राजयोग वाला हाथ हस्तरेखा
मनुष्य के जीवन में जो भी योग बनता है सब भाग्य से ही बनता है। अगर किसी की भाग्य अच्छी होती है तो उसके हाथ की रेखाएं जन्म से ही अच्छी होती है तथा हाथ का आकार भी शुभ लक्षणों से युक्त होता है।
यदि भाग्य रेखा चंद्र पर्वत से आरम्भ हो कर शनि पर्वत पर समाप्त हो रही हो व साथ ही निर्दोष हो व उस भाग्य रेखा से निर्दोष सूर्य रेखा निकल रही हो जो की सूर्य पर्वत पर समाप्त हो रही हो या फिर भाग्य रेखा से शाखा निकल कर सूर्य रेखा में मिल रही हो तो ऐसे में राजयोग बनता है।
यदि भाग्य रेखा चंद्र पर्वत से आरम्भ हो कर शनि पर्वत पर समाप्त हो रही हो व साथ ही निर्दोष हो व उस भाग्य रेखा से निर्दोष सूर्य रेखा निकल रही हो जो की सूर्य पर्वत पर समाप्त हो रही हो या फिर भाग्य रेखा से शाखा निकल कर सूर्य रेखा में मिल रही हो तो ऐसे में राजयोग बनता है।
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Indications of people having Raj Yoga in palm
Indications of people having Raj Yoga in palm
कुछ विद्वानों का मानना है की यदि भाग्य रेखा, मस्तक रेखा अच्छी हो और गुरु पर्वत सबल हो व साथ ही अँगूठा भी लम्बा हो तो हाथ में राजयोग बनता है।
प्रस्तुत हाथ की अंगुलिया सीधी है जीवन रेखा से एक शाखा शनि पर्वत की ओर प्रस्थान कर रही है जिसे अन्य भाग्य रेखा भी कहा जाता है। सभी अंगुलियां समान स्थान से निकली हुई है, कम से कम तीन अंगुलियों का आधार समान होना तथा अन्य लक्षण मिलना राजयोग कहलाता है। इनके हाथ का अंगूठा लंबा होता है मस्तिष्क रेखा में किसी भी प्रकार का दोष नहीं पाया जाता। ये हमेशा बौद्धिक कार्य करते हैं तथा बड़े पदवी को संभालते हैं।
ऐसे व्यक्तियों का हाथ बहुत कोमल एवं मुलायम होता है तथा इनमें सहनशीलता खूब होती है। इनके हाथ के सभी ग्रह उन्नत होते हैं तथा हाथ का रंग लाल होता है, जो सभी दोषों को नष्ट कर देता है। इन्हें यात्रा करने का अपना अलग ही तरीका होता है। शनि की अंगुली लंबी है जिससे यह स्पष्ट हो रहा है कि धन और सफलता दोनों इनका साथ दे रहा है।
ऐसे व्यक्तियों के हाथ पर गुरु ग्रह के क्षेत्र में किसी भी प्रकार की खराब रेखाएं नहीं होती तथा गुरु ग्रह उन्नत होता है। अच्छी जीवन रेखा के साथ भाग्य रेखा भी अच्छी ही होती है। भाग्य रेखा और जीवन रेखा परस्पर दूर होना एवं मस्तिष्क रेखा शीर्ष रेखा में अन्तर होने से ये व्यक्ति दान करने में आगे होते हैं तथा पैतृक प्रतिष्ठा एवं सम्पति के स्वामी होते हैं। यदि ऐसे हाथ में सूर्य रेखा कटी हो, गुरु पर अशुभ चिन्ह हो या शुक्र क्षेत्र में उभार हो, तो ऐसे लोगों का भाग्योदय देर से होता है। मस्तिष्क रेखा निर्दोश हो, मणिबंध स्पष्ट हो तथा भाग्य रेखा मणिबंध से शुरु होकर शनि पर्वत पर जाय, ऐसे लोग जन्म से ही भाग्यशाली तथा समाज के कल्याणकारी प्राणियों में से होते हैं।
ऐसे लोगों में महत्वाकांक्षा खूब होती है जिसके फलस्वरूप प्रतिष्ठा एवं प्रसिद्धि पाने में झंझट नहीं होता। इन लोगों के पास साही ठाठ-बाठ के अलावा समस्त भौतिक सामग्री पाई जाती है।