हाथ की मुख्य रेखाएँ | हस्तरेखा विज्ञान
एक संक्षिप्त परिचय
हथेली में पाय जाने वाली रेखाओ से भविष्य कथन - सरल हस्तरेखा शास्त्र
1. जीवन रेखा (The Line of Life)
2. मंगल रखा (The Line of Mars)
3. जिगर रेखा/विद्या रेखा (The Line of Health or Hepatica)
4. मस्तिष्क रेखा/शीर्ष रेखा (The Line of Head)
5. हृदय रेखा (The Line of Heart)
6. भाग्यरेखा (The Line of Fate)
7. सूर्य रेखा (The Line of Sun)
8. शुक्र मेखला (The Girdle of Venus)
9. काम रेखा (The Line of Sex)
10. अतीन्द्रिय ज्ञान रखा (The Line of Intuition)
11. बृहस्पति मेखला/सोलोमन की अँगूठी
12. विवाह रेखा (The Line of Marriage)
13. सन्तान रेखाएँ (The Line of Child)
14. शनि की अंगूठी (The Ring of Saturn)
15. यात्राएँ/विदेश यात्रा रेखाएँ (Travels, Voyages)
16. तीन मणिबन्ध (The Three Bracelets)
हाथ की मुख्य रेखाओं का संक्षिप्त विवरण
स्वस्थ मस्तिष्क, हृदय और जीवन इन तीन तत्त्वों के बिना हम अपने शरीर में नहीं रह सकते। अत: इन तीन रेखाओं-मस्तिष्क रेखा, हृदय रेखा और जीवन रेखा को सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण कहा जाता है। जीवन को मंगल रेखा दोहर शक्ति प्रदान करती है। ये लेख भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट द्वारा लिखा गया है अगर आप उनके दवारा लिखे सभी लेख पढ़ना चाहते है तो गूगल पर इंडियन पाम रीडिंग ब्लॉग को सर्च करें और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें । भाग्यरेखा और सूर्य रेखा दोनों उसके भावी जीवन के बार में बताती है। इसके साथ-साथ स्वास्थ्य रेखा व्यक्ति के स्वस्थ तथा अस्वस्थ रहने की सूचना देती है। स्वास्थ्य ही सबसे मूल्यवान सम्पत्ति है, इसलिए उसका भी एक महत्त्वपूर्ण स्थान माना गया है। आइए! हम सबसे पहली नजर सबसे महत्त्वपूर्ण रेखा जीवन रेखा पर डालें क्योंकि जीवन है तभी सब कुछ है। भविष्य के रहस्य जीवन रेखा से ही ज्ञात होते हैं।
1. जीवन रेखा (Line of Life)
इसे अंग्रेजी में (Vital) वाइटॅल अर्थात् प्राणाधार भी कहते हैं। प्राय: यह अँगूठे और तर्जनी (Index Finger) के मध्य से शुरू होकर शुक्र क्षेत्र को घेरती हुई मणिबंध तक या उसके पास अधिक या काम मार्ग घेर सकती है। यदि यह अपना पूरा मार्ग घेरती है और स्पष्ट है तो व्यक्ति दीर्ध जीवन का स्वामी होता है। छोटी या टूटी रेखा जीवन के लिए संकट का संकेत है।
2. मंगल रेखा (Line of Mars)
यह रेखा शुक्र क्षेत्र पर जीवन रेखा के पीछे होती है। यह धनुषाकार या सोधी । सकती है तथा जीवनरेखा के समीप अथवा दूर हो सकती है। मंगल रेखा जी रेखा की क्षति या कमजोरी को दूर करती है।
3. जिगर रेखा (The Line of Health or Hepatica) या स्वास्थ्य रेखा
इसे बुध रेखा (Line of Mercury) भी कहा जाता है। यह हाथ में बुध क्षेत्र से शरू होकर जीवन रेखा के नीचे तक जाती है। कभी-कभी यह बीच में टूटी हुई होती है और कभी पूरी। पूरी रेखा बेहतर मानी जाती है। स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा फल तब होता है, जब यह हाथ में नहीं हो। यह जातक के स्वास्थ्य के बारे में बताती है। कुछ हस्तरेखा शास्त्री इसे यकृत (जिगर) को स्वस्थ या अस्वस्थ स्थिति बतलाने वाली रेखा मानते है।
4. मस्तक रेखा (The Line of Head/The Natural or Cerebral)
