हस्तरेखा शास्त्र | Hast Rekha Gyan In Hindi With Image
दोहरी सूर्य रेखा के लाभ और दोष
यदि किसी व्यक्ति के हाथ में दोहरी सूर्य रेखा है तो निश्चित ही वह प्रतिभावान होता है लेकिन दो सूर्य रेखा होने का सबसे बड़ा नुकसान ये है की उस व्यक्ति का मन हमेशा विचलित रहता है और उसका मन किसी भी एक काम में नहीं लगता है। उसको हमेशा ये लगता है की उसको कुछ और करना चाहिए और परिणामस्वरूप उसको सफलता नहीं मिल पाती है क्युकी वो हमेशा अपने काम को अधूरा छोड़ कर दूसरे काम को शुरू कर देता है मतलब एक काम पूरा नहीं करता है और दूसरा काम शुरू कर देता है और इसी वजह से वह अपने आपको बीच में उलझा हुआ पाता है।
ऐसा व्यक्ति बहुमुखी प्रतिभा का धनि होता है और इसी वजह के कारण वो कई कामो को एक साथ कर सकता है लेकिन फिर भी वो किसी एक काम में माहिर नहीं होता है।
१) अगर दोनों सूर्य रेखा बराबर और स्पष्ट है तो व्यक्ति की आय एक से ज्यादा होती है।
२) अगर डबल सन लाइन है तो व्यक्ति को एक से ज्यादा कार्यो की जानकारी होती है।
३) अगर एक सूर्य रेखा छोटी है तो वो मुख्य सूर्य रेखा की सहायक रेखा के रूप में कार्य करती है और व्यक्ति को धनलाभ देती है।
सूर्य रेखा पर त्रिशूल होना भी वैदिक हस्त रेखा शास्त्र में बहुत शुभ माना गया है।
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अमीर आदमी और गरीब आदमी की हाथ की रेखा में क्या फ़र्क होता है ?
हर इंसान जानना चाहता है की वो अपने जीवन में अमीर बनेगा या नहीं, उसके पास कितना पैसा होगा, गाडी और बंगला होगा या नहीं? या फिर वो जीवन भर ऐसा ही रहेगा ?
हम सब हमेशा ये ही सोचते है की भगवान् ने किसी को गरीब और किसी को बहुत अमीर क्यों बनाया ? वास्तिवकता में इस सवाल का जवाब ढूंढ पाना असंभव है, हालांकि ऐसा माना जाता है की व्यक्ति अपने पिछले जन्म के कर्मो का फल इस जन्म में भोगता है। हस्तरेखा में भी ऐसे योग है जिन से अनुमान लगता है की इस व्यक्ति को अचानक धनलाभ होगा या फिर इस व्यक्ति को अचानक धननाश होगा और ये पिछले जन्म के कर्मो की बदौलत ही व्यक्ति के साथ होता है।
अमीर और गरीब के हाथ में क्या फ़र्क होता है ? कौन सी रेखा, कौन से चिन्ह और कौन से योग होते है जिन से एक व्यक्ति अचानक अमीर बन जाता है और एक व्यक्ति अचानक गरीब बन जाता है ?
