टूटी मरितष्क रेखा
टूटी मस्तिष्क रेखा एक दोष है, अत: दोषपूर्ण मस्तिष्क रेखा के विषय में बताये गये लगभग सभी फल यहां भी लागू हो सकते हैं। यदि मस्तिष्क रेखा शनि के नीचे टूटे तो विशेष रूप से हानिकारक होती है। हमें यह ध्यान से देखना होगा कि मस्तिष्क रेखा किस प्रकार से टूटी हुई है ।
यदि मस्तिष्क रेखी के दोनों भाग एक-दूसरे को ढक लेते हैं, टूटी मस्तिष्क रेखा को कोई दूसरी रेखा ढकती है, या टूटी मस्तिष्क रेखा किसी चतुष्कोण या त्रिकोण से ढकी जाती है। तो यह परेशानी तो करती है लेकिन विशेष हानि नहीं करती। हाथ भारी होने पर दोषपूर्ण फलों में कमी होती है।
यहां टूटी मस्तिष्क रेखा की तात्पर्य किसी लक्षण के द्वारा बिना जुड़ी रेखा से है। इस आयु में व्यक्ति को भारी मानसिक परेशानी, बीमारी, कर्ज तथा अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यदि मस्तिष्क रेखा बिल्कुल ही टूट जाती है और उसके दोनों सिरों को कोई रेखा या अन्य ऊपर बताए हुए लक्षण ढकते नहीं हों व दोनों हाथों में ये लक्षण हों तो ऐसे व्यक्तियों को इस अवस्था में नये जीवन का आरम्भ करना पड़ता है। परिवार में या किसी सम्बन्धी के साथ भयंकर दुर्घटना होती है।
पति या पत्नी की मृत्यु की सम्भावना रहती है। टूटी हुई मस्तिष्क रेखा की आयु में यह विशेष सावधानी रखने की आवश्यकता है कि पत्नी को प्रजनन नहीं होना चाहिए अन्यथा बहुत सम्भावना होती है कि प्रजनन समय में पत्नी की मृत्यु हो जाए। जिसका कारण प्रजनन समय में अति रक्तस्राव होता है। मस्तिष्क रेखा शनि के नीचे टूटी हो तो ऐसे दोष विशेष रूप से देखने में आते हैं।
टेड़ी मस्तिष्क रेखा
मस्तिष्क रेखा में ऊपर या नीचे झुकाव होना बहुत बड़ा दोष माना जाता है। दोषपूर्ण मस्तिष्क रेखा के सभी फल इस लक्षण के साथ लागू किये जा सकते हैं। जिन हाथों में कम रेखाएं होती हैं, उनमें यह लक्षण बहुत प्रभावकारी सिद्ध होता है। नगण्य-सा झुकाव भी इस आयु में आशातीत प्रभाव करता है। झुकाव का स्थान किसी त्रिकोण आदि से ढका हुआ हो तो बुरे फल में कमी होती है, फल तो होता है, परन्तु उसके कारण बरबादी या मृत्यु जैसी घटनाएं नहीं होती।
ऐसे व्यक्तियों का आचरण अच्छा होता है। जब तक ये अपने मूड में होते हैं, ठीक पेश आते हैं, अन्यथा कुत्ते की तरह काटते हैं, और बाद में रंज करते हैं। एक से अधिक बार पूछने पर ही ये किसी बात का उत्तर देते हैं। घर में ऐसे व्यक्ति व्यवहार के अच्छे सिद्ध नहीं होते, जबकि घर के बाहर इनका व्यवहार उत्तम होता है। ऐसे स्वभाव के व्यक्ति वकील, दुकानदार, स्पीकर या जज बहुत ही खराब माने जाते हैं।
इन्हें घरेलू जीवन में शान्ति नहीं मिलती। थोड़ा सा भी काम न होने पर उदास होना या किसी पर बरस पड़ना या घर छोड़ देना इनका स्वभाव होता है।
रेखाएं कम होने पर यदि मस्तिष्क रेखा शनि के नीचे टेढ़ी हो तो इस आयु में दुर्घटना से, ऐसे व्यक्ति को बहुत सावधान रहना चाहिए। प्रायः दुर्घटना हो जाती है। इस समय में कई प्रकार की परेशानियां आकर मानसिक अशान्ति का कारण बनती हैं। कहने का तात्पर्य यह है कि यदि यह दोष शनि के नीचे हो तो विशेषतया 34/35 वां वर्ष इनके लिए, आग में तप कर निकलने जैसा होता है। इस आयु में आर्थिक दबाव के कारण व्यक्ति ऋणी हो जाता है।
