विवाह के अलावा कितने संबंध रहेंगे ?
इस रेखा को विवाह रेखा, इच्छा रेखा, प्रेम रेखा आदि नामों से पहचाना जाता है। कनिष्ठा अंगूठी के नीचे, हृदय रेखा के ऊपर और बुध पर्वत के नीचे यह रेखा स्थित होती है।
हथेली में विवाह रेखाओं की संख्या चार तक हो सकती है। इनमें से केवल एक ही रेखा सबसे मजबूत और सबसे लंबी होती है और उसको ही विवाह रेखा माना जाता है।
विवाह रेखा, विशेष रूप से हृदय रेखा के ऊपर पाई जाती है।
आदर्शवादी दृष्टिकोण से विवाह रेखा को हृदय रेखा के ऊपर ही स्थित होना चाहिए। जिन व्यक्तियों के हाथों में यह हृदय रेखा के नीचे होती है उनका प्राय विवाह नहीं होता है । या छोटी उम्र में विवाह हो कर जीवनसाथी की मृत्यु हो जाती है ।
एक से अधिक विवाह रेखाएं होना ये सूचित करता है कि व्यक्ति के विवाह से पहले या बाद में अधिक प्रेम संबंध बन सकते हैं ।
यह इसलिए क्योंकि विवाह रेखा के साथ छोटी-छोटी सहायक रेखाएं भी होती हैं जो प्रेम रेखाएं होती हैं। अगर हथेली में प्रेम रेखाएं नहीं हैं, तो व्यक्ति अक्सर संयमित जीवन जीने की दिशा में जाता है।
दांपत्य सुख के लिए हथेली में विभिन्न पर्वतों की स्थिति को भी विचारना आवश्यक होता है, खासकर बृहस्पति/शुक्र पर्वत की क्या स्थिति ये देखना जरूरी है ।
विवाह रेखा, सबसे छोटी उँगली के निचले हिस्से में स्थित होती है, जिसे बुध पर्वत भी कहा जाता है। यह अनेक लोगों की हथेलियों में मौजूद होती है, एक से लेकर कई रेखाएं हो सकती हैं। लेकिन ऐसा नहीं है की विवाह रेखा है तो विवाह होगा ही और विवाह रेखा नहीं है तो विवाह होगा नहीं इसके लिए हाथ में दूसरे चिन्हों और रेखाओ का अध्ययन भी जरूरी है ।
शादी से पहले और बाद में संबंध बनने के हाथ में बहुत से योग होते है जैसे विवाह रेखा का द्विशाखा होना, दोहरी भाग्य रेखा होना, दोहरी मंगल रेखा होना, इत्यादि ।