बुध रेखा | स्वास्थ्य रेखा | व्यापार रेखा
यह रेखा सामान्यतः चंद्र पर्वत और जीवन रेखा के क्षेत्र में कहीं पर से भी आभार जागा जब यह अन्य पर्वतों की दिशा में न जाकर बध पर्वत की अच्छा होगा कि यह रेखा बुध पर्वत पर समाप्त हो, उससे पहले न रुक जाए।
इसे स्वास्थ्य रेखा भी कहा जाता है क्योंकि आत्म-अभिव्यक्ति में खराब स्वास्थ्य ही बाधा कर सकता है। खराब स्वास्थ्य का सबसे महत्वपूर्ण कारण है दोष पूर्ण पाचन तंत्र। यह रेखा पालन तंत्र और यकृत/जिगर की स्थिति के विषय में संकेत देती है। बुध पर्वत और अच्छी बुध रेखा व्यापार में सफलता के लिए अत्यधिक उपयोगी होती है, क्योंकि एक स्पष्ट मस्तिष्क, विवेक. बद्धि अच्छी समझ-बूझ, दुनिया में सफलता पाने के लिए आवश्यक है। अच्छी पाचन शक्ति और सक्रिय यकता जिगर व्यक्ति के मस्तिष्क को अवरुद्ध होने से बचाता है। शायद यही कारण है कि पुराने जमाने में हस्त परीक्षक दूषित बुध रेखा को देखकर दिवालियेपन तक की भविष्यवाणी कर देते थे, हालांकि खराब बुध रेखा का हमेशा यही एक फल नहीं होता।
बुध रेखा का हथेली पर उपस्थित या अनुपस्थित होनाः यह रेखा सभी हाथों पर नहीं पाई जाती। फिर भी एक तिहाई लोगों के हाथ पर यह रेखा किसी न किसी रूप में पाई जाती है। जब रेखा होती है तो स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता को दिखाती है। ऐसे लोग आमतौर पर अपने स्वास्थ्य की अच्छी देखभाल करते हैं। ऐसे लोग कई बार आशंका का शिकार होते हैं और जरा सी भी तबियत खराब होने पर घर में रखे दवाई के डब्बे की ओर भागते हैं। सिर्फ एक अच्छी अंकित और बाधारहित रखा ही अच्छे स्वास्थ्य का संकेत देती है।
जब यह रेखा अनुपस्थित रहती है तो ऐसे व्यक्ति, बिना किसी शंका या डर के, स्वास्थ्य प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं। ऐसे लोगों का स्वास्थ्य अच्छा होता है और वे शारारिक भावनात्मक रूप से स्वास्थ्य के प्रति आश्वस्त होते हैं। इसलिए ऐसा कहा जा सकता है रेखा का अनुपस्थित होना सफलता के लिए हानिकारक नहीं है। इसके विपरीत यह बात मा कि कोई भी रेखा ऐसी नहीं होती जिस पर कोई न कोई दोष न हो। यदि यह विकल्प हा. विकल्प हो कि रेखा दोषपूर्ण हो या अनुपस्थित हो, तो इस रेखा का न होना ही बेहतर कहा जाएगा। ऐसा मा सा भी देखा गया है कि जिन हाथों पर बुध रेखा नहीं होती, उनके पाचन तंत्र के खराब होने पर प्रायः दाब रेखा हाथों पर उभर आती है।
बुध रेखा का उद्गम: इस बात से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता कि बुध रेखा चंद्र पवत और भाग्य रेखा के बीच से या भाग्य रेखा और जीवन रेखा के बीच से निकलकर ऊपर की ओर जाती है। पर जीवन रेखा से आरंभ होने वाली बुध रेखा अशुभ मानी जाती है। जहां पर बुध रेखा जीवन रेखा से मिलती है, उसे कीरो ने मृत्यु का संकेत माना है, चाहे फिर जीवन रेखा लम्बी ही क्यों न हो। इस लेखक का विचार है कि इस प्रकार का चरम अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए। जब यह रेखा शुक्र पर्वत से निकलकर, जीवन रेखा को काटती हुई अपने रास्ते पर आगे बढ़े, तो यह पेट सम्बन्धी समस्या की पूर्ववृत्ति का संकेत है। ऐसे व्यक्ति का पाचन तंत्र बहुत ही संवेदनशील हो जाता है। व्यक्ति के हृदय में धड़कन संबंधी असामान्यता या क्षिप्र हृदय (Tachycardia) की समस्या आ जाती है।
बुध रेखा की चारित्रिक विशेषताएं: एक गहरी बुध रेखा अच्छी पाचन शक्ति, स्वस्थ जिगर/यकृत, शारीरिक अवस्था, स्पष्ट मस्तिष्क तथा अच्छी स्मरणशक्ति की सूचक है। वास्तव में एक साबध रेखा में जीवन रेखा पर पाए जाने वाले दोषों को सुधारने की वैसी ही क्षमता होती है जैसी मंगल रेखा में होती है।
