ का प्रकार और अँगुलियों के फल | Ungliyo Ka Fal Hast Rekha


हाथ का प्रकार और अँगुलियों के फल | Ungliyo Ka Fal Hast Rekha

मान लीजिए कि किसी व्यक्ति का हाथ वर्गाकार है अर्थात् हथेली की लम्बाई-चौडाई लगभग बराबर है और उसकी अँगुलियाँ भी वर्गाकार है, ऐसी स्थिति में वह सांसारिक दृष्टि से सर्वाधिक अच्छा, व्यवहारकुशल, कठिन परिश्रम करने वाला तथा अपनी कामयाबी के लिए सतत प्रयत्नशील होगा।

यदि उसकी अँगुलियाँ वर्गाकार की बजाय लम्बी हों तो वह अपने विचारों को प्रकट करने में तर्कशील और कुशल होगा। यदि अँगुलियाँ आपस में सटाने पर उनके बीच अधिक खाली स्थान रहता है तो वह सारी
अच्छाइयों के बावजूद अधिक खर्च करने वाला होगा।

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