कुछ पॉमिस्ट (Palmist) इसे शीर्ष रेखा/मस्तक रेखा/बुद्धि रेखा भी कहते है। यह प्रायः जीवन रेखा शुरू होने के स्थान के ऊपर से निकलकर कनिष्ठिका अँगुली (Little Finger) के नीचे तक जाती है। यह कुछ हाथों में जीवन रेखा से जुडी होती है और कुछ में नहीं। इसकी शुरुआत भी थोड़ा भिन्न-भिन्न स्थानों से हो सकती है। कुछ में यह लम्बी, कुछ में छोटी या नीचे झुकी होती है। यह मानसिक शक्तियों को प्रतिबिम्बित करती है।
5. हृदय रेखा (The Line of Heart/The Mensal)
यह रेखा शनि या बृहस्पति क्षेत्र से शुरू होकर बुध क्षेत्र के अन्त तक जाती है। यह इन क्षेत्रों के मध्य से या कुछ गोलाई लेकर उनके ऊपरी भाग से भी प्रारम्भ हो सकती है। कुछ लोग इससे आयु निकालते हैं। यह व्यक्ति के प्रेम या प्रणय सम्बन्धों, भावनाओं और भावावेशों तथा हृदय सम्बन्धी स्वास्थ्य को प्रकट करती है।
6. भाग्य रेखा (The Line of Fate/The Line of Destiny/Saturnian)
इसे शनि रेखा' भी कहा जाता है क्योंकि प्राय: यह हथेली के मूल से निकलकर शनि पर्वत तक जाती है। इसका प्रारम्भ अन्य स्थानों जैसे जीवन रेखा के अन्दर से या चन्द्र क्षेत्र आदि से भी हो सकता है। कभी-कभी यह पूरी नहीं होती न सीधी ही। इसे कुछ पॉमिस्ट (Palmist) धन रेखा मानते हैं क्योंकि यह जातक की आर्थिक स्थिति, कैरियर, व्यवसाय आदि को बनाती है।
7 . सूर्य रेखा (The Line of Sun/Apollo/The Line of Brilliancy)
इसकी शरुआत हथेली के मूल से होना चाहिए और सूर्य पर्वत तक पहुँचना चाहिए । परन्तु अधिकतर ऐसा नहीं पाया जाता। प्रायः यह मस्तिष्क रेखा से कुछ नीचे से या मस्तिष्क रेखा से निकलती हुई सूर्य क्षेत्र तक पहुँचती है। यह अन्य स्थानों जैसे मंगल के क्षेत्र, जीवन रेखा, चन्द्र पर्वत या हृदय रेखा से भी शुरू हो सकती है। इसे सफलता, यश तथा कलात्मक अभिरुचि को प्रकट करने वाली रेखा माना जाता है।
8. शुक्र मेखला (The Girdle of Venus)
ये रेखा शनि क्षेत्र और सूर्य क्षेत्र को एक मेखला या चन्द्राकार रूप में जोड़ती । यह सभी हाथों में नहीं पायी जाती। यह रेखा छोटी और टूटी हुई हो सकती है। यह जातक को मानसिक रूप से अत्यधिक संवेदनशील और मूडी (Moody) बनाती है। यह तनाव (Tension), हिस्टीरिया तथा जल्दी निराश और बुरा मान जाने की प्रवृत्ति प्रकट करती है, विशेष रूप से जब शुक्र मेखला टूटी हुई हो। मोटे और चौडे हाथों में यह कामुकता की अधिकता दर्शाती है। शेष सभी हाथों में यह इस बात की सूचक है कि व्यक्ति की मनोदशा (Mood) जल्दी-जल्दी बदलने वाली है और वह किसी भाव (Emotion) के आने पर उसकी सर्वोच्च भावदशा में पहुँच जाता है। अगर यह रेखा विवाह रेखा के सम्पर्क में आ जाये तो वैवाहिक जीवन की खुशी को कम कर देती है। लेकिन अच्छी मस्तिष्क रेखा और इच्छाशक्ति व विवेक प्रकट करने वाला अँगूठा इसके बुरे प्रभावों को कम कर देता है।
9. काम रेखा (The Line of Sex)
यह हथेली में जिगर रेखा से कुछ दूर होती है और मस्तिष्क रेखा तक जाती है। यह सभी हाथों में नहीं होती। इस रेखा द्वारा व्यक्ति के काम आवेगों और प्रणय सम्बन्धों (Sex Relations) की जानकारी होती है। काम रेखा को स्वास्थ्य रेखा की भगिनी रेखा (Sister Line) भी कहा जाता है। जब यह रेखा जीवन रेखा को काटती हुई शुक्र पर्वत पर पहुँच रही हो तब यह जातक की आयु को कम कर देती है। यह रेखा व्यक्ति में अधिक कामुकता होना बताती है।
10. अतीन्द्रिय ज्ञान रेखा (The Line of Intuition)
यह व्यक्ति में अतीन्द्रिय ज्ञान जैसे भविष्य देखना, पूर्व जीवन का ज्ञान होना, दूर स्थित व्यक्ति या स्थान का दर्शन करना आदि की शक्तियाँ बताती है। यह बहुत कम हाथों में पायी जाती है। यह रेखा चन्द्र क्षेत्र के निम्न भाग से शुरू होकर अर्द्धचन्द्र के आकार से कुछ-कुछ मिलती हुई हृदय रेखा के आगे तक या मस्तिष्क रेखा और हृदय रेखा के बीच तक जाती है।
