इसके बारे में आप हाथ की मुख्य रेखाओं का संक्षिप्त विवरण में पढ़ चुके है। यहाँ पर हम जीवन पर पड़ने वाले अन्य प्रभावों के बारे में प्रकाश डालेंगे। स्वास्थ्य रेखा जब हृदय रेखा को काटती हुई अथवा उससे निकलती हुई जीवन रेखा से मिलती है. तब यह दिल की कमजोरी या रोग दर्शाती है। यहा हम इस संक्षिप्त रूप में इस प्रकार समझ सकते हैं:-
* पीली और चौड़ी स्वास्थ्य रेखा-खराब रक्त संचालन, जिगर की कमजोरी व इस रेखा पर पड़े नन्हे-नन्हे लाल दाग-बुखार की प्रवृत्ति बताते हैं।
* मोड़दार, टूटी रेखा-पित्त सम्बन्धी रोग दर्शाती है।
* सीधी रेखा का छोटे-छोटे टुकड़ों में होना पाचन शक्ति कमजोर होना बताती है।
* रेखा पर छोटे-छोटे द्वीप और जातक के नाखून लम्बे होना वक्षस्थल या फेफड़े के रोग की सूचक है। बध क्षेत्र की ओर से आती यह रेखा जब जीवन रेखा से मिले तब इसका जीवन रेखा से कमजोर होना ही जातक के जीवन के लिए ठीक है। जीवन रेखा से अधिक या उसके समान शक्तिशाली होने पर मृत्युसचक।
* स्वास्थ्य रेखा का नहीं होना या होने पर एक साफ लकीर के रूप में होना स्वस्थ जीवन का द्योतक है।
* जीवन रेखा पर द्वीप, जाली (Grill) क्रॉसबार, हल्के बिन्दु (Crossbar) आदि हानिकारक चिह्न रोग, दुर्घटना, मानसिक चिन्ता, तनाव आदि के द्योतक हैं। इसके विपरीत चतुष्कोण जीवन रेखा के टूटने (रोग/दुर्घटना) की स्थिति में जीवन की रक्षा करता है । इसी प्रकार त्रिकोण को भी जीवनरक्षक ढाल माना जाता है। इन चिह्नों या प्रतीकों को देखते समय यह ध्यान दें कि वे कितने स्पष्ट हैं और जीवन रेखा कितनी मजबूत है। शुभ चिह्न अधिक स्पष्ट तथा गहरा है या अशुभ चिह्न? जो अधिक स्पष्ट तथा गहरा होगा वही शुभ-अशुभ के युद्ध में विजयी होगा। कभी-कभी ऐसा भी देखा गया है कि मंगल क्षेत्र से आने वाली रेखा जीवन रेखा पर द्वीप बना देती है और द्वीप के चारों ओर चतुष्कोण उपस्थित होकर जीवन की रक्षा कर लेता है।
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