जंजीरदार मस्तक रेखा
इस प्रकार की मस्तिष्क रेखा द्वीप (islands) से मिलकर बनी हुई दिखाई देती है। इस तरह की मस्तक रेखा को दोषपूर्ण मस्तिष्क रेखा माना जाता है।
ऐसे व्यक्ति स्वभाव से चिड़चिड़े, शर्मीले, दयालु, कमज़ोर इच्छा शक्ति, निर्णय शक्ति का आभाव, किसी काम में मन नहीं लगना , डरपोक, पारिवारिक, सोचने में जिंदगी बिताना, अकेले रहना, अन्तर्वासना और हीनभावना से ग्रषित रहते है और अपने ही मिजाज के होते हैं। अपने काम को जिम्मेदारी और अच्छे तरीके से करने पर भी स्वभाव से दब्बू होने पर इनको श्रेय नहीं मिलता, क्योंकि दूसरा व्यक्ति इनके कार्य का श्रेय ले जाता है । ऐसे व्यक्ति ठोकर लगने पर भी नहीं सम्भलते है क्युकी इच्छाशक्ति का आभाव रहता है।
ये लोग होशियार होते हैं पर साथ ही जिद्दी भी और रूखा व स्पष्ट बोलने की आदत भी होती है, फलस्वरूप देर से सफल होते हैं तथा इनके सम्बन्ध भी स्थाई नहीं होते और चिड़चिड़ेपन और स्वाभिमान के कारण प्रत्येक कार्य में रुकावट आती है।
जंजीरदार मस्तिष्क रेखा होने पर यदि जीवन रेखा टूटी हुई है तो व्यक्ति को सर में चोट लग सकती है अगर मस्तक रेखा भी टूटी हुई है तो व्यक्ति को उच्चाई से गिर कर सर में चोट लगती है।
जंजीरदार मस्तिष्क रेखा होने पर यदि जीवन रेखा टूटी हुई है तो व्यक्ति को सर में चोट लग सकती है अगर मस्तक रेखा भी टूटी हुई है तो व्यक्ति को उच्चाई से गिर कर सर में चोट लगती है।
बहुत बार जीवन रेखा के साथ मिली हुई जंजीरदार मस्तक रेखा होती है यानि राहु पर्वत तक जीवन रेखा और मस्तक रेखा दोनों ही जंजीरदार होती है , ऐसे व्यक्ति बेहद डरपोक, अति-हस्तमैथुन करने वाले, अकेले रहने वाले और अपना जीवन गुप्त रखने वाले होते है।
ऐसे व्यक्ति हमेशा टालमटोल करते है यह वायदे के बिल्कुल पक्के नहीं होते, आजकल करते रहते हैं, न ही साफ जवाब देते हैं, न ही मना करते हैं और न ही उस काम को कर के देते हैं।
इनका दिल कमज़ोर होता है और मस्तक से जुड़ा रोग, आँखे कमज़ोर, और सर्दी जुकाम से जुड़ा रोग हमेशा रहता है।
इनका दिल कमज़ोर होता है और मस्तक से जुड़ा रोग, आँखे कमज़ोर, और सर्दी जुकाम से जुड़ा रोग हमेशा रहता है।
मस्तिष्क रेखा जंजीर की तरह होने पर इनकी सोच हमेशा नकारत्मक बनी रहती है।
नितिन कुमार पामिस्ट