१) यदि हाथ में बहुत अच्छी भाग्यरेखा है और उसके साथ बहुत ही अच्छी सुर्य रेखा भी हो तो व्यक्ति निसंदेह अपने जीवन में सुख-समृद्धि का आनंद लेता है।
६ ) गरीब व्यक्ति के हाथ में भाग्य रेखा व सूर्य रेखा का अभाव ही देखने को मिलता है।
अर्थात, भाग्य रेखा व सूर्य रेखा जितनी निर्दोष व स्पष्ट होगी और रेखाओ का जाल जितना कम होगा व्यक्ति को उतनी ही सफलता मिलेगी और भाग्यरेखा व सूर्य रेखा जितनी दोषयुक्त होगी और जितनी ज्यादा रेखाएँ होंगी व्यक्ति को उतनी ही कठिनाइया उठानी पड़ेगी।
हाथ में कई दूसरे शुभ योग और शुभ चिन्ह पाय जाते है जैसे मछली, मंदिर, तारा, त्रिशूल, स्वस्तिक इत्यादि और यदि व्यक्ति के हाथ पर शुभ चिन्ह है तो व्यक्ति को अपार सफलता मिलती है लेकिन ऊपर बताई गयी बातें महत्वपूर्ण है। अगर उनका अभाव है तो व्यक्ति के हाथ में मौजूद शुभ चिन्ह भी अपना प्रभाव नहीं देते है।
हाथ की मुख्य रेखाओ पर त्रिशूल होने का लाभ
जैसा आप लोगो को ज्ञात है त्रिशूल महादेव जी और देवी दुर्गा का शस्त्र है इसलिए हिन्दू धर्म में इसका एक विशेष स्थान है। उस ही प्रकार हस्तरेखा शास्त्र में भी त्रिशूल को बहुत महत्व दिया गया है।
ऐसा माना जाता है त्रिशूल जिस भी रेखा पर बना होता है वो उस रेखा के प्रभाव को दोगुना कर देता है। लेकिन ऐसा नहीं है की त्रिशूल का सिर्फ अच्छा अच्छा ही प्रभाव मिलता है। कभी कभी थोड़ा बुरा प्रभाव भी देखने को मिलता है।
यहाँ हम सिर्फ हाथ की तीन मुख्य रेखा पर त्रिशूल होने के फायदे पर ही बात करेंगे।
अगर हृदय रेखा पर त्रिशूल बना हुआ है तो व्यक्ति को जीवन भर धोखे खूब मिलते है और मजे की बात ये है की उसको धोखे अपने परिवार वालो से ही मिलते है। ऐसे व्यक्ति को पारिवारिक सुख नहीं मिलता है। प्रॉपर्टी और जमीन विवाद को लेकर पारिवारिक कलह होती है लेकिन फिर भी ऐसा व्यक्ति समाज कल्याण में अपनी प्रॉपर्टी दान करता है, मानव समाज के लिए जान कल्याण का काम करता है। ऐसे व्यक्ति को अपने जन्म स्थान से दूर सफलता मिलती है। ऐसा व्यक्ति दयालु होता है और सभी की मदद करने को हमेशा तैयार रहता है।
अगर मस्तक रेखा पर त्रिशूल बन रहा है तो व्यक्ति कलाकार, लेखक और प्रतिभावान होता है लेकिन कन्फ्यूज्ड दिमाग का होता है वो एक जगह नहीं टिक सकता है। उसके दिमाग में हमेशा कुछ न कुछ चलता रहता है मतलब उसके दिमाग में अशांति बनी रहती है। वो इस आदत के चलते एक जगह ज्यादा समय काम नहीं कर पाता है और समय समय पर नौकरी बदलता रहता है। त्रिशूल की एक शाखा यदि बुध की तरफ चली जाय तो व्यक्ति को व्यापार और मेडिकल के क्षेत्र में बहुत अच्छी सफलता मिलती है और यदि दूसरी शाखा चंद्र पर्वत को चली जाय तो व्यक्ति को विदेश से लाभ मिलता है।
सूर्य रेखा पर त्रिशूल (Trident) निशान के फायदे
सूर्य रेखा पर त्रिशूल बना हुआ है तो व्यक्ति की बल्ले-बल्ले है। ऐसे व्यक्ति को खूब मान सम्मान मिलता है और उस व्यक्ति की लाइफ सुपरस्टार की लाइफ होती है। ऐसा व्यक्ति साहित्य, समाजसेवक, कलाकार और नेता इत्यादि भी बनता है।
ऐसा व्यक्ति गरीब माँ बाप के घर में पैदा होने के बाद भी अच्छी जिंदगी व्यतीत करता है। एक ही माँ-बाप की तीन संतान है जिनका जन्म गरीब घर में हुआ है लेकिन जिसके हाथ में सूर्य रेखा पर त्रिशूल है वो तरक्की पर तरक्की करता है और विलासिता का जीवन व्यतीत करता है जबकि बाकी के दोनों भाई गरीब ही रह जाते है।
अब यदि भिखारी के हाथ में सूर्य रेखा पर त्रिशूल बना हो तो ये मान कर चलिए की उस भिखारी का वक्त जरूर करवट लेगा और वो एक दिन समाज में काफी अच्छी पोजीशन प्राप्त कर लेगा मतलब आप कह सकते हो की वह व्यक्ति पूरी जिंदगी भिखारी नहीं रहेगा।
१) यदि त्रिशूल सूर्य रेखा पर बना हुआ है तो व्यक्ति को अपार सफलता मिलती है।
अगर भाग्य रेखा पर त्रिशूल है तो व्यक्ति के आय के साधन हमेशा चालू रहते है और कही न कही से आय होती रहती है। जमीन जायदाद खूब होती है।
भाग्य रेखा पर त्रिशूल (Trident) होने के लाभ
अपने हाथ की रेखा से जाने अपनी मृत्यु का कारण, कब, कहाँ और कैसे होगी ?
