हृद्य रेखा पर सूर्य पर्वत के नीचे द्धीप होने का मतलब
यह द्वीप भी आंखों के दोषों को निश्चित करता है। शनि के पर्वत पर अधिक रेखाएं या मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे द्वीप होने पर अवश्य ही आंखों में दोष होता है। सूर्य के नीचे हृदय रेखा में द्वीप दूर की नजर के लिए अच्छा नहीं माना जाता ।
अतिशय-कामुकता; पित्त या जिगर दोषपूर्ण होने के कारण आंखों में खराबी पाई जाती है। इसी लक्षण से सिर में भारीपन भी रहता है। एक बात विशेष ध्यान रखने की है कि हदय रेखा में दोष होने पर मस्तिष्क रेखा निर्दोष हो तो कुछ समय के लिए ही आंखों में दोष पैदा होते हैं।
कालान्तर में आख्चे ठीक हो जाती हैं। सूर्य के नीचे हृदय रेखा में दोप के साथ यदि मस्तिष्क रेखा में भी दोष हो तो सिर दर्द के कारण डर रहता है। ऐसे व्यक्तियों को साइनस का रोग पाया जाता है। इन्हें नाक से दूध पीना, सूत्र-नेति करना, बादाम रोगन पीना लाभकर रहता है। ऐसे व्यक्तियों को पेट में खराबी, नजला-जुकाम आदि का उपचार यथा समय व यथा शक्ति कराना चाहिए। (नितिन पामिस्ट)
स्त्रियों में आखों के दोष, प्रजनन के समय में कोई गड़बड़, अधिक रक्त स्राव, दौरे या सिर में चोट लगने से होता है। हाथ में अधिक दोष जैसे प्रत्येक रेखा में विशेघ दोष, मस्तिष्क रेखा अधिक दोषपूर्ण या जीवन रेखा टूटी हो तो मस्तिष्क में रसौली या कैंसर होने के कारण आखें खराब हो जाती हैं।
हृदय रेखा टूट कर मस्तिष्क रेखा पर मिलने पर मस्तिष्क रेखा में सूर्य के नीचे दोष हो तो अधिक रोने के कारण आखों में दोष होता है।
सूर्य या बुध के नीचे कोई वृत्ताकार द्वीप चाहे यह कई रेखाओं के द्वारा ही बना हो या बाहर की ओर से कोई रेखा सूर्य या बुध के नीचे छूती हो और मस्तिष्क रेखा में दोष व जीवन रेखा के आरम्भ में दोष हो तो पूर्णतया अन्धा होने का लक्षण कई बार हृदय रेखा पर त्रिकोण का आकार भी बुध या सूर्य के नीचे देखा जाता है ।
यह आकार निर्दोष दृदय रेखा पर होता है। वास्तव में यह द्वीप होता है और आरबों में विशेष दोष का लक्षण है। हदय रेखा में नीचे की ओर होने पर यह अधिक प्रभावशाली होता है।
हृदय रेखा मंगल से निकलने पर यदि सूर्य के नीचे द्वीप हो तो भी आंखों में दोष होता है। यह दोष पित्त के कारण आख्झें खराब होने का लक्षण है। ऐसे व्यक्तियों के घर में तिरछा देखने वाले (भैगे), एक आख बन्द करके देखने वाले या सूर्य-मुखी व्यक्ति होते हैं।
सन्तान पर भी इसका प्रभाव देखा जाता है। ऐसे व्यक्तियों के चरित्र में किसी न किसी प्रकार का दोष भी होता है। हदय रेखा, सूर्य के नीचे द्वीपयुक्त होने से सन्तान की आंखें कमजोर होती हैं। हाथ पतला होने पर अधिकतर बच्चों को चश्मे का प्रयोग करना पड़ता है और भारी हाथ होने पर एक या दो चश्मे लगाते हैं।
यदि मस्तिष्क रेखा में कोई दोष नहीं हो तो कुछ समय के लिए ऐसा होकर आंखें ठीक हो जाती हैं।
