शीर्ष रेखा (मस्तक रेखा ) तथा हृदय-रेखा में अन्तर | Gap Between Head Line & Heart Line Palmistry
(१) यदि बीच में कुछ हृदय-रेखा की ओर झुककर शीर्ष रेखा इस प्रकार सीधी जावे कि हृदय-रेखा से क्रमशः दूर होती जावे और हथेली के उस पार तक लम्बी हो तो बुद्धि और आत्मिक शक्ति दोनों सबल होती हैं।
(२) यदि शीर्ष-रेखा हृदय-रेखा के बहत पास-पास जावे अर्थात दोनों में कम अन्तर हो तो दमा या hay fever होता है। दोनों के बीच का स्थान संकीर्ण होने से जातक रोगी तथा हृदय का क्षद्र होता है।
(३) यदि शीर्ष-रेखा हृदय-रेखा की ओर झुकती चली जावे और जीवन-रेखा से निकलकर स्वास्थ्य-रेखा इनको काटे तो मूर्छा रोग हो। पाचन-शक्ति बिगड़ने पर प्रायः यह रोग होता है और मूर्छा का भय रहता है।
(४) यदि शीर्ष-रेखा करीब-करीब शनि-क्षेत्र की सीध तक हृदय-रेखा की ओर झुकती चली आवे और फिर मुड़कर नीचे की ओर (चन्द्र-क्षेत्र की ओर) चली जावे तो जिनको जातक स्नेह करता है उनके कारण घोर मानसिक कष्ट प्रकट होता है।
(५) यदि शीर्ष-रेखा इतनी ऊँची हो कि उसके और हृदयरेखा के बीच बहुत कम अन्तर रहे तो -
(१) यदि शीर्ष-रेखा दृढ़ और पूष्ट हो तो दिमाग़ दिल को काबू में रखेगा तथा
(२) यदि हृदय-रेखा दृढ़ और पुष्ट हो तो दिल दिमाग पर काबू पा लेगा।
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