हर व्यक्ति ये जानने का इच्छुक रहता है की वो कितने वर्ष जीवित रहेगा और उसकी मृत्यु कैसे और कब होगी ? उस को लम्बी आयु प्राप्त होगी या वह अल्पायु होगा ?
अधिकतर लोगो का मानना है की अगर जीवन रेखा छोटी होगी तो व्यक्ति की आयु भी कम होगी जबकि ये सत्य नहीं है। बल्कि जिस व्यक्ति के हाथ में लम्बी जीवन रेखा होती है उसका भी छोटी उम्र में निधन हो जाता है।
इसलिए जीवन रेखा से आयु का अनुमान लगाना सर्वथा अनुचित है माना गया है।
हस्तरेखा से मृत्यु का अनुमान लगाया जाता है की व्यक्ति की मृत्यु स्वाभाविक होगी या फिर अचानक मृत्यु होगी।
१) मंगल पर्वत पर क्रॉस , तिल, जाली इत्यादि होने पर व्यक्ति की लड़ाई , अग्नि, करंट, बिजली, एक्सीडेंट, आंतो की बीमारी, मार-पीट, आत्महत्या, ऑपरेशन के दौरान मृत्यु होने का भय रहता है।
२) चंद्र पर्वत पर क्रॉस, तिल जाली इत्यादि होने पर मधुमेह, अवसाद (डिप्रेशन), किडनी, मूत्ररोग, थाइरोइड और डूबने से मृत्यु का भय बना रहता है।
३) सूर्य पर्वत पर क्रॉस, तिल या कोई और दोष होने पर हृदयाघात, आँख का रोग, बुखार, संघात और आत्महत्या (बदनामी के चलते) से मृत्यु का भय बना रहता है।
४) गुरु पर्वत पर द्धीप , तिल , जाली होने पर व्यक्ति की मृत्यु पेट, हड्डी रोग, टी.बी., लिवर, जॉन्डिस और फेफड़ो के रोग से होने की सम्भावना रहती है।
५) शनि पर बुरा प्रभाव हो जैसे तिल , जाली, स्टार, क्रॉस इत्यादि हो तो प्रसव पीड़ा से मृत्यु , एक्सीडेंट, आत्महत्या , घाव, डिप्रेशन इत्यादि से मृत्यु का भय बना रहता है।
६ ) शुरू पर जाली , काला तिल या द्धीप होने पर छूत का रोग, मूत्र रोग, योन रोग इत्यादि से मृत्यु होने का भय बना रहता है।
७ ) राहु दोषयुक्त होने पर व्यक्ति को पेट के रोग के कारण मृत्यु का भय बना रहता है।
८ ) केतु दोषयुक्त होने पर व्यक्ति को रक्तविकार और चर्म रोग के कारण मृत्यु का भय बना रहता है।
९ ) बुध दोषयुक्त होने पर निरशा के कारण , घाव , बोलने सम्बंधित , सांस की बीमारी इत्यादि के रोग से मृत्यु का भय रहता है।
इनके अलावा अगर मंगल रेखा, जीवन रेखा, सूर्य रेखा, हृदय रेखा, मस्तक रेखा में से कोई एक दोषयुक्त है तो उस रेखा से सम्बंधित रोग से व्यक्ति की मृत्यु का अनुमान लगाया जाता है।
१) यदि जीवन रेखा के अंत में बहुत सारी महीन रेखाये गिर रही है तो व्यक्ति को बुढ़ापे में लाइलाज बीमारी रहेगी और उसकी मृत्यु लम्बी बीमारी के पश्चात होगी।
२ ) अगर दोनों हाथो में जीवन रेखा एक ही जगह पर खंडित हो तो व्यक्ति के जीवन को खतरा समझना चाहिए।
३) अगर एक्सीडेंट लाइन हाथ में मौजूद है (निम्न मंगल से निकल कर शनि पर जाती हुई रेखा) तो व्यक्ति का सामना जीवन में एक बार मोत से जरूर होता है।
४ ) इस प्रकार यात्रा रेखा पर द्वीप या क्रॉस होने पर यात्रा के दौरान मृत्यु का भय बना रहता है।
५) यदि जीवन रेखा के मध्य काला तिल , द्वीप इत्यादि है तो व्यक्ति को उस आयु में शारीरिक कष्ट झेलना पड़ता है और मृत्यु का भय रहता है।
हस्तरेखा में बहुत सारे योग दिए गए है लेकिन उन सभी की चर्चा यहाँ पर करना अनैतिक होगा इसलिए हम उनका उल्लेख चाह कर भी यहाँ पर नहीं कर सकते है।
