राहु और केतु के प्रकोप से मुक्ति पाने के सरल उपाय
* राहु को शांत करने के लिए प्रतिदिन पक्षियों को दाना डालना चाहिए।
* मूली का दान करना भी राहु ग्रह की अनिष्टता को शांत करता है।
* राहु का बुरा प्रभाव कम करने के लिए जौ को दूध में धोकर चलते पानी में बहाना चाहिए।
* प्रतिदिन शिवलिंग पर जलाभिषेक करना चाहिए।
* बड़े भाई को मान-सम्मान और भोजन कराने से राहु खुश होता है और अगर राहु अशुभ फल दे रहा हो तो अशुभ फलों को शुभ फलों में बदल देता है।
* राहु का क्रोध शांत करने के लिए सरसों का दान करना चाहिए ।
* मुट्ठी भर कर कोयले को चलते पानी में बहाने से राहु शांत होता है।
* राहु की महादशा अथवा अंतर्दशा में कभी भी मांस और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
* राहु की अनिष्टता दूर करने के लिए खोटे सिक्के चलते पानी में बहाने चाहिए।
* प्रतिदिन दुर्गा चालीसा का पाठ करने से राहु शांत होता है।
* यदि राहु जन्म कुंडली में अनिष्ट स्थिति पैदा कर रहा हो तो एक लाल कपड़े में नारियल और 11 साबुत बदाम बांध कर बहते हुए पानी में बहाना चाहिए।
* सपेरे को दान-दक्षिणा अथवा भोजन कराने से राह प्रसन्न होता है।
* राहु के द्वारा ज्यादा ही अनिष्ट प्रभाव हो रहा हो तो माथे पर चंदन का तिलक लगाना चाहिए अथवा घर में चांदी का बना हुआ हाथी रखना चाहिए।
* केतु के अनिष्ट प्रभाव को दूर करने के लिए कुत्तों को खाना खिलाना चाहिए।
* यदि पुत्र आज्ञाकारी नहीं उसका व्यवहार अच्छा न हो तो व्यक्ति को मंदिर में कंबल का दान करना चाहिए और अगर पुत्र पर कोई संकट आ जाए तो कुते को रोटी खिलानी चाहिए।
* केतु के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए 7 बुधवार को भिक्षकों, साधुओं अथवा पंड़ितों का हलवा खिलाना चाहिए।
* पांव में चोट लगना और पेशाब करते समय कष्ट का अनुभव होना केतु के द्वारा होता है। अत: रेशम का श्वेत धागा और चांदी की अंगूठी में मोती धारण करना चाहिए।
* केतु की शांति के लिए गणेशजी की पूजा करनी चाहिए और काले कुत्ते को खाना खिलाना चाहिए।
* बुधवार या वीरवार को अश्वगंध की जड़ का एक टुकड़ा लेकर आसमानी रंग के कपड़े में बांध कर धारण करने से केतु का अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाता है।
* दो रंग वाले कुत्ते को प्रतिदिन रोटी देने से अथवा सेवा करने से केतु का अनिष्ट प्रभाव समाप्त हो जाता है।
* भतीजे अथवा भांजे को खुश रखने से केत प्रसन्न होता है।
* हनुमान सहस्रनाम और शिव सहस्रनाम का प्रतिदिन पाठ करने से सभी प्रकार के अनिष्ठ प्रभाव दूर हो जाते हैं और ग्रह पीडा स्वत: शांत हो जाती हैं।