यह द्वीप भी आंखों के दोषों को निश्चित करता है। शनि के पर्वत पर अधिक रेखाएं या मस्तिष्क रेखा में शनि के नीचे द्वीप होने पर अवश्य ही आंखों में दोष होता है। सूर्य के नीचे हृदय रेखा में द्वीप दूर की नजर के लिए अच्छा नहीं माना जाता ।
अतिशय-कामुकता; पित्त या जिगर दोषपूर्ण होने के कारण आंखों में खराबी पाई जाती है। इसी लक्षण से सिर में भारीपन भी रहता है। एक बात विशेष ध्यान रखने की है कि हदय रेखा में दोष होने पर मस्तिष्क रेखा निर्दोष हो तो कुछ समय के लिए ही आंखों में दोष पैदा होते हैं।
कालान्तर में आख्चे ठीक हो जाती हैं। सूर्य के नीचे हृदय रेखा में दोप के साथ यदि मस्तिष्क रेखा में भी दोष हो तो सिर दर्द के कारण डर रहता है। ऐसे व्यक्तियों को साइनस का रोग पाया जाता है। इन्हें नाक से दूध पीना, सूत्र-नेति करना, बादाम रोगन पीना लाभकर रहता है। ऐसे व्यक्तियों को पेट में खराबी, नजला-जुकाम आदि का उपचार यथा समय व यथा शक्ति कराना चाहिए। (नितिन पामिस्ट)
स्त्रियों में आखों के दोष, प्रजनन के समय में कोई गड़बड़, अधिक रक्त स्राव, दौरे या सिर में चोट लगने से होता है। हाथ में अधिक दोष जैसे प्रत्येक रेखा में विशेघ दोष, मस्तिष्क रेखा अधिक दोषपूर्ण या जीवन रेखा टूटी हो तो मस्तिष्क में रसौली या कैंसर होने के कारण आखें खराब हो जाती हैं।
हृदय रेखा टूट कर मस्तिष्क रेखा पर मिलने पर मस्तिष्क रेखा में सूर्य के नीचे दोष हो तो अधिक रोने के कारण आखों में दोष होता है।
सूर्य या बुध के नीचे कोई वृत्ताकार द्वीप चाहे यह कई रेखाओं के द्वारा ही बना हो या बाहर की ओर से कोई रेखा सूर्य या बुध के नीचे छूती हो और मस्तिष्क रेखा में दोष व जीवन रेखा के आरम्भ में दोष हो तो पूर्णतया अन्धा होने का लक्षण कई बार हृदय रेखा पर त्रिकोण का आकार भी बुध या सूर्य के नीचे देखा जाता है ।
यह आकार निर्दोष दृदय रेखा पर होता है। वास्तव में यह द्वीप होता है और आरबों में विशेष दोष का लक्षण है। हदय रेखा में नीचे की ओर होने पर यह अधिक प्रभावशाली होता है।
हृदय रेखा मंगल से निकलने पर यदि सूर्य के नीचे द्वीप हो तो भी आंखों में दोष होता है। यह दोष पित्त के कारण आख्झें खराब होने का लक्षण है। ऐसे व्यक्तियों के घर में तिरछा देखने वाले (भैगे), एक आख बन्द करके देखने वाले या सूर्य-मुखी व्यक्ति होते हैं।
सन्तान पर भी इसका प्रभाव देखा जाता है। ऐसे व्यक्तियों के चरित्र में किसी न किसी प्रकार का दोष भी होता है। हदय रेखा, सूर्य के नीचे द्वीपयुक्त होने से सन्तान की आंखें कमजोर होती हैं। हाथ पतला होने पर अधिकतर बच्चों को चश्मे का प्रयोग करना पड़ता है और भारी हाथ होने पर एक या दो चश्मे लगाते हैं।
यदि मस्तिष्क रेखा में कोई दोष नहीं हो तो कुछ समय के लिए ऐसा होकर आंखें ठीक हो जाती हैं।