अंत में मैं इतना ही कहना चाहूंगा की ज्योतिष शास्त्र और हस्तरेखा शास्त्र से मृत्यु की सटीक भविष्यवाणी करना न तो संभव है और न ही नैतिक है। व्यक्ति की मृत्यु कब, कहाँ, कैसे और व्यक्ति की आयु कितनी होगी इसका सिर्फ अनुमान ही लगाया जा सकता है।
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Fate Line |
हथेली पर भाग्य रेखा : यदि ऐसी रेखाएं बने तो व्यक्ति को ये रेखाये सफलता के शिखर पर ले जाती है।
हस्तरेखा विज्ञान में हम व्यक्ति की भाग्य रेखा देख कर उसके भाग्य के बारे में पता करते है या ये पता करते है की उसको उसके जीवन में कितनी सफलता मिलेगी?
हस्तरेखा में भाग्य रेखा बहुत ही महत्वपूर्ण रेखा होती है और अच्छी भाग्य रेखा धन, सुख और सफल करियर का संकेत देती है।
हथेली पर भाग्य रेखा कहाँ होती है ?
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार भाग्य रेखा एक सीधी रेखा है जो हथेली के नीचे से या हथेली के मध्य से शुरू होती है लेकिन हमेशा मध्यमा उंगली के नीचे ही समाप्त होती है।
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार हथेली के निचले हिस्से को मणिबंध या मणिबंध रेखा के रूप में जाना जाता है और मध्यमा उंगली के नीचे के हिस्से को शनि पर्वत के रूप में जाना जाता है।
शुभ भाग्य रेखा
यदि भाग्य रेखा मणिबंध रेखा से शुरू होकर शनि पर्वत तक पहुँचती है तो व्यक्ति बहुत भाग्यशाली होता है।
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार यदि भाग्य रेखा दो भागों में विभाजित हो जाय या भाग्य रेखा के अंत में फोर्क हो (भाग्य रेखा से शाखा बृहस्पति पर्वत की ओर चली जाय) तो व्यक्ति ईमानदार और आध्यात्मिकता की ओर झुकाव रखता है। उसे उच्च पद और प्रतिष्ठा प्राप्त होगी।
वहीं यदि भाग्य रेखा अच्छी नहीं हो तो व्यक्ति को जीवन की उस स्थिति में संघर्ष और कष्ट का सामना करना पड़ता है जहां भाग्य रेखा कमजोर हो या राहु रेखा से कटी हुई हो।
हस्तरेखा शास्त्र के अनुसार, यदि भाग्य रेखा शुक्र पर्वत (अंगूठे के नीचे का क्षेत्र) से शुरू होती है तो जातक को विवाह के बाद साथी, ससुराल वालों, रिश्तेदारों या शादी के बाद भाग्य परिवर्तन से लाभ मिलेगा और उसे सभी प्रकार के सुख प्राप्त होंगे।
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1. अतिविकसित (फूला होना):- बृहस्पति पर्वत के अत्यधिक विकसित हो जाने पर व्यक्तित्व अहंकारी, आडम्बर प्रिय, झूठी शान के लिए अत्यधिक खर्चा करने वाला होता है।
दुसरो को नीचा दिखाने और क्रूरता का बरताव करता है, इर्षा, द्वेश, और स्वार्थ की भावना अधिक हो जाती है।
2. अविकसित (दबा होना):- जब बृहस्पति पर्वत अत्यधिक दबा हुआ होता है तो व्यक्ति में गुरु के मौलिक गुण का विकास नहीं हो पाता है।
3. बीमारी:- बृहस्पति पर्वत पर रोग के चिन्ह होने पर व्यक्ति अधिकाधिक खान-पान का शौकीन हो जाता है और फिर उस वजह से उसको पाचन तंत्र संबंध रोग, लीवर, मिर्गी, पीलिया, कर्ण रोग, मोटापा, अपच और थाइरोइड जैसे बीमारी हो सकती है।
