कुंडली में राहु-केतु की स्थिति: जानें कैसे मंगल और शुक्र प्रभावित करते हैं आपके वैवाहिक जीवन को
आपकी कुंडली में राहु-केतु क्या कहते हैं ? राहू-केतु के प्रभाव से जानें वैवाहिक जीवन की खुशहाली या क्लेश: मंगल और शुक्र का विश्लेषण
ज्योतिष शास्त्र में कुंडली का महत्व अत्यधिक है, और इसमें राहु-केतु का स्थान विशेष होता है। राहु और केतु को छाया ग्रह माना जाता है और ये हमारे जीवन पर गहरा असर डालते हैं। जब हम अपनी कुंडली में राहु और केतु के स्थान को देखतें हैं, तो हम एक खास जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, विशेषकर वैवाहिक जीवन के संदर्भ में।
यदि आपकी कुंडली में राहु और केतु के बीच एक सीधी रेखा खींची जाए और उस रेखा के एक तरफ मंगल हो तथा दूसरी तरफ शुक्र हो, तो इसका संकेत होता है कि आपका वैवाहिक जीवन क्लेशपूर्ण हो सकता है। इस स्थिति में, आपके जीवनसाथी के साथ झगड़े और अनबन की संभावना अधिक रहती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मंगल और शुक्र का यह स्थान तनाव और असमंजस उत्पन्न कर सकता है।
वहीं, यदि मंगल और शुक्र इस रेखा के एक ही तरफ स्थित हों, तो इसका मतलब है कि आपके वैवाहिक जीवन में खुशहाली और सौहार्द्र की संभावना अधिक रहती है। इस स्थिति में, आप और आपके जीवनसाथी के बीच समझदारी और सामंजस्य बनाए रखने में सफल हो सकते हैं, जिससे आपका वैवाहिक जीवन सुखमय और संतोषजनक होगा।
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इस प्रकार, राहू और केतु की स्थिति को समझना और उनका विश्लेषण करना आपके जीवन के विभिन्न पहलुओं को बेहतर तरीके से समझने में मदद करता है। हालांकि, यह भी महत्वपूर्ण है कि आप किसी भी ज्योतिषीय विश्लेषण को पूरी तरह से सही मानने से पहले एक योग्य ज्योतिषी से परामर्श लें।
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