जब सभी ग्रह राहु और केतु इन दो ग्रहों के दायरे में हो तो काल सर्प योग बनता है और सभी ग्रह इन दोनों ग्रहों की कैद में होते हैं अत: वे अपना प्रभाव देने में असमर्थ होते हैं। इन दोनों ग्रहों की अवधि 42 से 48 वर्ष तक है इसलिए जातक को 42 वर्ष से 48 वर्ष आयु तक इन ग्रहों का चाहे वह उच्च स्थान में क्यों न हो कोई लाभ नहीं होता।
काल सर्प दोष हस्तरेखा में कैसे बनता है ये जानने के लिए आप इस पोस्ट को पढ़े - हाथ में कालसर्प योग होना हस्तरेखा
काल सर्प दोष से घबराने की जरुरत नहीं है बल्कि समय रहते इसका उपाय कर लेने की जरुरत है । काल सर्प दोष के कारण मुख्यता विवाह नहीं होता पता है या फिर विवाह में विलम्ब होता है या फिर वैवाहिक जीवन बहुत ज्यादा दुखदायी होता है और या फिर संतान नहीं होती है या विवाह के बहुत समय बाद संतान सुख प्राप्त होता है । प्रारंभिक काल में शिक्षा अधूरी रह जाती है चाहे व्यक्ति पढने में बहुत होशियार ही क्यों न हो वो अपनी पढाई पूरी नहीं कर पाता है ।
काल सर्प दोष से घबराने की जरुरत नहीं है बल्कि समय रहते इसका उपाय कर लेने की जरुरत है । काल सर्प दोष के कारण मुख्यता विवाह नहीं होता पता है या फिर विवाह में विलम्ब होता है या फिर वैवाहिक जीवन बहुत ज्यादा दुखदायी होता है और या फिर संतान नहीं होती है या विवाह के बहुत समय बाद संतान सुख प्राप्त होता है । प्रारंभिक काल में शिक्षा अधूरी रह जाती है चाहे व्यक्ति पढने में बहुत होशियार ही क्यों न हो वो अपनी पढाई पूरी नहीं कर पाता है ।
उपाय - सक्रांत के दिन कांसे की थैली में देसी घी का हलवा बना कर डाल दे। मध्य में से हलवा पीछे हटा कर जगह बना कर उस में गर्म देसी घी डालें। उस घी में सोने या चांदी का सर्प डाल कर जातक अपनी छाया उस घी में देख और थाली सहित दान कर दे। दान केवल उसी को जो उसे सहर्ष ले ले। इस उपाय से कालसर्पयोग से मुक्ति मिलेगी।