सरकारी नौकरी हस्तरेखा | Sarkari Naukari Hastrekha | Govt Job Palmistry |
ज्योतिष और हस्त रेखा में कुछ नियम दिए गए हैं जिन से पता लगाया जाता है की स्थिति को सरकारी नौकरी मिल सकती है या नहीं। हम इस पोस्ट में हस्तरेखा में कौन से नियम होते हैं जिन से पता लगता है कि व्यक्ति को सरकारी नौकरी मिल सकती है या नहीं पढ़ेंगे।
ज्योतिष और हस्त रेखा दोनो में ही सरकारी नौकरी के लिए सूर्य को कारक माना गया है।
सबसे पहले आपको ये समझना होगा की हस्तरेखा में कोई सरकारी नौकरी की रेखा नहीं होती है बल्की सरकारी नौकरी के योग होते है, कोई एक रेखा से तय नहीं होता की हम बोल सकते हो की इस व्यक्ति की १००% सरकारी नौकरी लग जायगी।
१) अगर आपके हाथ में जीवन रेखा से कोई साथ-सुथरी रेखा निकल कर सूर्य पर्वत तक पाहुच रही है तो निश्चय ही आपको सरकार से लाभ मिलेगा या फिर सरकार नौकरी लगेगी।
2) अगर सूर्य रेखा से कोई रेखा निकल कर भाग्य रेखा को मिल जाए तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को सरकार में ऊंचा पद प्राप्त होता है या फिर सरकार से धन लाभ होता है।
3) अगर भाग्य रेखा गुरु पर्वत पर समाप्त हो जाए या भाग्य रेखा से कोई रेखा निकल कर गुरु पर्वत पर चली जाए तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति सरकार में हाई पोस्ट पर काम करता है और विदेश यात्रा भी करता है।
अगर आपके हाथ में सूर्य पर्वत, गुरु पर्वत अच्छा है और साथ में सूर्य रेखा और भाग्य रेखा मजबूत है तो निश्चित ही आप को सरकारी नौकरी मिलेगी या फिर आपको सरकार से लाभ मिलेगा लेकिन यदी सूर्य रेखा और भाग्य रेखा दोषयुक्त है तो सरकारी नौकरी लग कर भी परेशानी आती है और व्यक्ति सरकारी नौकरी छोड़ देता है।
अब ये तो बात हुई, हस्तरेखा में सरकारी नौकरी की लेकिन सरकारी नौकरी पाने के लिए उपाय और टोटके क्या है?
आपने हस्तरेखा में जॉब लाइन का मतलब तो समझ लिया लेकिन फिर भी सरकारी नौकरी की बात नहीं बन रही है तो क्या किया जाय?
इस स्थिति में आपको जॉब पाने के लिए टोटके और उपाय करने होंगे।
लाल किताब का चमत्कारी और प्रभावशाली टोटका सरकारी नौकरी (गोवेर्मेंट जॉब) पाने के लिए - रोज सुबह नहा कर आपको सूरज देवता को जल देना है और जल में 31 बीज लाल मिर्च के डाल देने है और जल देते वक्त अपनी प्रार्थना बोलनी है। कुछ ही दिनों में आपको परिणाम मिल जाएगा।
हाथ में टूटी हुई जीवन रेखा लेकिन मृत्यु नहीं होना
हाथ में दोषपूर्ण रेखाओं का अध्ययन करते समय यह परम आवश्यक है कि दोनों हाथों को ध्यान पूर्वक देखा जाय अथवा रेखाओं को बारीकी से समझा जाय और फिर किसी निर्णय पर पहुंचा जाय।
यदि एक हाथ में खराब चिह्न हो लेकिन दूसरे में ऐसा न हो तो उसका परिणाम उतना बुरा नहीं होता जितना कि दोनों हाथों में होने पर होता है ।
उदाहरण के तौर पर किसी व्यक्ति के दाहिने हाथ में जीवन रेखा खराब है, टूटी, या कटी हुई है अथवा उसमें कोई दोष है, अब ऐसी स्थिति में नया हस्तरेखा शास्त्री तुरंत उसकी मृत्यु का फलादेश कर देगा जो कदापि अनुचित होगा जबकि उस व्यक्ति की तीन तरीकों से मृत्यु टल सकती है।
