मस्तक रेखा का जीवन रेखा से अलग हो कर निकालना
जीवन रेखा से बृहस्पति पर जाने वाली शाखा के द्वारा अथवा जीवन रेखा से निकली भाग्य रेखा के द्वारा जुड़ी होने पर दोषपूर्ण नहीं मानी जाती। ऐसी मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा के निकास के पास से ही निकलती हो तो यह अतुलनीय होती हैं, परन्तु ऐसा कम ही देखा जाता । (नितिन कुमार पामिस्ट)
ऐसे हाथों में यदि रेखाएं कम हों या हाथ कौणिक अर्थात उंगलियां अंगूठे की ओर झुकी हुई हों तो जल्दबाज होते हैं। फलस्वरूप सावधानी से कार्य न करने की कारण हानि उठाते हैं परन्तु स्थायित्व प्राप्त करने के पश्चात ये पूर्ण आत्म विश्वासी सिद्ध होते हैं। ऐसी स्त्रियां स्पष्ट वक्ता, हिम्मतवाली, व निडर होती हैं। यदि भाग्य रेखा हृदय रेखा पर रुकी हो व उंगलियां लम्बी हो तो दूसरे के प्रभाव में शीघ्र आती हैं। यदि कोई व्यक्ति थोड़ी भी सहानुभूति से बात करे तो उस पर पूर्ण विश्वास कर लेती हैं। (नितिन कुमार पामिस्ट)
ऐसे व्यक्ति चरित्र में विश्वास करते हैं, अपने मन में दूसरे का प्रभाव होने पर भी इन्हें चरित्र-दोष नहीं होता। इनक अच्छे मित्र होते हैं व यथासम्भव मित्रता निभाते हैं, किसी से बदला लेने की भावना नहीं होती। यदि विशेष रूप से स्त्रियों के हाथ में जीवन रेखा में दोष हो तो थोड़ी-सी बात में बुरी तरह घबरा जाती हैं, जैसे पति का रात देर से घर आना या कोई समाचार अचानक सुनना आदि। मस्तिष्क रेखा, जीवन रेखा से अलग होकर निकले तो व्यक्ति बचपन में अधिक बीमार होते हैं व जलने से या ऊपर से गिर कर बच जाना इत्यादि घटनाएं होती हैं। यदि जीवन रेखा में विशेष दोष हो तो बचपन में निमोनिया, पाचन शक्ति च जिगर खराब रहता है तथा उपरोक्त रोगों के कारण कई बार बहुत अधिक बीमार हो जाते हैं।
मस्तिष्क रेखा गोलाकार हो तो निमोनिया कई बार होता है। ऐसे बच्चे शरारती एवं प्रखर बुद्धि वाले होते हैं। मस्तिष्क रेखा द्विभाजित होने पर होशियार एव उत्तम विद्यार्थी सिद्ध होते हैं। यह मस्तिष्क रेखा मंगल पर या उसकी ओर जाए तो इनकी छाती पर तिल होता है।
यह इनकी किसी योग्य सन्तानक होने का लक्षण है। ऐसे व्यक्ति नौकरी अवश्य करते हैं। कर्ज नहीं ले सकते, क्योंकि इससे इनके मस्तिष्क में तनाव रहता हैं। साझे में काम भी इन्हें अच्छा नहीं लगता।
ऐसा देखा जाता है कि कुछ रोग जैसे दमा, हृदय रोग आदि एक पीढ़ी से दूसरी पीड़ी में चलते जाते हैं। यदि मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा से अलग हो तो स्वयं को ऐसे रोग होने पर भी सन्तान की ये रोग नहीं लगते। ऐसे व्यक्ति की मस्तिष्क रेखा द्विभाजित हो तो जैसे-जैसे चिन्ता करते हैं, भारी होते जाते हैं और सफलता मिलती जाती है। काम करने में चतुर होते हैं। उंगलियां जितनी पतली होती हैं, यह सफलता व बुद्धिमत्ता का लक्षण होता है। जीवन रेखा गोलाकार होने पर ऐसे व्यक्ति यथा शक्ति अपने प्रभाव से व धन से दूसरों की सहायता करते देखे जाते हैं। इस लक्षण के साथ मस्तिष्क रेखा मोटी-पतली होने पर अधिक सोने वाले होते हैं। खाना खाने के बाद आलस्य आता है, हाथ कोमल हो तो आलसी होने के कारण अधिक सोने की आदत होती है।
मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा से अधिक दूर होकर निकली हो अर्थात इसकी दूरी जीवन रेखा से 34 इन्व या उससे अधिक हो तो यह व्यक्ति में अति आत्मविश्वास, जिसे हम पमण्ड कहते हैं, पैदा करती है। ऐसे व्यक्ति लापरवाह होते हैं, अपने जीवन निर्माण की भी चिन्ता नहीं करते। ये स्वछन्द विचारों की होते हैं व किसी की परवाह न करना, बात काटने पर निरादर कर देना, इनके लिए कोई विशेष बात नहीं होती। शनि की उंगली लम्बी या शनि उन्नत हो तो व्यक्ति एकान्त पसन्द होता है, भाग्य रेखा भी शनि पर हो तो झगड़ा तथा विरोध पसन्द नहीं होता। ऐसे व्यक्ति विरोधियों से दूर जाकर खुले में मकान बनाकर रहते हैं। परवाह कम करने से ऐसे पति-पत्नी में मनोमालिन्य बना रहता है, वे न तो एक-दूसरे का पक्ष ले सकते हैं और न तारीफ ही कर सकते हैं, फलस्वरूप अनायास ही विरोध रहता है। इनकी स्पष्टवादिता या कटुवाकशक्ति नौकरी में भी झगड़े का कारण बनती है। इनका गला सूखता है व नोंद कम आती है। स्वी के हाथ में यह लक्षण होने पर इन्हें शादी के बाद परेशानी होती है। ऐसे व्यक्तियों में आत्मविश्वास देर से पैदा होता है। यदि शुक्र भी उन्नत हो तो जीवन में सफलता भी देर से मिलती है।