हस्तरेखा में दुःखी और खराब विवाह के संकेत
1. एक सुंदर बड़ा घेरा डालते हुए शुक्र पर्वत के चारों ओर जाने के स्थान पर जीवन रेखा अपेक्षाकृत सीधी हो। रेखा दोषयुक्त हो, उस पर द्वीप और बिंदु जैसे दोष हों।
2. मस्तिष्क रेखा का उद्गम स्थल नीच मंगल पर्वत हो, • मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा के बीच
8 मि.मी. या उससे अधिक दूरी हो, • मस्तिष्क रेखा लहरदार या द्वीपयुक्त हो, • मस्तिष्क रेखा जीवन रेखा से आरंभ में काफी दूर तक जुड़ी हो, लगभग 18-20 मि.मी., • मस्तिष्क रेखा या तो चंद्र पर्वत की ओर बहुत झुकाव लिए हो या फिर बहुत सीधी हो और उच्च मंगल की ओर मुड़ती हो।
3. विवाह रेखा अनुपस्थित हो, या दोष युक्त हो, या कई सारी हों।
4. हृदय रेखा शनि पर्वत से आरंभ होती हो या बहुत छोटी हो। हृदय रेखा से निकलकर एक शाखा नीचे की ओर जाकर मस्तिष्क रेखा से मिलती हो, अथवा नीच मंगल पर्वत को जाती हो। हृदय रेखा मस्तिष्क रेखा से काफी करीब हो जिससे कि प्रांगण (Quadrangle) संकीर्ण हो जाए। संकीर्ण प्रांगण भावनाहीन प्रकृति और संकीर्ण मानसिकता का सूचक है।
5. भाग्य रेखा पर द्वीप हों, विशेष रूप से शुरुआत में। भाग्य रेखा हृदय रेखा या मस्तिष्क रेखा पर रुक रही हो। भाग्य रेखा ज्यादा मोटी और उथली हो।
6. शुक्र पर्वत अति विकसित, सख्त और लाल रंग का हो (अति कामुक)। या फिर शुक्र पर्वत अविकसित हो और एक हवा निकले गुब्बारे के समान पिचका हो, उस पर नीली नसें दिखाई देती हों (काम शक्ति की कमी)। शक्र पर्वत पर अनियमित और बहुत महीन जाली हो। ।
7. चंद्र पर्वत बहुत बड़ा, पिलपिला और रेखाओं से युक्त हो।
8. अंगूठा अदृढ़, छोटा और कमजोर होने के साथ-साथ तर्जनी के साथ 50-60 डिग्री से ज्यादा का कोण न बनाता हो। अंगूठे का पहला पोर अधिक मोटा और लंबा हो जबकि दूसरा पोर छोटा और कमजोर हो।
9. गुरु और सूर्य उंगली छोटी और हथेली पर जरा नीचे से प्रारम्भ हो रही हो। बुध उंगली भी टेढ़ी-मेढ़ी या मुड़ी हो और साथ-साथ हथेली पर निम्न स्थित हो।
10. अंगूठे की पहली या दूसरी गांठ पर कोई भी यव का चिन्ह न हो।