1. बायें हाथ में जीवन रेखा निर्दोष व पूर्ण हो। यदि दूसरे हाथ में जीवन रेखा पूर्ण और निर्दोष है तो व्यक्ति पर मुसीबत आती है लेकिन वो उस मुसीबत से बाहर आ जाता है न की उसकी मृत्यु हो जाती है।
2. जीवन रेखा पुन: उदित होकर पूरी हो जाये। जहा जीवन रेखा टूटी है उस समय पर शारीरिक कष्ट आया हो लेकिन बाद की जीवन रेखा मजबूत होने के कारण व्यक्ति स्वस्थ भी हो जाता है।
3. कोई सहायक रेखा जीवन रेखा का स्थान ले लेवें या फिर मंगल रेखा मौजूद हो जो की जीवन रेखा के पीछे सहायक रेखा के तौर पर पाई जाती है।
यदि जीवन रेखा चंद्र पर्वत पर पहुंच जाय तो ऐसे व्यक्ति को मूत्र रोग की सम्भावना रहती है लेकिन व्यक्ति सुखी जीवन व्यक्ति व्यतीत करता है।
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हाथ में पथरी और गुर्दे की बीमारी का संकेत
हाथ से लगभग सभी बीमारियों का पता लगाया जा सकता है। अगर व्यक्ति को गुर्दे की बीमारी है या पथरी है तो उसके कुछ संकेत हाथ में देखने को मिलते है।
१) यदि हृदयरेखा स्पष्ट ना हो, जंजीरदार, सीडिनुमा, या लहरदार हो तो व्यक्ति को पथरी होने की संभावना बनी रहती है।
२) यदि मस्तक रेखा शनि पर्वत के नीचे टूटी हुई हो तो व्यक्ति को पथरी होने की संभावना बनी रहती है।
३) यदि चंद्र पर्वत दोषयुक्त है तो व्यक्ति को गुर्दे की बीमारी और पथरी या मूत्र रोग होने की सम्भावना बनी रहती है। चंद्र पर्वत जिस व्यक्ति का दूषित है उसको थ्योरिड, मधुमेह (डायबिटीज), मूत्र रोग और गुर्दे से सम्बंधित रोग होते है। चंद्र पर्वत दूषित होने पर व्यक्ति को पानी में डूबने का खतरा, सर्दी जुकाम से भी पीड़ित रहता है।
४) आडी रेखा चंद्र पर्वत व्यक्ति को पथरी और अपेंडिसाइटिस का रोग देती है।
५) भाग्य रेखा मस्तक रेखा के नीचे समाप्त हो रही हो तो भी व्यक्ति को गुर्दे से सम्बंधित रोग होता है और स्त्री यही तो गर्भ धारण करने में तकलीफ होती है।
हथेली में स्वास्थ्य रेखा से भी अनेक रोगो का अनुमान लगाया जाता है।
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चन्द्र पर्वत पर जीवन रेखा का अंत होना | Life Line Ends On Mount Of Moon
यदि जीवन रेखा चन्द्र पर्वत पर चली जाय तो व्यक्ति को पैतृक भूमि से बाहर जा कर कमाना पड़ता है। उंगलियां मोटी तथा भाग्य रेखा गहरी हो तो खेती का योग होता है, किन्तु जमीन एक स्थान पर नहीं रहती। उसका खेत कहीं और घर कहीं पर होता है।
जीवन रेखा गोलाकार होकर चन्द्र पर्वत पर जाए तो परिवार बड़ा होने के कारण अशान्ति रहती है और चिन्ता का कारण बनता है। कोई सम्बन्धी भी इनकी चिन्ता का कारण बना रहता है। ऐसे व्यक्ति जायदाद की कमी महसूस करते हैं। चाहे कितने ही मकान हों, परिवार तथा कारोबार अधिक होने से सदैव ही स्थान की तंगी महसूस करते हैं।
जीवन रेखा हमेशा वो ही सर्वश्रेष्ठ वही मानी जाती है, जो बृहस्पति पर्वत व निम्न मंगल पर्वत के मध्य से उदय होकर पूर्ण रूप से शुक्र पर्वत को घेरती हुई मणिबन्ध पर समाप्त हो जाती है। ऐसी जीवन रेखा व्यक्ति को धन, संतान, सवारी, स्वास्थ्य, जीवन साथी तथा माता-पिता का पूर्ण सुख कराने वाली होती है। इस रेखा का अन्त मणिबन्ध के पास शुक्र पर्वत व चन्द्र पर्वत के बीच केतु पर्वत पर होता है।
