हाथ में प्राण रेखा (Pran Rekha) | हस्तरेखा

हाथ में यश रेखा  (Yash Rekha) | हस्तरेखा

हाथ में प्राण रेखा | हस्तरेखा 

प्राण रेखा-इसका प्रसिद्ध नाम 'जीवन-रेखा' है । जीवन रेखा हाथ की सबसे महत्वपूर्ण रेखा मानी जाती है। ज्यादातर हाथो में गोलाकार होती है लेकिन कुछ हाथो में सीधी भी होती है।

लम्बी और साफ सुथरी जीवन रेखा अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक है जबकि कटी-फटी प्राण रेखा खराब स्वास्थ्य और पारिवारिक कलह का प्रतीक है।

जीवन रेखा छोटी होने पर व्यक्ति अल्पायु नहीं होता है और लम्बी होने पर व्यक्ति लम्बी आयु प्राप्त करेगा ये केवल मिथ्या है। छोटी जीवन रेखा वाला व्यक्ति भी औसत आयु आराम से जी लेता है और कभी कभी लम्बी आयु रेखा वाले व्यक्ति की मृत्यु भी बाल्यकाल या यौवनकाल में ही हो जाती है।

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शुक्र-क्षेत्र पर क्रॉस होना | Cross On Mount Of Venus

शुक्र-क्षेत्र पर क्रॉस होना | Cross On Mount Of Venus
शुक्र-क्षेत्र पर क्रॉस होना | Cross On Mount Of Venus

यदि शुक्र-क्षेत्र पर क्रॉस का गहरा चिह्न हो तो किसी सम्बन्धी के (पिता-माता, चाचा आदि) प्रेम के कारण बहुत कठिनता या मुसीबत उठानी पड़ेगी। किन्तु कुछ पाश्चात्य हस्तपरीक्षकों के विचार से यदि यह क्रॉस बड़ा हो तो प्रेम में सफलता का लक्षण है। जातक किसी एक व्यक्ति को ही जी-जान से प्रेम करता है। किन्तु यदि क्रॉस का चिह्न बहुत छोटा हो और जीवन-रेखा के बिलकुल पास हो तो नज़दीकी सम्बन्धियों से कलह और कटुता का लक्षण है।

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चन्द्र-क्षेत्र पर क्रॉस होना | Cross On Mount Of Moon

चन्द्र-क्षेत्र पर क्रॉस होना | Cross On Mount Of Moon
चन्द्र-क्षेत्र पर क्रॉस होना | Cross On Mount Of Moon

यदि चन्द्र-क्षेत्र पर क्रॉस का चिह्न हो और शीर्ष-रेखा के नीचे हो तो जातक के विचारों में युक्ति, व्यावहारिकता नहीं होती, इस कारण वह स्वयं भी धोखे में पड़ा रहता है और किसी कार्य का सापर्वक सम्पादन नहीं कर सकता । यदि यह चिह्न बहुत बड़ा " जातक धोखेबाज़ होता है। या कम-से-कम अपनी शेखी धारा करता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से भी यह अशुभ लक्षण है।

चन्द्र-क्षेत्र के ऊपर के तृतीयांश पर हो तो अन्तड़ियों की बीमारी, उदरविकार आदि होते हैं। यदि मध्य में हो तो वात-विकार गठिया आदि । यदि नीचे के तृतीयांश में हो तो गुर्दे का रोग, मुत्राशय-सम्बन्धी रोग । यदि स्त्रियों के हाथ में हो तो गर्भाशय सम्बन्धी रोग होते हैं।

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मंगल के क्षेत्र पर क्रॉस होना | Cross On Mount Of Mars

मंगल के क्षेत्र पर क्रॉस होना | Cross On Mount Of Mars
मंगल के क्षेत्र पर क्रॉस होना | Cross On Mount Of Mars

यदि मंगल के प्रथम क्षेत्र पर यह चिह्न हो तो उसके शत्रु बहुत भयानक रूप से जातक का विरोध करते हैं। यदि मंगल का क्षेत्र अति उच्च हो तो जातक स्वयं भी बड़ा झगड़ालू होता है और स्वयं जातक को चोट लगने या भय की आशंका होती है। यदि मंगल के द्वितीय क्षेत्र पर हो तो करीब-करीब उपर्युक्त किन्तु विशेष भयानक फल होता है । यदि यह क्रॉस बेढंगा-सा बना हो तो जातक की स्वभाव की तीव्रता के कारण आत्महत्या की ओर भी प्रवृत्ति होती है।

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बुध-क्षेत्र पर क्रॉस चिह्न | Cross On Mount Of Mercury