जंजीर यक्त बुध रेखा निश्चित रूप से रोगयुक्त आमाशय और जिगर का संकेत है। व्यक्ति को पित्त, पथरी, सिरोसिस पित्त नली में सूजन, मानसिक आलस्य और अवसाद की प्रवृत्ति हो सकती है। ऐसा व्यक्ति निराशावादी, शंकालु, व्यग्र स्वभाव वाला हो जाता है और रोजमर्रा के जीवन का सामना करने में परेशानी का अनुभव करता है। स्पष्टतः ऐसे व्यक्ति के पास किसी भी व्यवसाय में सफल होने के लिए सही दिमाग, गहरी दूरदर्शिता और ऊर्जा की कमी होती है।
रेखा पर द्वीप का वही फल होगा, जो जंजीर युक्त रेखा का होगा। पर द्वीप युक्त रेखा कुछ हद तक कम बुरी होगी क्योंकि दो द्वीपों के बीच रेखा कुछ समय ठीक भी दिखा सकती है । द्वीप इस रेखा पर गले और फेफड़े संबंधी दुर्बलता भी दिखाते हैं। एक लहरदार या ऐंठी हुई रेखा दीर्घकालीन पित्त संबंधी समस्या को दिखाती है। व्यक्ति यकृत संबंधी समस्या, यकृत का बढ़ जाना या पीलिया जैसी समस्या से ग्रसित हो सकता है। शनि प्रधान हाथ में एक दूषित बुध रेखा पित्त दोष, गठिया तथा तंत्रिका विकार का संकेत है। गुरु प्रधान हाथ में बुध की दूषित रेखा मिरगी, गठिया, चक्कर आना जैसी बीमारियों का संकेत है। गुरु प्रधान वाले वैसे भी ज्यादा खान की प्रवृत्ति रखते हैं। सूर्य प्रधान हाथ पर बुध रेखा हृदय संबंधी समस्या तथा बुध प्रधान हाथ पर अपच, बदहजमी, तंत्रिका विकार और यकृत संबंधी गंभीर समस्या का संकेत देती है। मंगल प्रधान वाले व्यक्ति आंतों की सूजन और चंद्र प्रधान वाले गठिया, शुक्र प्रधान वाले बुध दूषित रेखा होने पर उल्टी, मितली. दस्त के साथ तेज बुखार के तीव्र हमले से परेशान हो सकते हैं।
बुध की रेखा जब अच्छी अंकित हो और उससे छोटी-छोटी शाखाएं ऊपर को जाएं तो व्यक्ति का स्वास्थ्य उत्तम होता है और वह व्यापार में अपार सफलता प्राप्त करता है। पर यदि रेखाय ऊपर के बजाए नीचे को जाएं तो व्यक्ति को उच्च स्तर की सफलता प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता है ।
जब एक अच्छी बुध रेखा से निकल
अच्छा बुध रेखा से निकलकर एक शाखा गुरु पर्वत पर जाए तो व्यक्ति अपनी नेतृत्व करने की क्षमता और महत्वाकांक्षा के
क्षमता और महत्वाकांक्षा के कारण सफलता प्राप्त करता है। यदि ऐसी शाखा सूर्य पर्वत पर जाए तो व्यक्ति अपनी सच्ची प्रतिभा प्रखर बुद्धि , प्रदर्शन की क्षमता और सौहार्दपूर्ण व्यवहार से महान प्रसिद्धि और सफलता प्राप्त करता है। उपरोक्त सभी सफलताओ के लिए व्यक्ति का उस 'सही' दुनिया में होना आवश्यक है, जो बुध की उंगली के सबसे प्रबल पोर द्वारा इंगित होती है। यदि बुध उंगली का पहला पोर सबसे लम्बा है, तो व्यक्ति अच्छे वक्ता या लेखक के रूप में सफल होगा, क्योंकि वह बौद्धिक दुनिया में रहता है। यदि दूसरा पोर ज्यादा प्रभावी हो, तो व्यक्ति विज्ञान या व्यावसायिक तौर पर सफलता प्राप्त कर सकता है। यदि बुध उंगली के तीनों पोरों में तीसरा पोर सबसे मजबूत दिखाई दे, तो व्यक्ति वाणिज्य-व्यापार के क्षेत्र में अधिक सफलता प्राप्त कर सकता है। ऐसे लोग खेलों की दुनिया के सरताज होते हैं। जब चंद्र पर्वत से निकलकर एक शाखा बुध की रेखा से मिले तो व्यक्ति में रचनात्मक लेखन की क्षमता होती है।
यदि बुध रेखा का अंत क्रॉस या बार में हो तो व्यक्ति को रोजगार के क्षेत्र में बाधाएं आ सकती हैं। यदि हाथ का प्रकार भी खराब हो, उंगली भी टेढ़ी हो और हृदय रेखा पतली सी या अनुपस्थित हो तो धोखेबाजी, कपट, मक्कारी और पेचीदापन जैसे खराब बुद्धि-जनित अवगुण बाधा का कारण बनते हैं। क्रॉस के स्थान पर यदि बुध रेखा का अंत एक स्टार में हो, तो यह रोजगार के क्षेत्र में बड़ी सफलता का लक्षण है। यदि इसके साथ शनि रेखा और सूर्य रेखा भी अच्छी अंकित हों तो व्यक्ति अत्यंत सफल होता है। यदि बुध रेखा का अंत एक कांटे (Fork) या फंदन (Tassel) में हो, तो व्यक्ति अपने काम में अविभाजित एकाग्रता नहीं दिखा पाता. इसलिए सफलता भी अपेक्षाकृत कम मिलती है।