यहाँ पर हम स्वास्थ्य रेखा और जीवन रेखा से हमारे जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में प्रकाश डालेंगे। जैसे स्वास्थ्य रेखा जब हृदय रेखा को काटती हुई या उससे निकलती हुई जीवन रेखा से मिलती है तब यह अचानक शारीरिक कष्ट या दिल की कमजोरी या दिल का रोग दर्शाती है। हम इसे संक्षिप्त रूप में इस प्रकार समझ सकते हैं:-
स्वास्थ्य रेखा के गुण और दोष
पीली और चौड़ी स्वास्थ्य रेखा - खराब रक्त संचालन, जिगर की कमजोरी व इस रेखा पर पड़े नन्हे-नन्हे लाल दाग-बुखार की प्रवृत्ति बताते हैं।
स्वास्थ्य रेखा मोड़दार, टूटी हुई - पित्त सम्बन्धी रोग दर्शाती है।
सीधी स्वास्थ्य रेखा का छोटे-छोटे टुकड़ों में होना - पाचन शक्ति कमजोर होना बताती है।
स्वास्थ्य रेखा पर छोटे-छोटे द्वीप होना - वक्षस्थल या फेफड़े के रोग की सूचक है।
स्वास्थ्य रेखा का हाथ में नहीं होना या होने पर एक साफ लकीर के रूप में होना स्वस्थ जीवन का द्योतक है।
जीवन रेखा के गुण और दोष
औरत के हाथ में चरित्रहीन होने का योग होना - हस्तरेखा शास्त्र
हथेली में दोहरी हृदय रेखा होना
सभी पर्वतो पर त्रिशूल का महत्व
बहुत बार छोटा और बड़ा त्रिशूल सिर्फ पर्वत पर ही बना होता है। ऐसे त्रिशूल का भी हस्तरेखा ज्ञान में बहुत अधिक महत्व बताया गया है।
गुरु पर्वत - ऐसे व्यक्ति को प्रशासनिक क्षेत्र में बहुत अच्छी सफलता मिलती है , देश विदेश में नाम होता है , राजनीती में सफलता मिलती है।
शनि पर्वत - ऐसे व्यक्ति को अध्यात्म, ज्योतिष, निर्गुड़ विज्ञान, तंत्र विज्ञान में सफलता मिलती और ऐसा व्यक्ति भाग्यशाली होता है।
सूर्य पर्वत - ऐसे व्यक्ति को कला और साहित्य के क्षेत्र में सफलता मिलती है और ऐसा व्यक्ति प्रसिद्ध व्यक्ति होता है।
बुध पर्वत - ऐसे व्यक्ति को व्यापार और विज्ञान और अनुसंधान सम्बंधित क्षेत्रो में सफलता मिलती है। ऐसा व्यक्ति बड़ा व्यापारी बनता है।
मंगल पर्वत - ऐसा व्यक्ति उच्च मंगल पर होने पर अध्यात्म, देश विदेश में विख्यात होता है और निम्न मंगल पर होने पर सेना, पुलिस इत्यादि क्षेत्रो में सफल होता है।
चंद्र पर्वत - ऐसा व्यक्ति विदेश में व्यापार करता है या विदेश में नौकरी करता है। ऐसा व्यक्ति समुद्र और यात्रा से जुड़ा हुआ कार्य करता है।
राहु पर्वत - ऐसा व्यक्ति धनी होता है और सट्टे और जुए से पैसा बनाता है।
शुक्र पर्वत - ऐसा व्यक्ति ऊँचे कुल में विवाह कर के अमीर बनता है और फिल्म, संगीत की दुनिया में नाम बनाता है।
केतु पर्वत - ऐसा व्यक्ति जमीन जायदाद प्राप्त कर के अमीर बनता है। अधिकतर ऐसे व्यक्ति को बुढ़ापे में ही धन सम्पति का सुख मिलता है।
यहाँ आप ये बात ध्यान रखें की त्रिशूल को यदि किसी अवरोध या आडी रेखा ने काटा नहीं हो वरना त्रिशूल के प्रभाव में कमी आ जाती है और व्यक्ति को उसका सम्पूर्ण लाभ नहीं मिलता है।
त्रिशूल का मुख्य रेखा पर अर्थ भी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।