बुध-क्षेत्र पर क्रॉस चिह्न | Cross On Mount Of Mercury
यदि बुध-क्षेत्र पर क्रॉस-चिह्न हो तो जातक में चालाकी जरूरत से ज्यादा होती है। वह दोरंगी बातें करता है, मन में कुछ और बाहर कुछ और । ऐसे लोग प्रायः बेईमान भी होते हैं। यदि हाथ में अन्य अशुभ लक्षण हो तो निश्चय ऐसा व्यक्ति धोखेबाज होता है। परन्तु साथ ही उसमें चतुरता इतनी होती है कि जिससे अत्यन्त द्वेष या घृणा रखता हो उसको भी झुक्त के नमस्कार करेगा और मीठीमीठी बातें करेगा। यदि छोटे-छोटे कई क्रॉस-चिह्न हो तो उसमें गुप्त दुर्गुण होते हैं।

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शनि के क्षेत्र पर क्रॉस होना | Cross On Mount Of Saturn

शनि के क्षेत्र पर क्रॉस होना | Cross On Mount Of Saturn
शनि के क्षेत्र पर क्रॉस होना | Cross On Mount Of Saturn

यदि शनि के क्षेत्र पर क्रॉस का चिह्न हो तो अशुभ लक्षण है। शानि-क्षेत्र से सम्बन्धित जो बीमारी या दुर्घटना या भाग्य-हानि के लक्षण हैं-उन सब में और भी बुराई पैश करता है। यदि इस स्थान पर भाग्य-रेखा से योग करता हो तो सहसा या किसी दुर्भटना से मृत्यु का लक्षण है। यदि शुक्र-क्षेत्र बहुत छोटा और दबा हुआ हो, सन्तान-रेखाये अस्पष्ट हों और शनि-क्षेत्र पर काग निह हो तो जातक के सन्तान नहीं होती।

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चन्द्र-क्षेत्र पर तारे का चिह्न | Star On Mount Of Moon

चन्द्र-क्षेत्र पर तारे का चिह्न | Star On Mount Of Moon
चन्द्र-क्षेत्र पर तारे का चिह्न | Star On Mount Of Moon

यदि चन्द्र-क्षेत्र पर तारे का चिह्न हो तो बहुत से हस्तपरीक्षकों के अनुसार यह पानी में डूबने का लक्षण है। यदि शीर्ष-रेखा घूम कर चन्द्र-क्षेत्र के नीचे के भाग पर आती है तो इससे कल्पना की अधिकता प्रकट होती है । उस रेखा के अन्त पर तारे का चिह्न होने से उसकी कल्पना में इतनी अधिकता हो जाती है कि उसे एक प्रकार से मस्तिष्क-विकार समझना चाहिए। अन्य शुभ लक्षणों के साथ यदि चन्द्र-क्षेत्र पर तारे का चिह्न हो तो उसे अशुभ लक्षण नहीं समझना चाहिए। क्योंकि शुभ कल्पना द्वारा यह सफलता और प्रतिष्ठा दिलाता है। किन्तु यदि अन्य अशुभ लक्षण हों तो चन्द्र-क्षेत्र के बिलकल नीचे के भाग में होने से जातक को जलोदर रोग होने का लक्षण है। यदि मध्य भाग में हो तो पानी में डूबने का; यदि समुद्र यात्रा-रेखा पर हो तो जहाज डूबने का।

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मंगल-क्षेत्र पर तारे का चिन्ह | Star On Mount Of Mars

मंगल-क्षेत्र पर तारे का चिन्ह | Star On Mount Of Mars
मंगल-क्षेत्र पर तारे का चिन्ह | Star On Mount Of Mars

यदि मंगल के प्रथम क्षेत्र पर यह चिह्न हो तो जातक धैर्यपूर्वक कर परिश्रम करने के कारण सफलता प्राप्त करता है। किन्त हाथ में यदि अन्य अशुभ लक्षण हो और मंगल का क्षेत्र अत्यधिक अन्तत हो तो जातक किसी का खून करता है। यदि क्षेत्र साधारण जानत है और उस पर यह चिह्न है तो अन्य अशुभ लक्षण होने से जातक का स्वयं का खून किया जाता है।

यदि मंगल के द्वितीय क्षेत्र पर यह चिह्न हो तो लड़ाई में वीरतापूर्वक लड़ने के कारण जातक को सुयश और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। किन्तु यदि किसी सीधी रेखा (शीर्ष-रेखा के प्रायः समानान्तर) के अन्त में यह चिह्न हो तो जातक के किसी अत्यन्त प्रिय सम्बन्धी (पिता आदि) की मृत्यु का लक्षण है।

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