मंगल के पर्वत (Mount Of Mars)
मंगल पर्वत को अंग्रेजी में मार्स कहते है। इसके हथेली में दो पर्वत होते हैं। मंगल प्रथम और मंगल द्वितीय कहलाते है कुछ हस्तरेखा शास्त्री इनको नकारात्मक मंगल और सकारात्मक मंगल भी बुलाते है।
छोट्टी ऊँगली के नीचे वाला मंगल पर्वत मंगल द्वितीय पर्वत कहलाता है और अंगूठे के पास वाला मंगल प्रथम पर्वत कहलाता है।
शुक्र पर्वत के ऊपर वाला उठा स्थल प्रमुख व्यावहारिक महत्व का है और बुध पर्वत के नीचे उठा स्थल केवल कर्मठता के भाव बताता है जो कि विशेष भावनाओं की प्रेरणा से कार्यरत होने का द्योतक है।
शुक्र पर्वत के पास ऊपर उठा बिना रेखा वाला, फूला हुआ दृढ़ हो तो शारीरिक दृढ़ शक्ति वाला, सहनशील, कठिन परिश्रमी, साहसी, पुलिस, सेना या कठिन शारीरिक कार्य का प्रेमी होता है ।
प्रथम मंगल पर्वत दबा होने पर व्यक्ति डरपोक होता है और फुला होने पर साहसी होता है।
इस पर्वत पर तिरछी रेखाएं - बौद्धिक शक्ति के उपयोग में बाधाएँ, हानि ।
खड़ी रेखा, रेखाएँ-लम्बी हों और प्रधान रेखाओं से मिली हों तो विशेष कार्यों में बाधा पर कार्यरत प्रवृत्ति रहे, तिरछी छोटी रेखाएँ हों तो अनेक बाधाएँ ।
मंगल का पर्वत मध्यम उठा हो – शारीरिक शक्ति साधारण, कठिन परिश्रम का अभाव, मिश्रित गुण ।
मंगल रेखा (Mangal Rekha In Hand) - मंगल रेखा अंगूठे के पास जीवन रेखा के अंदर पाई जाती है और मंगल रेखा व्यक्ति के साहस को दर्शाती है लेकिन मंगल रेखा जीवन रेखा की सहभागी रेखा भी है यानि जब भी जीवन रेखा में दोष आएगा लेकिन यदि मंगल रेखा पीछे बलवान होगी तो व्यक्ति का कुछ भी नहीं बिगड़ेगा ।