11. बृहस्पति मेखला (Ring of Solomon) रिंग ऑफ सोलोमन या सोलोमन की अँगूठी
यह पूरी मेखला बहुत ही कम लोगों में पायी जाती है। यह बृहस्पति और शनि की अँगुलियों के बीच से निकलकर पूरे बृहस्पति क्षेत्र को घेर लेती है। इस रेखा वाला व्यक्ति किसी एक गुप्त विद्या या अध्यात्म विद्या का पण्डित होता है।
12. विवाह रेखा (The Line of Marriage)
यह कनिष्ठिका अँगुली के नीचे होती हैं जो हथेली की तरफ से आती है। यह एक से अधिक भी हो सकती है।
13. सन्तान रेखाएँ (The Lines of Children)
पश्चिमी विद्वानों के अनुसार ये रेखाएँ विवाह रेखा पर छोटी-छोटी और पतली खड़ी रेखाएँ होती हैं। भारतीय हस्तरेखा शास्त्रियों के मतानुसार ये रेखाएँ शुक्र क्षेत्र के निचले हिस्से में होती हैं जो हाथ के पिछले भाग की ओर जाती हैं। ये कुछ लम्बी, समानान्तर और स्पष्ट होती हैं।
14. शनि की अंगूठी (The Ring of Saturn)
यह अशुभ रेखा है, जो बहुत कम हाथों में पायी जाती है। यह अर्द्धचन्द्राकार रूप में शनि क्षेत्र को घेरे रहती है। बृहस्पति और शनि क्षेत्र के बीच से निकलकर शनि तथा सूर्य की अँगुली के बीच तक जाती है। यह व्यक्ति पर शनि के प्रभाव को बताती है। शनि की अँगूठी वाले जातक अच्छी और बड़ी योजनाएँ बना । सकते हैं परन्तु इनमें अपने लक्ष्य की प्राप्ति में बराबर लगे रहने की क्षमता नहीं होती अतः सफलता नहीं मिलती। अच्छी मस्तिष्क रेखा हो या व्यक्ति साधना । द्वारा अपने में शान्तिपूर्वक लक्ष्य पर लगे रहने की इच्छाशक्ति जागृत कर सके। तो शनि की अँगूठी सफलता का प्रतीक बन सकती है।
15. यात्राएँ विदेश यात्रा रेखाएँ (The Lines of Travels And Voyages)
ये रेखाएँ मणिबन्ध से चन्द्र क्षेत्र से और जीवन रेखा से निकलती हैं।
16. तीन मणिबन्ध (The Three Bracelets)
ये हथेली के अन्त में कलाई पर होती हैं। ये एक से लेकर चार तक हो सकती हैं। हथेली के सबसे निकट वाला मणिबन्ध प्रथम मणिबन्ध कहलाता है। इन रेखाओं से यात्राओं, धन और सत्ता की प्राप्ति आदि का ज्ञान होता है। प्रथम मणिबन्ध पर बडा द्वीप या मेहराब होना व्यक्ति में (स्त्री-पुरुष दोनों में) सन्तानोत्पत्ति शक्ति की कमी या काम अंगों तथा सन्तानोत्पत्ति के अंगों में कमजोरी और रोग प्रकट करता है। जब तीन मणिबन्ध स्पष्ट और भली प्रकार बने हों तो वे अच्छे स्वास्थ्य , दृढ़ इच्छाशक्ति और सफलता के सूचक होते हैं। हाथ में अन्य रेखाय ( भाग्यरेखा, सूर्य रेखा) शुभ होने पर ऐसे जातक उचित धन सम्पति और सत्ता के अधिकारी बनते हैं। यदि मणिबन्ध जंजीरदार हो, अधष्ट या छा ४ चिह्न हो तो वह हानिकारक होता है।
टिप्पणी
हाथ में जो भी रेखा स्पष्ट होती है उसका कुछ न कुछ प्रभाव भाग्य पर अवश्य पड़ता है। लेकिन कुछ ऐसी रेखाएँ होती हैं जो कम हाथों में पायी जाती हैं, जैसे शुक्र मेखला (The Girdle of Venus), काम रेखा (The Line of Sex), अतीन्द्रिय ज्ञान रेखा (The Line of Intuition), सोलोमॅन की अंगूठी (Ring of Solomon), शनि की अँगूठी (Ring of Saturn), अतः इन्हें कुछ पॉमिस्ट हाथ की प्रमुख रेखा में नहीं गिनते। इन सभी रेखाओं पर प्रकाश डालने से पूर्व हम रेखाओं या हाथ के अन्य क्षेत्रों में पाये जाने वाले विभिन्न चिह्नों तथा उनके फलों तथा रेखाओं के गुण-दोषों के बारे में चर्चा करेंगे ताकि हस्तरेखाओं का सही तथा पूर्ण अर्थ जानने में सुविधा हो।
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