भारतीय हस्त सामुद्रिक शास्त्रानुसार यदि चक्र का चिह्न सभी अँगुलियों के प्रथम पर्व पर हो तो बहुत शुभ होता है। ऐसा जातक अच्छा भाषण देने वाला, वार्तालाप में निपुण और ऊँची शिक्षा पाता है। चक्र का चिह्न नौ अँगुलियों पर हो तो जातक विदेश जाता है, गुणवान तथा बुद्धिमान होता है। जीवन में अच्छी उन्नति करता है। पर शनैः शनैः। अगर दाहिने हाथ की चार अँगुलियों में चक्र हो तो जातक धार्मिक, सामाजिक तथा शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति करता है। दाहिने हाथ की 3 उंगलियों में चक्र होने पर जातक व्यापार करने या व्यापारिक कार्यों में उन्नति करता है।
1) दोनों हाथों की दसों अँगुलियों के प्रथम पोरे में शंख का चिह जा को आध्यात्मिक ज्ञान से पूर्ण संन्यासी विद्वान बनाता है। उसे समाज के प्रतिष्ठा और यश मिलता है।
2) अँगूठे या अँगुलियों के प्रथम पोरे (पर्व) पर स्थित तारा (Star) उस अँगुली की विशेषता के अनुसार सफलता देता है।
3) अँगुलियों के बीच बनी धारियाँ (पोरों को अलग करने वाली लकीरें) यव (जौ) के आकार की होना शुभ माना जाता है। ऐसा व्यक्ति उचित मात्रा में विद्या तथा धन प्राप्त करता है।
वर्गाकार हाथ में चपटे हाथ (Soatulate Hand) जैसी अँगुलियाँ होने पर वह किसी उपयोगी यन्त्र का आविष्कारक हो सकता है। वर्गाकार हाथ में अतीन्द्रिय हाथ (Psychic Hand) जैसी अँगुलियाँ होने पर उसकी व्यावहारिकता में कमी आ । जाती है। वह किसी कार्य को उत्साह से शुरू करेगा परन्तु सतत प्रयत्न नहीं कर सकेगा जिससे असफल हो जायेगा। परन्तु यदि वह कोई परामनोवैज्ञानिक साधना करेगा तो सफल होने की सम्भावना बढ़ जायेगी। वह ध्यान, प्राणायाम आदि करने की नयी विधियाँ और उनके उपयोग भी निकाल सकता है।
अब दार्शनिक हाथ (Philosophic Hand) और अतीन्द्रिय हाथ (Psychic Hand) के बारे में बताते हैं क्योंकि इन दोनों के बीच भेद कम होता है। दार्शनिक हाथ फैला हुआ तथा बड़ा होता है परन्तु अतीन्द्रिय छोटा और पतला। पहले में हडिडयो उभरी हुई होती है, दूसरे में नहीं। अतीन्द्रिय हाथ का अँगूठा छोटा होता है और दार्शनिक हाथ का बडा। पहले में अँगुलियाँ चिकनी तथा नाखून नकौले पारे । है, दूसरे में अँगुलियाँ लम्बी तथा उनके जोड़ गाँठ वाले होते हैं।
अतीन्द्रिय हाथ वाले की हथेली पर दार्शनिक हाथ जैसा अँगूठा होने । उसमे गहराई से विचार करने, ज्ञान पाने की लालसा, अपने कार्य और । पर दृढ रहने, कम बोलने के गुण आ जायेंगे। इसके साथ मूल गुण अती हाथ के रहेंगे। इस प्रकार के हाथों को मिश्रित हाथ कहा जाता है। इन द्वारा हम मिश्रित हाथ होने पर उनके फल निकालने की विधि सीख सकते है।
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