यदि सूर्य रेखा का आरम्भ मंगल के मैदान यानी करतल के मध्य से हो, तो जातक को अत्यन्त परिश्रम, विकट कठिनाइयों और संघर्षों के पश्चात् सफलता मिलती है।
ऐसी रेखा वाले लोग जीवन के आरम्भिक दिनों में असहाय स्थिति में रहते हैं। उनका आरम्भिक जीवन गुमनामी व गरीबी की विकट परिस्थितियों से गुजरता है कि उनके भीतर आत्मचेतना होती है।
भाग्य की भीषण आंधी भी उनकी योग्यता व उत्कण्ठा के चिराग को बुझा नहीं पाती है और पच्चीस से तीस की उम्र के होते-होते वे सफलता के सूर्य की तरह चमचमा उठते हैं, फिर भी उनका संघर्ष समाप्त नहीं होता। संघर्ष तो आजीवन चलता रहता है।
ऐसे लोगों को गेहू का दान और सूरज को जल देना चाहिए । ऐसे करने से उनके दुख दूर होते है और सफलता मिलने लगती है ।