शनि की उंगली के नीचे पाई जाती है। सुन्दर व दोष रहित होने पर यह मुद्रिका आध्यात्मिक प्रगति का लक्षण है। ऐसे व्यक्ति शिव उपासना में रूचि लेते हैं। इनकी रूचि आयु के साथ बढ़ती रहती है और अन्तिम आयु में गहनता को प्राप्त होती है। शनि मुद्रिका टूटी हुई होने पर आग व बिजली से भय रहता है।
हस्तरेखा में शुक्रवलय का क्या महत्त्व होता है - शुक्रवलय हस्तरेखा शास्त्र