मरितष्क रेखा में द्वीप
मस्तिष्क रेखा में द्वीप भी मस्तिष्क रेखा का एक दोष है। अत: दोषपूर्ण मस्तिष्क रेखा के साथ इसे भी जोड़ा जा सकता है। मस्तिष्क रेखा में द्वीप होने पर (विशेषतया शनि के नीचे) हृदय रेखा दोषपूर्ण होने पर, शुक्र, चन्द्रमा या दोनों उन्नत होने पर ऐसे व्यक्ति सनकी होते हैं। व्यर्ध की बातें सोचा करते हैं जैसे, वह मर जायेंगे, यह काम ऐसे होगा, अमुक व्यक्ति मुझ पर फिदा है, वह मुझे मारना चाहता है, मेरे घर में भूत-प्रेत है। आदि। वास्तव में ये सब बातें गलत होती हैं। परेशानी बढ़ने पर, घबराहट होने या वातावरण उलझनपूर्ण लगने पर मस्तिष्क में गरमी बढ़ने से ऐसा होता है।
मस्तिष्क रेखा में द्वीप होने पर सिर में भारीपन यो दर्द रहता है, जिसका कारण पेट में खराबी होता है। ये अधिक देर तक नहीं पढ़ सकते, थोड़ी देर बैठने पर ऊब जाते हैं तथा बाहर पूगने के पश्चात् या किसी दूसरे कार्य में मन लगाने के पश्चात्, फिर दोबारा रककर पढ़ाई करते हैं।
मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे द्वीप होने पर यदि भाग्य रेखा में बड़ा द्वीप हो और शुक्र तथा चन्द्रमा इति हों तथा भाग्य रेखा चन्द्रमा से निकलकर, हृदय रेखा पर रुकती हो, जीवन रेखा टूटी हो या उपरोका कोई दो या अधिक लक्षण हों तो व्यक्ति अप्राकृतिक रूप से वीर्यपात करते हैं। ये पढाई में पहले ठीक होते हैं और बाद में रुचि न लेने के कारण अच्छे नहीं रहते।
ऐसा महसूस करते हैं कि इसी गलती के कारण इनकी पढाई में रुकावट होती है या मस्तिष्क में कमजोरी आई हुई है। ऐसे व्यक्तियों को जब भी बुखार होता है।
इन्हें नशा नहीं करना चाहिए, नशा भी तेज होता है और इनके जीवन में ऐसी घटनाएं भी होती है जब कोई भूल से इन्हें नशीली चीज खिला देता है।
मस्तिष्क रेखा के अन्त में द्वीप
मस्तिष्क रेखा के अन्त में अर्थात् बुध के नीचे द्वीप हो तो यह व्यक्ति के जिगर में थी करता है। इस प्रकार का कष्ट 52-53 वर्ष की आयु के पश्चात् ही बढ़ता है। मस्तिष्क रेखा में द्वीप न होकर कोई त्रिकोण का आकार बनत हो तो यह चलते समय सांस फूलना या फेफड़ों में खराबी होने के लक्षण है। यह द्वीप केवल स्वास्थ्य के लिए ही फल बताता है
मस्तिष्क रेखा के अन्त में यदि बड़ा द्वीप हो तो। व्यक्ति के किसी न किसी से अनैतिक सम्बन्य रहते हैं। ऐसे सम्बन्ध कभी जीवन के आरम्भ में 30-32 वर्ष की आयु में भी देखे जाते हैं लेकिन अंत में तो निश्चित ही होते हैं। यह लक्षण रखैल रखने का है।
ऐसे अक्तियों की आंखों में भी किसी न किसी प्रकार का रोग रहता है। यहां यह बात विशेष रूप से देखने की है कि ये द्वीप ऐसी रेखाओं से मिलकर बनाते हैं जिनकी मोटाई मौलिक मस्तिष्क रेखा से कुछ ही -- कम होती है। इस दशा में मस्तिष्क रेखा की कोई शाखा।
बुप वाले मंगल पर गई हो तो ऐसे सम्बन्ध किसी नजदीकी से होते हैं। यह अवश्य कहा जा सकता है कि ऐसे व्यक्ति रखैल या उपपानी रखते हैं।
मस्तिष्क रेखा में सूर्य के नीचे द्वीप
