हस्तरेखा विज्ञान से काल-निर्धारण की सम्पूर्ण जानकारी इस लेख में दी गयी है।
जीवन में होने वाली घटनाओ का समय हाथ की रेखाओ से पता लगाना - हस्त रेखा शास्त्र
सर्वप्रथम ये बताना आवश्यक है की ये लेख हस्तरेखा पर लिखी पुस्तक "प्रैक्टिकल पामिस्ट्री" से लिया गया है।
पीछे के अध्यायों में मैंने हस्त रेखा से संबंधित तथ्य स्पष्ट किए हैं, साथ ही साथ सहायक रेखाओं तथा हस्त चिन्हों के बारे में भी जानकारी प्रस्तुत की है। परन्तु इसके साथ ही यह प्रश्न भी व्यक्ति के दिमाग में स्वाभाविक रूप से पैदा होता है कि जीवन में अमूक घटनाएं घटित होंगी, यह तो हस्तरेखा ज्ञान से स्पष्ट हो जाना है; परन्तु ये घटनाएं किस अवधि में घटित होंगी इसको समझना और जानना भी बहुत जरूरी है।
ब्यक्ति के जीवन में ये प्रश्न निरन्तर चक्कर लगाते रहते हैं कि भाग्योदय कब होगा, किस प्रकार के कार्य से भाग्योदय होगा, भाग्योदय इसी देश में होगी यो विदेश में होगा, विदेश यात्रा कब है नौकरी कब मिलेगी, व्यापारमें स्थिरता कच या सकेगी, व्यापार में कितना लाभ होगा और कब होगा, किस वस्तु या किस कार्य से व्यापार में लाभ सम्भव है, आय वृद्धि कब होगी, नौकरी में प्रमोशन कब होगा, सन्तान सुस कसा मिलेगा, विवाह कब होगा - आदि ऐसी सैकड़ों बातें हैं जो मानव मस्तिष्क में निरन्तर घुमड़ती रहती हैं इन सभी के लिये यह बहुत जरूरी है कि हम काल निर्धारण प्रक्रिया को समझे और उसके माध्यम से भविष्य कथन को स्पष्ट कर सकें।
पीछे के पृष्ठों में मैंने हृदय रेखा, भाग्य रेखा, स्वास्थ्य रेखा, मस्तिष्क रेखा तथा जीवन रेखा आदि के बारे में जानकारी दी है। इनमें जीवन रेखा का सर्वप्रथम अध्ययन जरूरी है। यदि आप भारत के प्रसिद्ध हस्तरेखा शास्त्री नितिन कुमार पामिस्ट के लिखे लेख पढ़ना चाहते है तो उनके पामिस्ट्री ब्लॉग को गूगल पर सर्च करें "ब्लॉग इंडियन पाम रीडिंग" और उनके ब्लॉग पर जा कर उनके लिखे लेख पढ़ें ।
जैसा कि मैं पीछे बता चुका हूं कि अंगूठे और तर्जनी के बीच में से जीवन रेखा प्रारंभ होकर शुक्र पर्वत को घेरती हुई मणिबन्ध तक पहुंचती है। यह जीवन रेखा कहलाती है ।
पहले अभ्यास के लिये किसी घागे के माध्यम से जहां से यह जीवन रेखा प्रारंभ होती हैं वहां से लगाकर जीवन रेखा के अन्तिम स्थल अर्थात् मणिबन्ध की पहली रेखा तक नापिये और इस पूरे धागे को १०० वर्ष का समझकर इसके बराबर १० हिस्से कर लीजिये ।
इस प्रकार एक हिस्सा १८ वर्षों का प्रतिनिधित्व करेगा। इन' १० वर्षों में भी जो दूरी है उसको यदि १० भागों में बाटें तो प्रत्येक भाग एक वर्ष को प्रतिनिधित्व करेगा । यपि ये चिन्ह नजदीक हो सकते हैं, परन्तु यह प्रत्येक चिन्ह एक वर्ष को सूचित कर गा । अभ्यास के बाद चिन्ह लगाने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी और हाथ देखकर ही यह अनुमान हो सकेगा कि यह जीवन रेखा कितने वर्ष की प्रनिधित्व करती है। यदि जीवन रेखा बीच में ही समाप्त हो जाती है। तो आयु के उस भाग में जीवन समाप्त समझना चाहिए। इससे यह भली भाँति शात हो सकेगा कि व्यक्ति की आयु कितने वर्ष की है। इसी प्रकार जीवन रेखा पर जहाँ भी क्रॉस का चिन्ह या जहां भी रेखा कमजोर पड़ी है आयु के उस भाग में बहुत बड़ी चौमारी प्रायेगी या मरण तुल्य कष्ट भोगना पड़ेगा, ऐसा समझना चाहिए।
पूरे हाथ में घटनाओं को सूचित करने वाली जीवन रेखा ही है। अन्य जो भी रेखए हैं, उन पर बिन्दु लगा कर उससे एक सीधी रेखा जीवन रेखा की ओर सीबिये, जिस बिन्दु पर खींची हुई रेखा मिलेगी; आयु के उस भाग में ही वह घटना पदित होगी। उदाहरण के लिये भाग्य रेखा के मध्य में कटा हुआ हिस्सा है तो कटे हुए स्थान से यदि हम रेखा खीचें और वह रेखा जीवन रेखा के ४वें वर्ष के बिन्दु से मिलती हो तो इससे यह सिद्ध हो जाता है कि इस व्यक्ति की ४२३ वर्ष में भाग्य-बाधा मायेगी और भाग्य से संबंधित कोई बहुत बड़ा कष्ट उठाना पड़ेगा।
इसी प्रकार आप अन्य रेखाओं पर पाये जाने वाले चिन्हों का फल ज्ञात कर सकते हैं एवं इन घटनाओं को घटित होने का समय भी स्पष्ट कर सकते हैं।
धीरे-धीरे इस संबंध में अभ्यास करना चाहिए । अभ्यास के बाद तो मात्र हथेली पर एक झलक पड़ने पर ही संबंधित घटना और उसका समय ज्ञात हो सकता है।
वस्तुतः एक सफल भविष्यवक्ता एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ तभी माना जाता है जबकि बह घटनाओं का समय सही-सही रूप में स्पष्ट कर सके और इसके लिये मैंने ऊपर बिन्दु स्पष्ट कर दिये हैं।



