गुरु पर्वत दोष और गुण
इन हाथों में गुरु पर्वत अन्य पर्वतों की अपेक्षा अधिक विकसित होता है। यह पर्वत तर्जनी या पहली उंगली के आधार पर स्थित होता है। गुरु पर्वत महत्वाकांक्षा, अहंकार (E), आत्मसम्मान और नेतृत्व की इच्छा को दर्शाता है। इनमें नेता बनने और लोगों को नियंत्रित एवं निर्देशित करने की प्रबल इच्छा होती है। ये लोग सामाजिक और धार्मिक क्रिया-कलापों में रुचि रखते हैं। एक आदर्श गरु-प्रधान पर्वत वाले की शारीरिक बनावट गठीली, सुडौल होती है और इनमें मोटापे की प्रवृत्ति होती है।
इनका व्यक्तित्व जोशीला और महत्वाकांक्षी होता है और ये लोग विपरीत लिंगी के प्रति आकर्षण, शिष्टता एवं विनम्रता का भाव रखते हैं। ये लोग उदार और फिजूलखर्च हो सकते हैं, क्योंकि छोटी,
ओछी और कंजसी वाली सोच को ये नापसन्द करते हैं। प्रकृति, समाज और धर्म से लगाव इनके व्यक्तित्व के अभिन्न अंग हैं।
ये लोग शीघ्र विवाह के इच्छक होते हैं और ऐसा जीवनसाथी चाहते हैं जिन पर वे गर्व कर सके। ये लोग खाने-पीने के अति शौकीन होते हैं, (खासकर तब जब तर्जनी का तीसरा पोर लम्बा और मोटा हो)। इन्हें अपच, मिरगी, गठिया, वात रोग, यकृत विकार और कभी-कभी फेफड़े से संबंधित रोग हो सकते हैं। किस रोग के होने की संभावना है यह नाखूनों को देखकर पता लगाया जा सकता है।
नेता बनने के लिए अच्छे गुरु पर्वत के साथ-साथ एक अच्छा अंगूठा भी आवश्यक है। तर्जनी अगर औसत से ज्यादा लम्बी और हथेली पर उच्च स्थित हो तो गुरु पर्वत की विशेषताओं में वर्धन होता है। जिन व्यक्तियों की जन्मपत्री में गरु नीच का या अस्त हो उनका गुरु पर्वत अच्छा होने के बावजूद कोई न कोई दोष दिखाता है। या तो तर्जनी औसत से कम लम्बाई की होती है या काफी नीचे की ओर स्थित होती है।
उंगली के पोर पर 'चक्र' का चिन्ह उसके नीचे स्थित पर्वत को बल प्रदान करता है। यह बात सभी उंगलियों और अंगठे पर लागू होती है।
अविकसित पर्वत: गरु पर्वत अविकसित होने पर व्यक्ति में उत्साह और महत्वाकाक्षा का कमाल हैं। इनमें आत्मसम्मान की भावना भी कम हो सकती है। इनके मन में Inferiority complex समा जाता है और ऐसे लोग जीवन में असफल रह जाते हैं।
अतिविकसित पर्वतः अतिविकसित होने पर गुरु पर्वत वाले अति महत्वाकांक्षी, अहंकारी, धौंस जमाने वाले (Bossy) और तानाशाह बन जाते हैं।
सामान्य विकसित: इसके विपरीत अगर एक पर्वत सामान्य विकसित हो तो व्यक्ति उदार, मिलनसार
और धार्मिक होता है। ये लोग अच्छे और लोकप्रिय नेता बनते हैं और अपनी टीम को साथ लेकर चलने का हुनर जानते हैं।
पर्वत में परिवर्तनः पर्वत व्यक्ति की बुनियादी जीवन-शक्ति के रुझान को दिखाते हैं, इसलिए साधारणतया इनमें बदलाव नहीं आता। पर किसी विशेष चिकित्सीय प्रभाव के परिणामस्वरूप इनकी ऊर्जा पुनः वितरित और संतुलित हो सकती है। फलस्वरूप अविकसित पर्वत विकसित हो सकते हैं और अतिविकसित पर्वत दब सकते हैं। पर्वतों में बदलाव दिखना दुर्लभ है परन्तु पर्वतों के ऊपर या आसपास के क्षेत्र में बारीक रेखाएं व्यक्ति की मानसिक परिस्थितियों के अनुसार बनती-बदलती रहती हैं।