यह द्वीप मस्तिष्क रेखा में सूर्य की उंगली के नीचे पाया जाता है व्यक्ति की आंख में रोग का लक्षण हैं। यदि हृदय रेखा में भी सूर्य की उंगली के नीचे कोई द्वीप हो | वहां चाहर से कोई रेखा आकर हृदय रेखा को छूती हो जो निश्चित ही आंखों में दोष हो जाता है। यह द्वीप यदि गोलाकार अर्थात् वृत्त के आकार का हो तो व्यक्ति अन्धा हो जाता है। ऐसे व्यक्ति को आंख में बाहर से आकर कोई चीज लगती हैं।
सूर्य च शनि को उंगली के बीच मस्तिष्क रेखा में बड़ा द्वीप हो तो इस आयु में व्यक्ति के मस्तिष्क परे बड़ा भार पड़ता है या तो ये उदासीन हो जाते हैं या पागल अन्यथा मस्तिष्क में इसौली या खुन का जमाव होकर लकवा हो जाता है।
यह देखने की बात है कि द्वीप भिन्न के दोनों ओर की रेखाएं मस्तिष्क रेखा जैसी या मौलिक मोटाई से कुछ कम मोटी होनी चाहिए।
मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे द्वीप
इस सम्बन्ध में मस्तिष्क रेखा में, शनि के नीचे दोष में बहुत कुछ बताया गया है, परन्तु द्वीप के विषय के विषय में इस स्थान पर वर्णन करना आवश्यक है, क्योंकि दोष एक साधारण लक्षण है और द्वीप एक विशेष। अतः द्वीप के विषय में विशेष रूप से ज्ञान रखने की आवश्यकता है।
शनि के नीचे मस्तिष्क रेखा में कोई भी दोष विशेषतया रोग के विषय में निर्देश करता है। अत: जब किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य के विषय में अध्ययन करना हो तो यह विशेष रूप से देखना चाहिए कि मस्तिष्क रेखा में शनि के बीच कोई दोष दतो नहीं है ? इसका अन्य रेखाओं या अन्य लक्षणों के साथ समन्वय करने के पश्चात् प्रल कहने से बहुत ही अच् परिणाम हाथ लगते हैं।
उदाहरण के लिए शनि के नीचे दोष के साध मंगल पर अधिक खाने पर सेट खराब होता है, शनि पर अधिक रेखाएं हाने से वायु विकार, गठिया, किसी भी रेखा में सूर्य के नीचे दोध होने पर आय में कमजोरी, दय रेखा में शनि के नीचे कोई दोष होने में हर्निया, पौरूष ग्रन्थि, गर्भाशय, या अण्डकोष में बीमारी, चन्द्रमा या शुङ्ग अधिक उठा होने पर होने सम्बंधी रोग या स्नायु विकार होता है।
मस्तिष्क रेखा के आरम्भ या बृहस्पति के नीचे द्वीप
इस द्वीप का निर्णय करना कठिन होता है क्योंकि किन्हीं अन्य रेखाओं में उलझे होने, जोड अधिक होने या अन्य कारणों से यह अन्य रेखाओं से मिल जाता है। अत: ध्यान पूर्वक देखकर ही इसका निर्णय लेना चाहिए।
ऐसे व्यक्ति आपत्ति के समय शीघ्र घबरा जाते हैं तथा पढ़ने में कमजोर एवं मिजाज के चिड़चिड़े होते हैं। यह द्वीप बड़ा होने पर मस्तिष्क रेखा में यदि कोई दुसरा भी दोष हों तो एकदम भोंदू होते हैं। इस अवस्था में, यदि भाग्य रेखा स्वतन्त्र रूप से निकली हो तथा मोटी हो तो ऐसे व्यक्ति व्यवहार के अच्छे नहीं होते। ये किसी को नहीं सुनते और मनमानी करते हैं ।
माता-पिता के साथ सहयोग नहीं करते। मित्रों में रहना, अधिक खर्च करना, जिम्मेदारी महसूस न करना, पर में सद्-व्यवहार न करना आदि दोष ऐसे व्यक्तियों में पाये जाते हैं। कई बार तो ये दोष बहुत अधिक बढ़ जाते हैं। मस्तिष्क रेखा के आरम्भ में द्वीप और उससे कोई रेखा निकल कर बृहस्पति या जीवन रक्षा की ओर जातौ हों तो यह लक्षण शिक्षा में थोड़ी बहुत रुकावट करता हैं।
इस प्रकार के द्वीप से गले, कान या कान के ऊपर, मस्तिष्कं का ऑपरेशन अवश्य होता है। कभी कभी इस द्वीप से डिम्बाश्य या अण्डकोष में या तो रोग होता है या ये अंग अविकसित होते हैं।