भविष्य बताने में सावधानियाँ सरल हस्तरेखा
मृत्यु, शोक, आदि जैसे दु:खद विषयों के बारे में बताते समय ऐसे शब्दों/वाक्यों का प्रयोग नहीं करें जिससे क्लाइन्ट के मन पर नकारात्मक प्रभाव पड़े। हस्तशास्त्री (Palmist) या ज्योतिषी आदि के पास वही व्यक्ति आते हैं जिनका उस पर विश्वास होता है। मनोविज्ञान के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अपने विश्वास-पात्र व्यक्ति से नकारात्मक बात (जैसे रोग, मृत्यु आदि) सुनता है तो वह उसे सही स्वीकार कर लेता है जिससे उसका अवचेतन मन प्रभावित हो जाता है और वह नकारात्मक बात घटित होने की सम्भावना अत्यधिक बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए मान लीजिए आपको अपनी गणना से लगता है कि व्यक्ति दो वर्ष बाद जिगर के रोग से पीड़ित होकर मर जायेगा। इस तथ्य को इस प्रकार बताइये-"मैं आपको सावधान करना चाहता हूँ अपने खान-पान का काफी ध्यान रखिए, बहुत सम्भावना है कि दो वर्ष बाद आपको जिगर सम्बन्धी बीमारी हो जाये जो बहुत कष्टदायक सिद्ध हो। कभी-कभार ऐसे रोग प्राणघातक भी हो जाते हैं।”
इस तरह आपने अपनी सही बात कह दी, दूसरे को सावधान कर दिया। इससे उसे बुरा भी नहीं लगेगा और मन पर नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा।
इसके दो मुख्य कारण हैं
(1) हिन्दू शास्त्रों में कहा गया है कि यद्यपि ब्रह्माजी मनुष्य का भाग्य लिखते है।
परन्तु उसे लिखने के बाद वह भी यह निश्चित रूप से नहीं बता सकते हैं कि उसका भाग्य क्या होगा? परमात्मा ने मनुष्य को जो इच्छाशक्ति और कर्मशक्ति दी है उसके बल से वह असम्भव को भी सम्भव बना सकता है।
(2) दूसरा कारण है मनुष्य का चिकित्सा और दुर्घटना निवारण क्षेत्र में नित नये सफल आविष्कार करना जिससे मनुष्य की औसत आयु बराबर बढ़ती जा रही है। आज ऐसी असंख्यों नयी चीजें, दवाइयाँ आदि हैं जिनका ज्ञान प्राचीन हस्तरेखा शास्त्रियों को नहीं था। इसके फलस्वरूप बुद्धिमान हस्तरेखा शास्त्री (Palmist) हस्तरेखाओं की व्याख्या वर्तमान पृष्ठभूमि में करता है। अत: भविष्य बताते समय हो सकता है, सम्भावना है, बहुत सम्भावना है आदि जैसे वाक्यों का प्रयोग अवश्य करें।
मेरा अपना अनुभव है कि प्रायः लोग शनिदेव की साढ़ेसाती, मंगल का खराब होना आदि के लिए ग्रहों की शान्ति के उपायों को जानने के उत्सुक होते हैं। यद्यपि यह एक बहुत बड़ा विषय है, तथापि मैं मूल बातों को अत्यन्त संक्षेप में लिखना चाहता हूँ।
(1) क्लाइन्ट को अपने घर पर ही इष्टदेव/देवी का ध्यान करने और उसका मन्त्र जाप करने की सलाह दें।
(2) योगासन, प्राणायाम, हल्का व्यायाम, प्रात:काल घूमना आदि तन-मन दोनों के लिए हितकर हैं, इनसे दुर्भाग्य भी दूर होता है।
(3) तम्बाकू, शराब, भांग आदि नशों को छोड़ने की सलाह दें। ये सभी निश्चित रूप से दुर्भाग्य लाने वाले है।
(4) व्यक्ति को परिवार नियोजन करने, जीवन बीमा कराने, बराबर बचत करते
रहने की सलाह लाभदायक सिद्ध होती है।
(5) वृक्षों को रोपने से उन्हें नित्य सींचने से, पशु-पक्षियों की अपनी शक्ति अनुसार रक्षा करने, उनका लालन-पालन करने, माता-पिता की सेवा करने, दीनदुखियों की मदद करने से पुण्य लाभ होता है। इसके विप- रीत दूसरो का शोषण करने, भ्रष्टाचार और अत्याचार करने वालों को देर-सबेर अपने दुष्कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है। यह मैं अपने 20 वर्षों के अनुभवों के आधार पर लिख रहा हूँ।
एक अन्तिम तथ्य यह कि उचित सीमा में काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार करना तो ठीक है पर जहाँ आपने इनकी सीमा तोड़ी कि (शनि) भाग्य देवता का दण्ड जुड़ना शुरू हो जाता है। यहाँ तक कि सुपात्रों को दान देने, अहिंसा का पालन करने, क्षमा करने जैसे दिव्य गुणों की अति भी दुर्भाग्य का प्रारम्भ कर सकती है। इसलिए बुद्धिमान व्यक्ति जीवन में सदा सन्तुलन लाने का प्रयत्न करते है। यही बुरे ग्रहों के प्रभावों को दूर करता है।
मनुष्य पर जब एक के बाद एक मुसीबतों की मार पड़ती है, वह अपना धैर्य व सन्तुलन खो देता है और हस्तरेखा का थोड़ा भी ज्ञान रखने वाले या फलित ज्योतिष जाननेवाले की ओर भागता है, यह एक बहुत हानिकारक प्रतिक्रिया हैये दोनों विद्यायें अत्यन्त गहन हैं। ज्योतिषी या हस्तरेखा शास्त्री के द्वारा कही बातें आपकी इच्छाशक्ति को हानि पहुँचा सकती है। अत: कभी भी अनजाने या अधकचरे लोगों से सलाह नहीं लें। ऐसे ही व्यक्ति के पास जायें जो वास्तव में इन विद्याओ का पूरा ज्ञान रखता हो। उसे आप समुचित फीस भी दें ताकि वह आपमें उचित रुचि ले।
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